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पत्नी को गाली बकता था पति, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, 'निकलो घर से'

जब एक महिला अपने पति की उपस्थिति से डरती है, तो अदालत पति को ये निर्देश देकर नहीं बैठ सकती कि वो पत्नी को परेशान न करे.

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हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'डार्लिंग्स' की कहानी घरेलू हिंसा पर बात करती है. सांकेतिक फोटो/यूट्यूब स्क्रीनग्रैब.

मद्रास हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ गाली-गलौज करने वाले एक शख्स को घर से निकालने का फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर घर की अशांति की वजह पति है और उसकी वजह से परिवार के दूसरे लोग परेशान हो रहे हैं, तो उसे घर से निकाल दिया जाना चाहिए. जस्टिस आरएन मंजुला ने 16 अगस्त के अपने फैसले में ये भी कहा कि घरेलू हिंसा के मामलों में अदालतों को ऐसे फैसले देने चाहिए जो महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करते हों.

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जस्टिस मंजुला (Justice Manjula) ने कहा,

“अगर पति को घर से निकालने से घर की शांति सुनिश्चित होती है तो अदालतों को ऐसे फैसले देने चाहिए. इससे फर्क नहीं पड़ता कि पति के पास रहने के लिए दूसरी जगह है कि नहीं. अगर है तो अच्छी बात है, नहीं है तो अपने लिए दूसरा घर ढूंढने की जिम्मेदारी भी उसी की होगी.”

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मद्रास हाईकोर्ट(Madras High Court) ने किस मामले में पति को घर से निकाला?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, वी अनुष्का नाम की एक महिला ने अपने पति बी कृष्णन के खिलाफ याचिका लगाई थी. अनुष्का पेशे से वकील हैं. अनुष्का ने अपनी याचिका में पति को घर से निकालने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसके बाद अनुष्का ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई. उन्होंने अपनी याचिका में कहा,

"मेरे पति का रवैया मुझे और मेरे काम को लेकर सही नहीं है. वो अक्सर मुझे गाली देता है. मुझे प्रताड़ित करता है. मेरे साथ बदसलूकी करता है. जिससे घर में अशांति बनी रहती है. मेरे बच्चों के सामने ये सब होता है तो वो भी परेशान रहते हैं. मेरे पति को घर पर रहना पसंद भी नहीं है. अक्सर बाहर ही रहता है. मेरे पति के हिसाब से एक आदर्श पत्नी वही है जो हमेशा घर में रहे,घर के काम करे. अगर कोई महिला काम करने बाहर जाए तो उसके हिसाब से वो आदर्श पत्नी नहीं है."

सुनवाई के दौरान आरोपी पति ने कहा कि एक आदर्श मां की जिम्मेदारी है कि वो घर में रहकर बच्चों की देखभाल करे और घर के काम करे. बाहर काम न करे.

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दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद जस्टिस मंजुला ने पति को दो हफ्ते के अंदर घर से निकल जाने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पति को एक ही घर में रहने देना और उससे ये कहना कि वो घर के दूसरे लोगों को परेशान नहीं करेगा, ये प्रैक्टिकल नहीं है. कोर्ट ने कहा कि एक महिला अगर अपने पति की उपस्थिति से डरती है, तो अदालतें पति को ये निर्देश देकर नहीं बैठ सकती हैं कि वो पत्नी को परेशान न करे. जस्टिस मंजुला ने कहा,

“एटम बम के फटने के डर में रह रहे व्यक्ति के लिए राहत ये होगी कि बम को उसकी नज़र से दूर कर दिया जाए.”

महिला के काम पर पति आपत्ति को लेकर भी कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए. जस्टिस आरएन मंजुला ने कहा, 

“अगर एक महिला स्वतंत्र रहना चाहती है, हाउसवाइफ होने के अलावा भी कुछ करना चाहती है और अगर पति को ये बात बुरी लगती है तो ये महिला के जीवन को भयावह बना देता है. उसके व्यक्तिगत, पारिवारिक और प्रोफेशनल क्षेत्रों पर इसका असर पड़ता है. पत्नी के प्रोफेशनल कमिटमेंट्स को लेकर समझ और सम्मान में कमी के चलते पति ने उसके प्रति एक नकारात्मक रवैया अपना लिया.”

जस्टिस मंजुला ने कहा कि इस तरह का रवैया दो लोगों के साथ रहने में मुश्किलें खड़ी करता है, बच्चों को भी परेशान करता है. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर पति तय समयसीमा में घर नहीं छोड़ता है तो पत्नी सुरक्षा के लिए पुलिस के पास जा सकती है.

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