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महिला-पुरुष दोनों के लिए थायरॉइड हार्मोन का बैलेंस रहना है जरूरी, जानिए कैसे पता चलेगा?

जब शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा थायरॉइड हार्मोन बनने लगे तो इसे Hyperthyroidism कहते हैं. वहीं जब बहुत कम बने तो इसे Hypothyroidism कहते हैं.

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हॉर्मोन का लेवल बढ़ने-घटने पर शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं

प्यार कोई खेल नहीं, लेकिन प्यार के पीछे हार्मोन का खेल जरूर है. जब इंसान किसी को पसंद करता है तो उसके शरीर में ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) नाम का हार्मोन बनता है. इसको लव हार्मोन (Love Hormone) भी कहते हैं. वहीं जब हम बहुत टेंशन में होते हैं. दिन ख़राब बीता होता है. बॉस से डांट पड़ी होती है. तब दिमाग पर एक बोझ जैसा कुछ महसूस होता है. शरीर एकदम सुस्त पड़ जाता है. इसके पीछे भी वजह हार्मोन्स ही हैं. दरअसल बहुत स्ट्रेस में भी आपका शरीर एक हार्मोन बनाता है. जिसका नाम है कोर्टिसोल (Cortisol).

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सारी बातों का लॉलीपॉप ये है कि आपके शरीर और मूड को कंट्रोल करते हैं हार्मोन्स. जब इनका बैलेंस या लेवल किसी भी वजह से शरीर में गड़बड़ा जाता है तो इंसान को कुछ लक्षण महसूस होते हैं. आज डॉक्टर से इन्हीं लक्षणों के बारे में जानेंगे. ये समझेंगे कि शरीर के लिए कौन से हार्मोन्स ज़रूरी होते हैं? इनका क्या काम है? हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने के पीछे क्या कारण हैं? कैसे पता चलता है शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ गया है और इन्हीं ठीक करने का क्या तरीका है? 

शरीर के लिए ज़रूरी हैं ये हार्मोन्स!

 इनके बारे में हमें बताया डॉ. महेंद्र दड़के ने.

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डॉ. महेंद्र दड़के, कंसल्टेंट, जेनरल मेडिसिन, जुपिटर हॉस्पिटल, पुणे

हमारे शरीर में कई हार्मोन्स हैं जो बहुत सारे काम करते हैं. जैसे थायरॉइड हार्मोन, पिट्यूटरी ग्रंथि के हार्मोन, एड्रेनलिन हार्मोन, ग्रोथ हार्मोन, टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन. 

हार्मोन में उथल-पुथल के कारण

थायरॉइड हार्मोन महिलाओं और पुरुषों, दोनों के लिए बहुत ज़रूरी है. इससे जुड़ी कई समस्याएं आजकल सामने आ रही हैं. थायरॉइड हार्मोन को थायरॉइड ग्रंथि तैयार करती है और ये ग्रंथि गले के पास होती है. इस ग्रंथि में T3 और T4 हार्मोन्स तैयार होते हैं. ये दोनों मिलकर थायरॉइड हार्मोन बनाते हैं. T3 और T4 हार्मोन को दिमाग में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि कंट्रोल करती है.

ये पिट्यूटरी ग्रंथि थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) पैदा करती है. फिर ये हार्मोन थायरॉइड ग्लैंड को सिग्नल भेजता है. सिग्नल मिलते ही थायरॉइड ग्लैंड T3 और T4 हार्मोन बनाने लगता है. अगर किसी वजह से थायरॉइड ग्रंथि काम करना बंद कर दे तो T3 और T4 की मात्रा घटने लगती है और TSH की मात्रा बढ़ने लगती है. इस कंडिशन को हाइपोथायरॉयडिज़्म कहते हैं. 

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इसी तरह पिट्यूटरी ग्रंथि, ग्रोथ हार्मोन का भी रिसाव करती है. ग्रोथ हार्मोन शरीर के विकास के लिए ज़रूरी होता है. अगर बचपन में ग्रोथ हार्मोन की कमी हो जाए तो ड्वारफिज्म (बौनापन) हो सकता है. वहीं अगर ग्रोथ हार्मोन ज़्यादा मात्रा में बनने लगे तो जाइगेंटिज्म (अधिक लंबाई) हो सकता है.

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हार्मोन्स का असंतुलन होने पर वज़न बढ़ने लगता है

लक्षण

- वज़न बढ़ना.

- सुस्ती आना.

- पेट साफ न होना.

- कोई काम करने में उत्साह न रहना.

- महिलाओं में मेंस्ट्रुअल साइकिल अनियमित हो जाना.

- इससे प्रेग्नेंसी में दिक्कत आती है.

- हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाना.

- कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ना.

वहीं जब हाइपोथायरॉयडिज़्म के उलट हो यानी T3 और T4 हार्मोन के लेवल बढ़ जाएं और TSH के घट जाएं, तो इस स्थिति को हाइपरथायरॉयडिज़्म बोलते हैं. इसमें शरीर में थायरॉइड हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. इसकी वजह से भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे बुखार आना. दिल की धड़कन तेज़ हो जाना. हाथ कांपना. तलवों में पसीना ज़्यादा आना. लूज़ मोशन होना. महिलाओं में मेंस्ट्रुअल साइकिल अनियमित हो जाना. नींद न आना.

टिप्स

हाइपोथायरॉयडिज़्म में थायरोक्सिन के रूप में थायरॉइड हार्मोन का सप्लीमेंट लेना पड़ता है. हाइपरथायरॉयडिज़्म में भी कुछ दवाइयां खानी पड़ती हैं.

हार्मोन्स का बैलेंस ज़्यादा बिगड़ जाए तो लाइफस्टाइल में सुधार के साथ-साथ दवाइयों की भी ज़रूरत पड़ती है. इसके लिए आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा. लेकिन, कुछ चीज़ें हैं जो आप घर पर ही कर सकते हैं. जैसे हेल्दी खाना खाना. ऐसी डाइट लेना जिसमें सारे पोषक तत्व हों. अपना वज़न कंट्रोल करना. समय पर सोना. समय पर जगना. रोज़ थोड़ी एक्सरसाइज़ करना.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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