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लड़की की शादी को लेकर पटना हाईकोर्ट का ये फैसला ज़रूर पढ़ लें

'अगर एक लड़की बालिग है, तो वो अपने मन से शादी करने या अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है.'

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कोर्ट ने कहा कि अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बाध्य है (फोटो - PixaBay/File)

पटना हाई कोर्ट ने अपने एक हालिया फ़ैसले में कहा कि एक लड़की, जो 18 साल से ज़्यादा की हो गई हो, वो अपनी पसंद से शादी कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि दो वयस्क लोगों को शादी करने के लिए परिवार, या समुदाय की सहमति की ज़रूरत नहीं है.  

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की डिविज़न बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की.  

'लिव-इन भी लड़की की इच्छा पर है'

बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक़, पटना के रहने वाले अमित राज ने पटना हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. कहा कि उसकी पत्नी को उसके माता-पिता ने कैद करके रखा है. क्योंकि वो लोग उनकी शादी से नाखुश थे. अमित राज ने अपनी याचिका में कहा कि नाराज़गी इतनी है कि उसे डर है कि परिवार की इज़्ज़त के नाम पर उसकी पत्नी की हत्या की जा सकती है. इसलिए कोर्ट ने महिला को पेश करने के आदेश दिए.

महिला को कोर्ट में पेश किया गया. महिला ने बेंच को बताया कि उसने अमित राज से अपनी मर्ज़ी से शादी की थी. और वो दोनों अपनी शादी से ख़ुश हैं.

इसके बाद अदालत ने पटना के SSP को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की पत्नी की सुरक्षा सुनिश्चित करें. एक महिला अधिकारी को अपॉइंट करें जो महिला के साथ संपंर्क में रहे. उसके द्वारा किए किसी भी फोन को प्रायॉरिटी दें. इसके अलावा अदालत ने कहा,

"अब ये पूरी तरह से साफ़ है कि अगर एक लड़की बालिग है, तो वो अपने मन से शादी करने या अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है. एक महिला को अपना साथी चुनने का अधिकार हमारा संविधान देता है. दो वयस्क व्यक्तियों के विवाह के लिए परिवार/कुल/समुदाय की सहमति ग़ैर-ज़रूरी है. ये पूरी तरह से आपकी इच्छा पर है."

कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि भले ही लिव-इन रिलेशन क्यों न हो, अगर दोनों वयस्क हैं और दोनों ने अपनी मर्ज़ी से साथ रहना चुना है, तो भी ऐसी ही होगा.

फ़ैसले में पटना और गोपालगंज पुलिस को भी ये भी निर्देश दिए गए हैं कि वो सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ये सुनिश्चित करें कि दोनों परिवारों को किसी भी तरह का ख़तरा न हो.