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नींद के लिए कहीं ये कैंडी तो नहीं खा रहे आप? पहले डॉक्टर की बात जान लें

आजकल कई लोग नींद लाने के लिए मेलाटोनिन की गमीज़ या कैंडी खा रहे हैं. मेलाटोनिन हमारे शरीर का एक हॉर्मोन होता है जो नींद लाने के लिए ज़िम्मेदार है.

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मेलाटोनिन की गमीज़ डॉक्टर से बिना पूछे न लें

रात में नींद न आना एक बहुत बड़ी समस्या है. कुछ लोग पूरी रात करवटें बदलते हुए गुज़ारते हैं. रात रील्स देखते हुए निकल जाती है. फिर दिनभर थकान और सिर दर्द रहता है. ऐसे में कई लोग नींद की गोलियां खाना शुरू कर देते हैं. जिनका शरीर पर बुरा असर तो पड़ता ही है. लत भी लग जाती है. अब आजकल नींद की गोलियों का एक बेहतर विकल्प मार्केट में आ गया है. मेलाटोनिन कैंडी. आपने सोशल मीडिया पर मेलाटोनिन गमीज़ और कैंडी के काफ़ी एड्स देखे होंगे. ये एड्स दावा करते हैं कि इनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता. और इन्हें लेने से नींद आती है. साथ ही स्लीप साइकिल भी सुधरती है.

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देखिए, मेलाटोनिन एक हॉर्मोन है (Melatonin Hormone). जो शरीर में बनता है. यही हॉर्मोन आपकी नींद को कंट्रोल करता है. जब तक मेलाटोनिन अपने आप शरीर में सही मात्रा में बन रहा है, तब तक सब ठीक है. पर जब इसके प्रोडक्शन में गड़बड़ होती है, तो नींद से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में तब सहारा लिया जाता है मेलाटोनिन कैंडी का. ये मार्केट में बिना डॉक्टर के पर्चे के आसानी से मिल जाती हैं. इसलिए लोगों के लिए इन्हें लेना आसान है पर क्या इन्हें खाना सेफ़ है? आज हम इसी पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि मेलाटोनिन क्या होता है? नींद आने में इसका रोल क्या है? क्या मेलाटोनिन की गमीज़ या कैंडी को बिना डॉक्टर से पूछे लेना सेफ़ है? समझेंगे इसके फायदे और नुकसान क्या हैं? और क्या इसकी लत लग सकती है? 

मेलाटोनिन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने.

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डॉ. वैभव चतुर्वेदी, कंसल्टेंट, साइकियाट्री, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर

मेलाटोनिन एक हॉर्मोन है. यह हमारे दिमाग में नेचुरली बनता है. इसे हॉर्मोन ऑफ डार्कनेस भी कहा जाता है. जैसे-जैसे अंधेरा छाने लगता है, इसका प्रोडक्शन हमारे दिमाग में बढ़ता जाता है. कई बार शाम के समय घर में बहुत रोशनी रहती है. तब हमारा दिमाग समय को ठीक तरह से भाप नहीं पाता. नतीजा मेलाटोनिन का प्रोडक्शन अच्छे से नहीं हो पाता. इससे नींद से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं.

नींद आने में मेलाटोनिन का क्या रोल है?

इसका रोल नींद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह हमारी स्लीप-वेक साइकिल को संचालित करता है. हमें शांत महसूस कराता है. रिलैक्स फील कराता है जिससे हमें नींद आना शुरू होती है.

मेलाटोनिन की गमीज़/कैंडी को बिना डॉक्टर से पूछे लेना सेफ़ है?

आजकल जो गमीज़ या टैबेलट मिल रही हैं, उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए. कई मामलों में देखा गया है कि पहले व्यक्ति एक खुराक खाता है. उसे इसका मैकेनिज़्म यानी काम करने का तरीका नहीं पता रहता. फिर धीरे-धीरे इन्हें खाने की मात्रा बढ़ती जाती है. इससे फिज़िकल डिपेंडेंस तो नहीं होती, लेकिन, साइकोलॉजिकल डिपेंडेस ज़रूर हो जाती है. जैसे ही साइकोलॉजिकल डिपेंडेस होगी, व्यक्ति उसे दोबारा ज़रूर खाएगा. जब तक इसे व्यक्ति खाएगा नहीं, उसे नींद नहीं आएगी. इसलिए, बहुत ज़रूरी है कि डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें. अगर आप ओवरडोज़ लेते हैं तो इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं. जैसे सिर दर्द और उल्टी आना. 

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मेलाटोनिन की कैंडी को दिन में नहीं बल्कि रात में खाएं

फायदे और नुकसान

अगर आप इसे डॉक्टर की सलाह से खाते हैं तो फायदे देखने को मिलते हैं. कई बार बहुत नुकसान भी देखने को मिलते हैं. सबसे पहले फायदों की बात करते हैं. ये हमारी घबराहट कम करता है. हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है. हमारे शरीर में हुई अंदरूनी सूजन को कम करता है. हमें सोने के लिए भी प्रेरित करता है.

अब नुकसान की बात करते हैं. पहला है साइकोलॉजिकल डिपेंडेंस. दूसरा है ओवरडोज़िंग, जो बहुत आम है. ओवरडोज़िंग में आप आज एक गोली खाएंगे, आपको इसके मैकेनिज़्म का पता नहीं है, फिर आप कल दो खाएंगे. इसका मैकेनिज़्म बस इतना है कि ये दिमाग को बताता है कि रात हो गई है. आजकल रोशनी इतनी रहती है कि हमारा दिमाग रात को रात नहीं समझ पाता. पुराने समय में शाम के समय अंधेरा हो जाता था. इससे हमारे पूर्वजों का मेलाटोनिन अच्छी मात्रा में दिमाग में बनता था. इससे उन्हें नींद भी अच्छी आती थी. 

इससे जुड़ी कुछ सावधानियां भी हैं जो हमें लेनी चाहिए. बिना सलाह के मेलाटोनिन की गमीज़ या कैंडी न खाएं. दूसरा, इसे दिन में न खाएं. रात में ही इसका सेवन करें. ओवरडोज़िंग न करें. जितनी मात्रा बताई गई है, उतनी ही मात्रा में खाएं. अगर आपको इसके साइड इफेक्ट्स महसूस होते हैं, तो उसे लेना बंद कर दें. नज़दीकी डॉक्टर से संपर्क करें.

देखिए, अगर आपको चैन से सोना है. आराम से सोना है. तो, पहले नींद के लिए परफेक्ट महौल बनाइए. कमरे की लाइट बंद कर दीजिए. रात में फोन से दूरी बना लीजिए. अँधेरे में रहेंगे तो मेलाटोनिन अपने आप बनने लगेगा. आपको नींद आएगी. फिर भी समस्या बनी रहती है तो ज़रूरी है डॉक्टर से संपर्क करना. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा या कैंडी खाने की आदत नहीं डालनी चाहिए. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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