The Lallantop

पत्नी को 'जीवनभर की टेंशन' मान रहे लड़के, 'यूज़ एंड थ्रो' के चलते बर्बाद हो रहा शादी का कल्चर- केरल HC

शक करना पत्नी का आम व्यवहार है: केरल हाईकोर्ट

Advertisement
post-main-image
'यूज़ एंड थ्रो' कल्चर ने शादी और रिश्तों को बुरी तरह बर्बाद किया है- केरल हाईकोर्ट

आजकल की युवा पीढ़ी शादी को बुराई की तरह देखती है. उन्हें लगता है कि बिना किसी जिम्मेदारी और फर्ज़ के आज़ाद ज़िंदगी जीना है तो शादी न करना ही ठीक है. पहले  ‘WIFE’ का मतलब ‘Wise Investment For Ever’ होता था. अब की युवा पीढ़ी इसे ‘Worry Invited For Ever’ की तरह देखती है.

आप इसे वॉट्सऐप फॉरवर्ड या किसी रिश्तेदार की फेसबुक पोस्ट का टीपा हुआ मैसेज समझें, उससे पहले हम ये स्पष्ट करते चलें कि ये टिप्पणी केरल हाईकोर्ट की है.

Advertisement

तलाक के लिए पति की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ए मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस की पीठ ने ये बात कही. बेंच ने कहा कि 'यूज़ एंड थ्रो' कल्चर ने शादी और रिश्तों को बुरी तरह बर्बाद किया है. लिव इन रिलेशनशिप कल्चर भी इसलिए बढ़ रहा है.

लिव इन रिलेशनशिप पर केरल हाईकोर्ट ने क्या कहा?

दरअसल होईकोर्ट की बेंच एक पति-पत्नी के मामले में सुनवाई कर रही थी.

Advertisement

पति ने कोर्ट में तलाक की अर्ज़ी डाली थी. 'क्रूरता' को आधार बनाते हुए पति ने कहा कि पत्नी उसके साथ गलत व्यवहार करती है. ये भी आरोप लगाया कि पत्नी उसपर लगातार शक करती है कि उसके अवैध संबंध हैं. वहीं पत्नी का कहना है कि वो कभी हिंसक नहीं हुई और उसने कभी पति के साथ मारपीट नहीं की.

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा,

"गॉड्स ऑन कंट्री कहा जाने वाला केरल अपने पारिवारिक संबंधों के लिए प्रसिद्ध था. लेकिन आज की पीढ़ी स्वार्थ और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के कारण रिश्ते तोड़ देती है, बच्चों की परवाह  नहीं करती. तबाह परिवारों की चीखें पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोरती हैं. जब लड़ते-झगड़ते कपल, मां बाप के बिना बड़े हुए बच्चे और तलाकशुदा लोगों की संख्या बढ़ जाती है तो इसका असर समाज की शांति पर भी पड़ता है और ये सामाजिक विकास में भी बाधा बनता है."

Advertisement
'शक करना पत्नी का आम व्यवहार है'

फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा,

“अगर पत्नी के पास शक करने के लिए कोई वैध कारण है और वो उस आधार पर सवाल करती है, अपना दुख जताती है तो इसे एब्नॉर्मल बिहेवियर नहीं कहा जाएगा. ये किसी पत्नी का आम व्यवहार है. इसे 'क्रूरता' नहीं कहा जा सकता और इसे आधार बनाकर तलाक नहीं लिया जा सकता.”

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि कोई व्यक्ति अपनी गलत हरकतों को सही नहीं ठहरा सकता. पति-पत्नी के बीच के सामान्य झगड़ों को 'क्रूरता' कहना गलत होगा. कोर्ट ने पति की अर्ज़ी खारिज कर दी और तलाक लेने की अनुमति नहीं दी. इससे पहले अलप्पुझ़ा फैमिली कोर्ट ने भी पति की तलाक की अर्ज़ी खारिज कर दी थी.

वीडियो: केरल हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप पर क्या कहा?

Advertisement