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लता करे, जिन्होंने 62 की उम्र में वो कारनामा कर दिखाया कि फिल्म बनाने वाले दौड़े चले आए

गज्जब जज़्बा. हौसले से मुश्किलों को दी मात.

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बाएं से दाएं: लता भगवान करे की लाइफ पर बनी फिल्म का सीन. इस फिल्म में अपना किरदार लता ने खुद निभाया है.

साल- 2014. जगह- बारामती, महाराष्ट्र क्या हुआ?- 62-63 साल की एक औरत दौड़ी. नंगे पांव दौड़ी. ऐसा दौड़ी कि हर कोई देखता रह गया. ऐसा दौड़ी कि जीतने के बाद ही रुकी.

कौन थी ये औरत?

लता भगवान करे. महाराष्ट्र के बारामती ज़िले के एक गांव में रहती हैं. अभी 68 साल की हैं. मैराथन रनर के नाम से जानी जाती हैं. साल 2014 तक कोई उनका नाम नहीं जानता था, लेकिन उस साल कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने मैराथन रेस में हिस्सा लिया, जीत हासिल की और हर कोई उन्हें जानने लगा. दरअसल, उस साल लता के पति काफी बीमार हो गए थे. उनके इलाज के लिए पैसे नहीं थे. पैसे पाने के लिए ही लता ने मैराथन में हिस्सा लिया था.

पूरी कहानी

लता और उनके पति भगवान वैसे तो बुलधाना जिले के हैं, लेकिन काम के मकसद से बारामती में शिफ्ट हो गए थे. वहां भगवान सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करने लगे और लता लोगों के खेतों में. तीन बेटियां और एक बेटा था. किसी तरह पैसे जोड़कर बच्चों की शादी करवाई. बेटे के पास कोई परमानेंट नौकरी नहीं थी, इसलिए सभी की थोड़ी-बहुत कमाई से घर चलता था.


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लता करे दूसरे के खेतों में काम करती थीं. उनकी फिल्म का एक सीन.

2014 में भगवान की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें चक्कर आने लगे और छाती में दर्द की शिकायत होने लगी. डॉक्टर्स ने MRI कराने को कहा. इस टेस्ट के लिए लगने थे पांच हज़ार रुपए. लता के पास इतने पैसे नहीं थे. उन्हें कहीं से पता चला कि बारामती में मैराथन होने वाली है. जीतने वाले को पांच हज़ार रुपए का इनाम मिलेगा. लता कहती हैं,

'गांव वालों ने भी कहा कि दादी तुम बहुत चलती हो, रेस में हिस्सा ले लो.'

लता ने लोगों के सुझाव पर रेस में भाग लिया. साड़ी और चप्पल पहनकर रेस में भागने के लिए पहुंच गईं. दौड़ शुरू हुई, तो कुछ देर बाद लता की चप्पलें टूट गईं. उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया. बस भागती गईं और आखिर में रेस जीत ली. इनाम के पैसे मिले, तो पति का इलाज कराया. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, लता कहती हैं,

'मैंने जब सुना कि जीतने वाले को पांच हज़ार मिलेंगे, तो सोचा कि अगर मैं जीत गई, तो पति का इलाज करा सकूंगी. इसलिए मैंने दौड़ने का फैसला किया. मुझे नहीं पता था कि रनिंग क्या है, लेकिन मैं सबसे पहले रेस खत्म करना चाहती थी. मैं फिनिश लाइन से दूर थी, तभी सब तालियां बजाने लगे. तब मुझे लगा कि मैं ये जीत सकती हूं. मुझे अब पांच हज़ार रुपए मिलेंगे.'


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लता और उनके पति भगवान.

लता ने 2014 में तीन किलोमीटर की मैराथन में हिस्सा लिया था. जीत मिली, तो हिम्मत आई. अब तक कई बार मैराथन दौड़ चुकी हैं, कई शील्ड, प्राइज़ अपने नाम कर चुकी हैं.

फिल्म भी बन गई

लता की लाइफ पर फिल्म भी बन चुकी है. नाम 'लता भगवान करे'. अभी 17 जनवरी को ही फिल्म रिलीज़ हुई थी. डायरेक्टर हैं नवीन देशाबोइना. फिल्म मराठी भाषा में बनी थी. लता ने ही अपने किरदार को निभाया था. वो कहती हैं,

'मैं बस पैसे कमाना चाहती थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिल्म में काम करने का मौका मिलेगा.'

क्या कहते हैं भगवान?

लता के पति उनके आभारी हैं और उन पर गर्व करते हैं. वो कहते हैं कि लता ने अपने बारे में नहीं सोचा और उनके इलाज के लिए नंगे पांव दौड़ गईं. साथ ही वो इस बात से दुखी भी हैं कि लता को इस उम्र में ये सब करना पड़ा.



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