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REET का एग्ज़ाम देने गई लड़कियों के कपड़ों की अस्तीन क्यों काट दी गई?

क्या चीटिंग रोकने के लिए ऐसा किया या कारण कुछ और है?

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इस तरह से स्लीव्स कट की गईं.

राजस्थान में 26 सितंबर के दिन REET के एग्ज़ाम हुए. REET माने Rajasthan Eligibility Examination for Teachers. क्लास एक से पांच तक के टीचर्स के रिक्रूटमेंट के लिए लेवल 1 हुआ और क्लास 6 से 8 तक के टीचर्स के लिए लेवल 2 हुआ. पूरे राज्य भर में कुल 4 हज़ार 19 सेंटर्स बनाए गए थे. साल 2018 के बाद अब जाकर रीट का ये एग्ज़ाम हुआ था. अब कल के इस एग्ज़ाम में कुछ ऐसा हुआ, जो आज जमकर खबरें बना रहा है. दरअसल, कई सारे सेंटर्स में बहुत ही अजीब तरह से चेकिंग की गई. कहीं-कहीं पर तो कैंडिडेट्स के फुल स्लीव्स के कपड़े तक काट दिए गए. 'इंडिया टुडे' से जुड़े पत्रकार राकेश गुर्जर और प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, फतेहपुर शेखावटी और भीलवाड़ा के कुछ सेंटर्स में महिला कैंडिडेट्स के सलवार सूट की अस्तीन तक काट दी गई, ये चेक करने के लिए कि कोई किसी तरह से चीटिंग करने का इंतज़ाम लेकर तो नहीं पहुंचा है.

ऐसा क्यों हुआ?

हालांकि पुरुष कैंडिडेट्स की भी तगड़ी चेकिंग हुई. लेकिन सोशल मीडिया पर फुल स्लीव्स वाले कपड़ों को काटने वाले चेकिंग का मुद्दा काफी वायरल हो रहा है. राकेश गुर्जर की रिपोर्ट के मुताबिक, फतेहपुर शेखावटी के पौद्धार स्कूल में चेकिंग के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने एक महिला कैंडिडेट के सूट की फुल अस्तीन काट दी, उसके गहने उतरवाए और रिबन भी खुलवाया. अस्तीन काटने पर महिला के साथ आए परिवार वालों ने इसका जमकर विरोध भी किया. पुलिस से लड़ाई भी की. लेकिन समय रहते इस लड़ाई को शांत करवा लिया गया.

इसी तरह की चेकिंग भीलवाड़ा में भी देखी गई. प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां कुल 124 एग्ज़ाम सेंटर थे. कुल 29 हज़ार 203 कैंडिडेट्स यहां एग्ज़ाम देने आए थे. यहां पर भी चेकिंग के दौरान सूट या ब्लाउज़ की फुल स्लीव्स काटकर छोटी की जा रही थी, तो कहीं मन्नत के धागे काटे जा रहे थे. इसके अलावा महिलाओं के गहनें और चूड़ियां वगैरह भी उतरवाई जा रही थीं. महिलाओं की स्लीव्स काटने को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बातें हो रही हैं. लेकिन एग्ज़ाम कंडक्ट करवाने वालों का कहना है कि चेकिंग के अंतर्गत ये किया गया.

पहले कभी नहीं देखी ऐसी चेकिंग

रीट एग्ज़ाम के लिए जिस तरह की चेकिंग की गई, वो शायद ही हमने पहले कहीं कभी देखी थी. अधिकारियों और एग्ज़ाम कंडक्ट कराने वालों का सीधा यही कहना है कि वो किसी भी कीमत पर नकल से बचने के लिए ये सब कर रहे थे. हालांकि, हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि चीटिंग नहीं हुई. दरअसल, चीटिंग की भी काफी सारी घटनाएं सामने आई हैं. जैसे जोधपुर के एक एग्ज़ाम सेंटर में एक महिला, जो RAS की तैयारी कर रही थी, वो एक दूसरी महिला की जगह डमी कैंडिडेट बनकर एग्ज़ाम देने पहुंची थी. दोनों के बीच 5 लाख रुपए में सौदा हुआ था. वो महिला किसी तरह एग्ज़ाम हॉल में घुस तो गई थी, लेकिन जब डॉक्यूमेंट्स चेक किए गए, तो शक हुआ और पूछताछ में पोल खुल गई. वहीं अजमेर के एक एग्ज़ाम सेंटर में एक कैंडिडेट चीटिंग करने के लिए चप्पल में ब्लूटूथ डिवाइज़ फिट करके पहुंचा था. और भी कई सारी चीटिंग की खबरें इस एग्ज़ाम से सामने आई हैं.

इन घटनाओं के अलावा रीट एग्ज़ाम के कुछ ऐसे वाकये भी हमें देखने को मिले, जो एक सकारात्मक पहलू दिखाते हैं. जैसे भरतपुर के एक एग्ज़ाम सेंटर में एक लड़की ने एंबुलेंस के अंदर बैठकर एग्ज़ाम दिया. लड़की का नाम उर्मिला गोयल है. दरअसल, 5 सितंबर को उर्मिला के ऊपर बंदरों ने हमला कर दिया था, वो छत से गिर गई थीं, जिसकी वजह से उनकी कमर और पैर में फ्रैक्चर हो गया था. वो बैठ नहीं पा रही थीं. इसलिए उन्होंने प्रशासन से रिक्वेस्ट की, कि उन्हें एंबुलेंस के अंदर ही परीक्षा देने दी जाए. अच्छी बात तो ये है कि उर्मिला को परमिशन मिल गई और उन्होंने एंबुलेंस के अंदर से ये एग्ज़ाम दिया.

ये एग्ज़ाम टीचर्स की नियुक्ती के लिए था. टीचर्स वो होते हैं, जो बच्चों की नींव बनाते हैं. ऐसे में अगर ये टीचर्स खुद चीटिंग करके एग्ज़ाम दें, तो हम ज़ाहिर है ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि बच्चों को ये क्या सिखाएंगे.