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कुछ पुरुष हर वक्त चिड़चिड़े और बिना वजह गुस्सा क्यों रहते हैं?

पुरुष भी चिड़चिड़ापन, घबराहट, डिप्रेशन और सुस्ती का सामना करते हैं. डॉक्टर से जानते हैं ऐसा क्यों होता है.

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पुरुषों का चिड़चिड़ा व्यवहार एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शुरुआती लक्षण भी होता है.

महिलाओं को हर महीने पीरियड्स आने से पहले PMS की समस्या होती है. PMS यानी 'प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम'. PMS की वजह से महिलाओं को मूड स्विंग्स होते हैं. ऐसा होने पर वे कभी खुश, कभी गुस्सा, कभी उदास तो कभी चिड़चिड़ी हो जाती हैं. ये दिक्कत पीरियड्स आने से करीब 1 दिन पहले शुरू हो जाती है. इसकी वजह है हॉर्मोन्स. अब ये चिड़चिड़ापन सिर्फ महिलाओं में नहीं पुरुषों में भी देखा जाता है. वे भी बात-बात पर या बिना वजह के गुस्सा हो जाते हैं. पुरुष भी चिड़चिड़ापन, घबराहट, डिप्रेशन और सुस्ती का सामना करते हैं. तो क्या पुरुषों के साथ भी PMS की समस्या हो रही है, लेकिन पुरुषों को पीरियड्स नहीं आते? तो फिर ऐसा हो क्यों रहा है, चलिए डॉक्टर से जानते हैं.  

इरिटेबल मेल सिंड्रोम क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर श्वेता शर्मा ने.

(डॉ श्वेता शर्मा, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, फाउंडर-मानसा ग्लोबल फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ)

- फिलहाल 'इरिटेबल मेल सिंड्रोम' (Male Irritable Syndrome)  जैसी कोई भी बीमारी डायग्नोस्टिक क्लासिफिकेशन में नहीं आई है.

- डायग्नोस्टिक क्लासिफिकेशन का मतलब है सभी शारीरिक या मानसिक बीमारियों की पहचान करना.

- इसके बाद इन्हें अलग-अलग कैटेगरी (श्रेणी) में बांटा जाता है.

- इसी एक आधार पर लक्षणों की पहचान कर बीमारी का इलाज किया जाता है.

- फिलहाल सिर्फ कुछ शोधकर्ताओं ने ही 'मेल इरिटेबल सिंड्रोम' शब्द का इस्तेमाल किया है.

- 'मेल इरिटेबल सिंड्रोम' की तुलना महिलाओं के 'प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम' (PMS) से भी की जाती है.

- कुछ लोगों का मानना है कि टेस्टोस्टेरोन कम होने से पुरुष चिड़चिड़े हो जाते हैं.

- लेकिन ऐसी कोई बीमारी नहीं है.

कारण

- हाल ही में 40 से 50 साल की उम्र के पुरुषों में चिड़चिड़ापन बढ़ने के मामले देखें गए हैं.

- लेकिन इसका कारण सिर्फ टेस्टोस्टेरोन कम होना नहीं है, बल्कि कई सारी वजह से ऐसा हो रहा है.

- इनमें भी सबसे बड़ा कारण है 'वर्क लाइफ बैलेंस' में गड़बड़ी.

- 'वर्क लाइफ बैलेंस' का मतलब है पुरुषों की निजी जिंदगी कैसी है,

- क्या वे करियर में अच्छा कर रहे हैं, क्या वे अपने काम से खुश हैं?

- बाकी लोगों के साथ उनके रिश्ते कैसे हैं, क्या पुरुष इन रिश्तों से संतुष्ट हैं?

- इन सभी चीजों के कारण पुरुषों की शारीरिक और सेक्शुअल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.

- अगर ऐसा हो रहा है तो इस समस्या को ठीक किया जा सकता है.

- लेकिन इसकी तुलना महिलाओं की PMS की समस्या से करना ठीक नहीं.

- महिलाओं की तरह पुरुष महीनों के सिर्फ कुछ दिनों में ही चिड़चिड़ा महसूस नहीं करते, बल्कि पुरुषों के चिड़चिड़ेपन की वजह उनके आसपास का माहौल और निजी जिंदगी है. और इसे ठीक किया जा सकता है.

लक्षण

- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना,

- बिना वजह गुस्सा करना,

- अच्छी चीजों को इंजॉय न कर पाना,

- ये सभी पुरुषों के चिड़चिड़े व्यवहार के लक्षण हैं.

- साथ ही ये सभी एंग्जाइटी और डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण भी होते हैं.

- ये बिगड़ती मेंटल हेल्थ के लक्षण हैं.

- ऐसा होने पर पुरुषों को मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए.

- सामाजिक व्यवस्था के कारण ज्यादातर पुरुष क्या महसूस कर रहे हैं ये नहीं बता पाते.

- इस वजह से वो चिड़चिड़े हो जाते हैं, जिसे नॉर्मल समझ लिया जाता है.

- सिर्फ पुरुष ही चिड़चिड़े नहीं होते बल्कि चिड़चिड़ापन किसी को भी हो सकता है.

- कई बार बातें साझा करने से काफी सारे भ्रम दूर हो जाते हैं.

- जब भी पुरुष चिड़चिड़ा महसूस करें, तुरंत किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास जाएं.

इलाज

- इस समस्या का व्यवहार थेरेपी के जरिए किया जाता है.

- चिड़चिड़े व्यवहार के इलाज में किसी दवाई की जरूरत नहीं है.

- क्योंकि चिड़चिड़ापन एक मानसिक स्थिति है.

- इसमें व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो रहा है और इसका सामना कैसे करना है ये नहीं समझ पा रहा है.

- इस समस्या के इलाज में थेरेपी के जरिए यही बातें बताईं जाती हैं.

- साथ ही मरीज को ये बताया जाता है कि किन चीजों से वो चिड़चिड़ापन महसूस कर रहा है.

- इस समस्या के मरीज सिर्फ पुरुष हो ये जरूरी नहीं, ये समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है.

- किन चीजों से चिड़चिड़ा महसूस कर रहें हैं और उनसे बिना चिड़े उनका सामना कैसे करें,

- यही इस समस्या का इलाज है.

- पहले थेरेपिस्ट या काउंसलर मरीज के माहौल, पर्सनैलिटी और परिवार की स्थिति को अच्छे से समझते हैं.

- फिर इसी के आधार पर मरीज को चिड़चिड़ेपन का सामना कैसे करना है ये बताया और समझाया जाता है.

- और चिड़चिड़ेपन की समस्या का इलाज इसी तरह से किया जाता है.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको ख़ुद से कोई दवाई लेने की सलाह नहीं देता.)