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सेक्स पावर बढ़ाने वाली वियाग्रा ने कोमा में गई गंभीर कोरोना मरीज की जान बचा ली!

खबर के साथ एक अडवाइज दी है, उसे ध्यान से पढ़ लेना.

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वियाग्रा को फाइज़र ने 24 साल पहले मार्किट में लॉन्च किया था.
कोरोना वायरस की वजह से फैली कोविड-19 महामारी का कहर अब भी बना हुआ है. समय-समय पर म्यूटेट होने से कोरोना वायरस के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं. रोकथाम के लिए कई वैक्सीन बनी हैं, लेकिन वायरस के बार-बार म्यूटेट होने के कारण बड़े से बड़ा वैक्सीनेशन ड्राइव भी महामारी को पूरी तरह रोकने में नाकाफी साबित हो रहा है. और दवा कोई बनी नहीं है. ऐसे में मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर्स अलग-अलग प्रयोग करते रहे हैं. ऐसे ही एक अनोखे प्रयोग ने इंग्लैंड में एक कोरोना मरीज की जान बचा ली.
इस मरीज का नाम है मोनिका अल्मेडा, जिन्हें अक्टूबर में कोरोना हुआ था. मोनिका पेशे से नर्स हैं. कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते वो खुद इसकी चपेट में आ गईं. धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ गई. खून की उल्टियां होने लगीं जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. कुछ समय बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन घर जाते ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी. हालत नहीं सुधरी तो उन्हें इंग्लैंड के लिंकन काउंटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया.

वियाग्रा की हैवी डोज़ ने बचाई जान

'द सन' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग दवाओं के इस्तेमाल के बावजूद मोनिका की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. वो पहले ही अस्थमा की पेशेंट थीं, उस पर कोरोना संक्रमण के चलते उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार ड्रॉप हो रहा था. उनकी हालत इतनी बिगड़ी कि बीती 16 नवंबर को वो कोमा में चले गईं.
उधर मोनिका की हालत को लेकर उनके सहकर्मी चिंतित थे. वे हर हाल में मोनिका की जान बचाना चाहते थे और इसके लिए रिस्क लेने को भी तैयार थे. उन्होंने रिस्क लिया और एक्सपेरिमेंट के तहत मोनिका को वियाग्रा की हैवी डोज़ दी दी. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक इस एक्सपेरिमेंट ने कमाल का रिज़ल्ट दिखाया. वियाग्रा की हैवी डोज़ ने कोमा में पहुंच चुकी मोनिका का ना सिर्फ ऑक्सीजन लेवल मैंटेन करने में मदद की, बल्कि उसी के कारण वो होश में आईं.
बाद में मोनिका ने बताया,
"जब मैं होश में आई तो मुझे डॉक्टर ने बताया कि वियाग्रा की मदद से मुझे होश में लाया गया. मुझे पहले लगा कि वो मज़ाक कर रहे हैं. पर उन्होंने कहा कि वियाग्रा की हैवी डोज़ की वजह से ही मेरी ज़िंदगी बच पाई. डोज़ देने के 48 घंटे के अंदर ही मेरे लंग्स ने काम करना शुरू कर दिया."
रिपोर्ट्स के मुताबिक अब मोनिका की हालत पहले से बहुत बेहतर है और वो आगे का ट्रीटमेंट अपने घर पर ही ले रही हैं. यहां हम ये बिल्कुल साफ कर दें कि वियाग्रा कोरोना संक्रमण के इलाज या रोकथाम के लिए किसी भी तरह से प्रिसक्राइब्ड नहीं है. कम से कम भारत में कोरोना संक्रमितों को ये दवा देने की अनुमति नहीं है. ये खबर केवल एक चर्चित केस को सामने रखती है, जिसे फिलहाल अपवाद और संयोग कहना ही बेहतर है. मोटी बात ये कि इस खबर को पढ़कर अपने किसी करीबी जानकार को मत बता देना कि कोरोना हो जाए तो वियाग्रा निगल लो.
क्या है वियाग्रा?
Viagra
वियाग्रा को ब्लू पिल भी कहा जाता है.

वियाग्रा (Viagra) एक दवा है जिसकाअसली नाम सिल्डेनाफिल साइट्रेट (Sildenafil Citrate) है. वियाग्रा इसका देसी नाम है. 27 मार्च 1998 को अमेरिकी दवा कंपनी फाइज़र (Pfizer) सबसे पहले इस दवा को मार्केट में लाई थी. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. फाइजर के शोधकर्ता दिल की बीमारी ‛एंजाइना’ के इलाज के लिए एक नई दवा ‘सिल्डेनाफिल’ पर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे. इस दवा से छाती के दर्द को कम करने में कोई खास मदद तो नहीं मिली, लेकिन इससे पुरुषों को अजीबोगरीब साइडइफेक्ट का सामना जरूर करना पड़ा. दवा खाने बाद कई पुरुषों ने पेनाइल इरेक्शन की शिकायत की, शोधकर्ताओं ने इस साइडइफेक्ट का विधिवत अध्ययन किया और रीपैकेजिंग के बाद बना दिया ‛वियाग्रा’.
वियाग्रा सबसे ज़्यादा बिकने वाली दवा कैसे बनी?
पुरुषों से मिले फीडबैक पर फाइज़र ने काम किया और 1998 में ये सेक्स की दुनिया में क्रांति लाने वाली दवा बन गई. वियाग्रा की मदद से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद मिलती है. ये फेफड़ों में फोस्पोडायस्टेरियस एंजाइम बनाकर फेफड़ों को आराम पहुंचाती है. इससे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में और सेक्स के दौरान क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है. इस दवा की दुनियाभर में रिकॉर्ड तोड़ बिक्री होती है. मेडिसिन की दुनिया के विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा की वजह से फाइज़र कंपनी की किस्मत बदल गई.

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