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पुरुषों, एक औरत को आज तुम सबसे थैंक्यू कहना है

तुम दुकानदार हो, रिक्शावाला हो, तुम डिलीवरी बॉय हो, दूध सब्जी वाले. तुम हर वो इंसान हो जिसे लड़कियां रोज 'भैया' कह तुम्हारी सर्विसेज लेती हैं.

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symbolic image. फोटो क्रेडिट: reuters
pp ka column साक्षी और सिंधू मैडल लाईं. सबने कहा, औरतों ने वो कर दिखाया जो पुरुष न कर पाए. पुरुषों ने कहा, औरतें इसलिए अच्छा पाईं क्योंकि उनके कोच मर्द थे. औरतों ने कहा, क्या आपने कभी ये सोचने की कोशिश की कि एक औरत कभी कोच क्यों न बन सकी? सोशल मीडिया के दौर में, बाढ़ से लेकर मेडल तक हर चीज एक कभी न रुकने वाली बहस का चारा है. बस मुंह में भरो, और हफ़्तों तक जुगाली करते रहो. और हर बहस का बस एक ही निष्कर्ष. औरतें कहती हैं पुरुष कभी नहीं बदलेंगे. पुरुष कहते हैं फेमिनिज्म पढ़-पढ़ औरतों का दिमाग ख़राब हो चुका है. तुम पुरुष हो. तुम्हें ख़राब लगता है जब कोई औरत कहती है कि सभी पुरुष एक से होते हैं. तुम्हें बुरा लगता है जब कुछ भद्दे पुरुषों के चलते तुम्हारी पूरी कौम को बुरा कहा जाता है. तुम कॉलेज से लेकर नौकरियों तक औरतों को यहां वहां मिलने वाली एक्स्ट्रा सुविधाओं से फ्रस्ट्रेट होते हो. तुम खुन्नस से भर जाते हो. जब लाख थके होने के बावजूद तुम मेट्रो में, बसों में खड़े रहते हो और एक तंदुरुस्त सी दिखने वाली औरत को बेजा सीट मिल जाती है.
मुझे पता है तुम्हें कैसा लगता है. और इसलिए मुझे जरूरी लगता है कि मैं तुमसे कहूं कि मैं तुमसे प्रेम करती हूं. सिर्फ मैं ही नहीं, हजारों, लाखों करोड़ों औरतें तुमसे प्रेम करती हैं. फिर वो तुमसे चिढ़ती क्यों हैं? क्योंकि उन्हें बीते हजारों सालों में वो प्रिविलेज, वो लग्जरी नहीं मिली है, जो तुम्हारे समुदाय को मिलती आई है.
जब तुम छोटे थे, मां ने तुम्हें छोटी-छोटी चीजों के लिए दौड़ाया. ये ले आओ, वो ले आओ. तुम खीजते, कि बहन क्यों नहीं जा सकती. तुम बड़े हुए, तो तुम्हें मैथ्स और साइंस पढ़ाया गया. मुमकिन है, ये तुम्हारी मर्जी के खिलाफ रहा हो. तुम डांसर बनना चाहते थे. या पेंटर बनना चाहते थे. तुम्हें एक्टिंग या फैशन डिजाइनिंग में इंटरेस्ट था. तुम सिंगर बनना चाहते थे, पर तुम वो न कर सके, क्योंकि तुम पुरुष थे. बहन ने आर्ट्स लिया. तुम्हें आज भी लगता है वो तो आसान सब्जेक्ट पढ़कर पास हुई. उसका क्या है, वो तो शादी कर के सेटल हो जाएगी. पूरी जिंदगी घिसना तो तुम्हें पड़ेगा. तुम्हें कई बार लगा, कि जिस कॉर्पोरेट जॉब में तुम हो, उससे रिजाइन कर दो. रोज-रोज नहीं झिलते तुमसे ये बॉस के टंटे. ये कंपनी के नियम. ये क्रीज वाली शर्ट पहनकर जाना. ये ऑर्डर लेते रहना. पर तुम्हारे पास ऑप्शन ही क्या था. लोग कहते, फलाने का लड़का इस उम्र में भी घर बैठा हुआ है. फिर घर की लायबिलिटी भी तो थी. तुम नौकरी छोड़ देते तो घर पर पैसे कौन देता. मुमकिन है तुम्हारी शादी भी जबरन की गई हो. ये कहकर कि मां को एक बहू चाहिए. तुम्हें कभी-कभी लगता है तुम औरत होते तो सबकुछ कितना बेटर होता, न.

सुनो, आज तुम्हें थैंक यू कहना है.

जब बच्चियां छोटी होती हैं, पापा बाइक पर घुमा-घुमा उन्हें एक-एक निवाला खिलाते हैं. कि वो कहीं भूखी न रह जाएं. लड़कों को स्कूल में डालने के पहले ज्यादा नहीं सोचते. लड़कियों को बेस्ट स्कूल में भेजते हैं. ताकि वो अच्छी एजुकेशन ले पाएं. कहते हैं बेटियों से ज्यादा दुलारा कोई नहीं होता पापा के लिए. जान छिड़कते हैं. तुम्हें भी तो कोई काम करवाना होता था तो बहन से कहलवाते थे, न? बहन बड़ी हुई तो तुम उसे पिक करने गए, वो जब-जब लेट हुई. फिर तुम बॉयफ्रेंड बने. गर्लफ्रेंड के पीरियड होते तो तुम उसे कितनी सारी चॉकलेट लाकर देते. कभी लड़ाई हो जाती तो खुद ही सॉरी बोल देते. तुम्हारे ऑफिस में लड़कियां काम करती हैं साथ में. तुम उनका खूब ख्याल रखते हो. कुछ तुम्हारी जूनियर हैं. कोशिश करते हो उनसे कभी रूडली बात न करो. हमेशा प्यार से समझाते हो. उन्हें जल्दी घर जाने देते हो. काम का ज्यादा प्रेशर नहीं डालते.
कोई लड़कियों को तंग करता है तो तुम्हें बुरा लगता है. रेप की ख़बरें सुनते हो तो खून खौल उठता है. अपनी मम्मी, बहन, पत्नी, गर्लफ्रेंड, बेटी से बहुत प्यार करते हो. उनके साथ कुछ बुरा होने के ख्याल से ही तुम्हारी रूह कांप जाती है. तुम एक अच्छे इंसान हो.
तुम दुकानदार हो, रिक्शावाला हो, कैब ड्राइवर हो, कारपेंटर, प्लमर हो. तुम डिलीवरी बॉय हो, दूध सब्जी, इस्त्री वाले, रद्दी वाले हो. तुम हर वो इंसान हो जिसे लड़कियां रोज 'भैया' कह तुम्हारी सर्विसेज लेती हैं. तुम वो बाउंसर, गार्ड या सिपाही हो, लड़कियां जिनके होने पर सेफ महसूस करती हैं. तुम उस लड़की के बॉयफ्रेंड हो, जिसके मां-बाप उसको बुरी बेटी कहकर खारिज कर देते हैं. तुम उस पत्नी के पति हो जिसके मां-बाप तुमसे उसकी शादी नहीं करवाना चाहते थे. तुम उस लड़की के बेस्ट फ्रेंड हो, जिसका बॉयफ्रेंड उसे पीटता था. तुम उस लड़की का प्यार हो, जो रोज अपने डिप्रेशन से बाहर आने की कोशिश करती है. तुमने उसे संभाला है. तुम पुरुष हो, तुम प्रेम हो. बात छोटी सी है, दोस्त. जो समाज लड़कियों को जंजीरों में कैद करता है, वही तुम्हें भी कैद करता है. जो समाज तुम्हें बचपन में दूध लाने बाहर भेजता था, वही तुम्हारी बहन को किचन में धकेलता था. जो तुम्हें मर्जी के खिलाफ नौकरी करने पर मजबूर करता है, वही लड़कियों को उनकी इच्छा से नौकरी नहीं करने देता. जो तुम्हें पेंटर, सिंगर नहीं बनने देता, वही समाज उन्हें खेलों, फ़ौज या पत्रकारिता में जाने से रोकता है. जो समाज तुम्हें बहन की 'रक्षा' करना सिखाता है, वही समाज बहन को इतना कमजोर बनाता ही कि उसे कहीं अकेले आने-जाने नहीं देता. जो समाज तुम्हें ऐसा बनाता है रेप की खबर पढ़कर तुम्हारा खून खौल उठे, वही समाज पुरुषों को रेप करने के लिए 'ट्रेन' करता है. पुरुषों, तुमसे किसी भी औरत की कोई बैर नहीं है. औरतों को हजारों साल से आज तक दबाया गया है. वो खुली हवा में सांस लेना चाहती हैं. और सच कहूं, उन्हें फर्क नहीं पड़ता तुम इसमें उनका साथ दो या न दो. अगर तुम भी यही चाहते हो कि अजीब सी नफरत खत्म हो, तो अपने लिए लड़ो. कह दो कि आज दूध बहन ले आएगी, मैं नाश्ता बनाऊंगा. कह दो कि मैं आर्टिस्ट बनना, लिटरेचर पढ़ना चाहता हूं. कह दो मैं घर हैंडल करूंगा, पत्नी नौकरी कर ले तो खर्च चल जाएगा. और कोई लड़की तुमसे कहे कि मर्द होकर घर बैठते हो, तो कह दो कि सदियों से औरतें घर का काम करती थीं. अब मेरी बारी है. औरतों की लड़ाई समाज से है, तुमसे नहीं. तुमसे प्रेम है.
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