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मामूली ठोकर या बिना चोट लगे भी नीले निशान पड़ने की वजह जानते हैं?

अगर ब्लड टेस्ट में कुछ नहीं आता और फिर भी ब्रूज़िंग हो रही है, तो ब्लड कैंसर इसकी वजह हो सकती है

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चोट लगने पर स्किन पर लाल-पीले निशान पड़ना नॉर्मल है, लेकिन कुछ लोगों में ये समस्या ज़्यादा होती है. (सांकेतिक फोटो)

जब भी हमें ठोकर लगती है या चोट लगती है तो स्किन पर लाल-पीले निशान पड़ जाते हैं. जिसे हम अंग्रेज़ी में कहते हैं ब्रूज़िंग (Bruising). ये एकदम नॉर्मल है. ऐसा क्यों होता है, ये भी आगे बताएंगे. पर कुछ लोगों में ये निशान बड़ी जल्दी और बहुत आसानी से (Easy Bruising) पड़ जाते हैं. हल्की सी भी ठोकर लगी या हाथ-पैर कहीं अड़ गया तो निशान पड़ जाते हैं, ऐसा क्यों? क्या इन लोगों की स्किन ज़्यादा सेंसिटिव होने के चलते ऐसा होता है? जवाब है नहीं. आज के शो में डॉक्टर्स से जानते हैं कि कुछ लोगों में ये समस्या ज़्यादा क्यों होती है. साथ ही ये भी जानेंगे कि बिना चोट लगे कभी-कभी ये निशान शरीर पर क्यों पड़ जाते हैं.

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चोट लगने से शरीर पर लाल-पीले निशान क्यों पड़ जाते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर रिंकी कपूर ने.

(डॉ. रिंकी कपूर, कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, डर्मेटो-सर्जन, द एस्थेटिक क्लिनिक्स)

गुम चोट लगने पर अक्सर स्किन पर लाल-पीले निशान पड़ जाते हैं. इन निशानों को ब्रूज़ (Bruise) कहा जाता है. चमड़ी पर चोट लगने से उसके नीचे मौजूद खून की कोशिकाएं फट जाती हैं. इस वजह से स्किन के नीचे खून जम जाता है और निशान पड़ जाते हैं. कुछ दिनों के बाद खून के सेल्स मरने लगते हैं तो चोट पीले-नीले रंग की हो जाती है. इसके कुछ समय बाद ये निशान अपने आप चला जाता है.

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बिना चोट ये निशान क्यों पड़ते हैं?  

> आमतौर पर चोट लगने से ब्रूज़िंग होती है.

> अगर बिना किसी कारण के ब्रूज़िंग अपने आप होने लगे, तो ये किसी बड़ी परेशानी का कारण हो सकती है.

> कुछ मामलों में ये जेनेटिक होता है, इसमें घबराने की जरूरत नहीं है.

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> कुछ मामलों में जन्म के समय बच्चों में ब्रूज़िंग दिखाई देती है, और अगर परिवार में किसी को ये समस्या नहीं है तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है.

> उम्र बढ़ने के साथ स्किन में मौजूद खून ले जाने वाली कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं

> इस वजह से भी ब्रूज़िंग (Bruise) होती है, ये नॉर्मल है.

> विटामिन C और विटामिन D की कमी से भी ब्रूज़िंग ज्यादा होती है.

> लिवर की खराबी के कारण भी ब्रूज़िंग होती है.

> खून में प्लेटलेट्स और प्रोटीन की कमी के कारण भी ब्रूज़िंग होती है.

> दिल और लकवे के मरीजों को डॉक्टर खून पतला करने की दवाइयां देते हैं, जैसे एस्परिन (Aspirin) और वैल्प्रोएट (Valproate). ऐसे मरीजों को भी ब्रूज़िंग ज्यादा होती है.

बचाव

> अपने आप ब्रूज़िंग होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

> डॉक्टर खून की जांच कर पता लगाएंगे कि खून में प्लेटलेट्स और प्रोटीन कितनी मात्रा में है.

> ये भी पता लगाया जाएगा कि ब्लीडिंग कितने समय तक हो रही है.

> इन सभी जांचों के आधार पर ब्रूज़िंग का कारण पता लगाया जाता है

> अगर ब्लड टेस्ट में कुछ नहीं आता और फिर भी ब्रूज़िंग हो रही है, तो ब्लड कैंसर इसकी वजह हो सकती है. हालांकि ऐसा बेहद कम होता है, लेकिन ब्रूज़िंग न रुकने पर एक बार कैंसर विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं.  

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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