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मणिपुर की पर्यावरण एक्टिविस्ट को सपा नेता ने विदेशी बताया, नस्लभेद पर क्लास लग गई

लिसिप्रिया ने ताजमहल की गंदगी फोटो पोस्ट की थी.

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लिसिप्रिया (लेफ्ट) और सपा नेता मनीष जगन (राइट)

लिसिप्रिया कंजुगम. पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. 10 साल की हैं. मणिपुर की रहने वाली हैं. बीते दिनों उन्होंने आगरा के ताजमहल की एक फोटो पोस्ट की थी. इस फोटो में सब तरफ प्लास्टिक का कचरा बिखरा दिख रहा है. उनकी इस फोटो को समाजवादी पार्टी के मीडिया कोऑर्डिनेटर मनीष जगन अग्रवाल ने ट्वीट किया. साथ में Licypriya Kangujam को विदेशी बता दिया. इस पर लिसिप्रिया ने उन्हें जवाब दिया है और सोशल मीडिया पर लोग सपा नेता पर नस्लभेदी होने के आरोप लगा रहे हैं.

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सबसे पहले लिसिप्रिया की पोस्ट देखिए. लिसिप्रिया ने ताजमहल  के पीछे के हिस्से की एक फोटो पोस्ट की. इस फोटो में वो नदी के किनारे खड़ी हैं, बैकड्रॉप में ताजमहल दिख रहा है और उनके चारों तरफ कचरा ही कचरा दिख रहा है. फोटो के साथ लिसिप्रिया ने लिखा,

“ताजमहल की खूबसूरती के पीछे! शुक्रिया इंसानों. आप जब ताजमहल आएं तो हो सकता है कि आप ये सीन देखें. आप कहेंगे कि ये कितना प्रदूषित है लेकिन आपके एक पॉलिथीन बैग, पानी की एक प्लास्टिक की बोतल से ये हालात पैदा हुए हैं. हर साल कई मिलियन लोग ताजमहल देखने आते हैं.”

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उनकी इस फोटो को पोस्ट करते हुए सपा नेता ने लिखा था,

विदेशी पर्यटक भी भाजपा शासित योगी सरकार को आईना दिखाने को मजबूर हैं. बीजेपी की सरकार में यमुना जी गंदगी से भरी पड़ी हैं. ताजमहल की खूबसूरती पर ये गंदगी एक बदनुमा दाग है. विदेशी पर्यटक द्वारा सरकार को आईना दिखाना बेहद शर्मनाक है, भारत और यूपी की ये छवि भाजपा सरकार ने बनाई है.

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इसके बाद कई लोगों ने मनीष जगन पर नस्लभेद का आरोप लगाया. लिसिप्रिया ने इस ट्वीट पर लिखा कि वो भारतीय हैं. इसके बाद अपने ट्वीट के लिए माफी मांगने या ट्वीट हटाने की जगह मनीष जगन ने फिर से एक ट्वीट किया. बताया कि एक न्यूज़ चैनल में लिसिप्रिया को विदेशी पर्यटक बताया गया था, इस वजह से उन्होंने भी वैसा ही लिख दिया. उन्होंने एबीपी न्यूज़ की एक वीडियो क्लिप और हिंदुस्तान अखबार का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया. 

इसके बाद लिसिप्रिया ने अपनी उपलब्धियों की लिस्ट चस्पा करते हुए लिखा,

“10 साल की उम्र में मैंने UN में आठ बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है. इसलिए नहीं कि मुझे मेरे ही देश में विदेशी कहा जाए. नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ ऐसा नस्लभेद बंद कीजिए, ये किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है.”

भारत के उत्तर पूर्व के नागरिकों के साथ नस्लभेद का ये मामला पहला नहीं है. देश के दूसरे इलाकों में उनके साथ भेदभाव होता है, उन्हें अजीब नामों से बुलाया जाता है.चेहरे के फीचर्स को आधार बनाकर उन्हें देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले नागरिक अलग समझते हैं. जबकि वो उतने ही भारतीय हैं जितने देश के किसी और हिस्से में रहने वाले लोग.

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