दरअसल, ट्विटर पर एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें CRPF जवान कंगना रनौत के लिए कार का गेट खोलते हुए दिख रहा है. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर लोग दो तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक तबका इसे जवानों का अपमान और टैक्सपेयर के पैसों की बर्बादी बता रहा है. वहीं दूसरा तबका इसे उस CRPF जवान का शिष्टाचार. पहले वीडियो पर नजर डालिए.
ड्रंक जर्नलिस्ट नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, "एक CRPF कमांडो, जो देश सेवा के लिए फोर्स में भर्ती हुआ होगा, उसे नफरत फैलाने वाली एक एक्ट्रेस के लिए दरवाजा खोलना पड़ रहा है. वो कमांडो उस एक्ट्रेस की सेवा में हर समय तैनात रहता है. कितनी शर्म की बात है!"
जोरावर सिंह नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, "आप कंगना के फैन हैं या नहीं. इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. लेकिन एक CRPF कमांडो एक्ट्रेस की इस तरह से सेवा कर रहा है, इसे देखकर दुख होता है."
वहीं कुछ दूसरे तरह के रिएक्शन भी आए. स्वामी एन गिरी नाम के यूजर ने लिखा, "वर्दी पहने हुए कमांडो को एक महिला के प्रति जिस तरह का शिष्टाचार दिखाना चाहिए, यह बिल्कुल उसी तरह का शिष्टाचार है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. यहां कंगना है इसलिए लोगों को दिक्कत है. अगर प्रियंका होतीं तो ये उनका अधिकार बताया जाता. तिल का ताड़ बनाया जा रहा है."
Kangana Ranaut की सिक्योरिटी अब बात करते हैं कंगना को मिली सरकारी सिक्योरिटी पर. साथ ही इसपर कि उनकी सिक्योरिटी पर कितना पैसा खर्च होता है. जिन लोगों को इस तरह की सिक्योरिटी मिलती है, क्या उन्हें अपनी जेब से भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं? सिक्योरिटी कितनी टाइप की होती हैं? इन सवालों के जवाब के बाद हम इसपर विचार करेंगे कि CRPF जवान की तरफ से कंगना के लिए कार का गेट खोलना कितना सही है और कितना गलत!
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कंगना को पिछले साल सितंबर में Y प्लस कैटेगरी की सिक्योरिटी मिली. यह सिक्योरिटी केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दी गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक कंगना एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में लगातार बयानबाजी कर रही थीं. जिसे लेकर महाराष्ट्र सरकार के नेताओं की तरफ से उनके ऊपर पलटवार किया जा रहा था. ऐसे में उन्हें सिक्योरिटी दी गई. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोक सभा में बताया कि कंगना रनौत को हिमाचल प्रदेश सरकार के कहने पर सिक्योरिटी दी गई.
कंगना की सिक्योरिटी में फिलहाल CRPF के 11 जवान तैनात हैं. दो हथियारबंद जवान उनके साथ हमेशा तैनात रहते हैं. इसके अलावा चार और हथियारबंद जवान शिफ्ट के आधार पर काम करते हैं. वहीं उनके घर की सुरक्षा में हमेशा एक जवान तैनात रहता है. यहां भी चार और जवान रोटेशन बेस पर काम करते हैं.

Kangana Ranaut को पिछले साल सितंबर में Y प्लस सिक्योरिटी मिली थी.
इस तरह की एलीट सिक्योरिटी केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दी जाती है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कंगना पहली बॉलीवुड स्टार हैं, जिन्हें ये सिक्योरिटी मिली है. इसी रिपोर्ट के अनुसार CRPF फिलहाल महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लगभग 60 लोगों को सिक्योरिटी दे रही है. इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी और उनकी संतानें, जो कांग्रेस नेता भी हैं, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं. किसी को सिक्योरिटी देना कैसे तय होता है? सरकारी और सिविल लाइफ में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को सिक्योरिटी देने के लिए गृह मंत्रालय अलग-अलग तरीकों से इनपुट जुटाता है. इनपुट जुटाने के लिए गृह मंत्रालय इंटेलिजेंस एजेंसियों का प्रयोग करता है. इनमें मुख्य तौर पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) जैसी एजेंसियां शामिल होती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये एजेंसियां अपने सोर्सेस से जानकारी इकट्ठा करती हैं और मंत्रालय को बताती हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकी संगठनों या दूसरे समूहों से कितना खतरा है. जानकारी जुटाने के तरीकों में फोन को इंटरसेप्ट करना, जासूसी करना और खुली धमकी का विश्लेषण करना शामिल है.
वहीं कुछ लोगों के पद इतने ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं कि उन्हें सिक्योरिटी दी ही जानी होती है. जैसे भारत के प्रधानमंत्री और उनका परिवार. देश के गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भी यह सिक्योरिटी मिलती है. यहां यह जानना भी जरूरी है कि हर एक वीआईपी व्यक्ति को एलीट सिक्योरिटी नहीं मिलती है. वहीं कुछ लोगों को बस राजनीतिक और कथित रुतबे की वजह से भी सिक्योरिटी दे दी जाती है. कितने टाइप की होती है सिक्योरिटी? सिक्योरिटी की कैटेगरी की अगर बात करें तो ये मुख्य तौर पर छह तरह की हैं. X, Y, Y प्लस, Z, Z प्लस और SPG.
1. SPG सिक्योरिटी अब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री और उनके परिवार को मिलती है. इसका लेवल सबसे हाई होता है.
2. वहीं X सिक्योरिटी बेसिक लेवल की सिक्योरिटी है. जिसमें केवल एक हथियारबंद जवान मुहैया कराया जाता है.
3. Y सिक्योरिटी में हर समय एक हथियारबंद जवान व्यक्ति के साथ तैनात रहता है. वहीं एक जवान घर की सुरक्षा करता है. घर की सुरक्षा के लिए चार और जवान तैनात किए जाते हैं, जो शिफ्ट पर काम करते हैं. Y प्लस सिक्योरिटी के बारे में हम आपको ऊपर बता चुके हैं.
4. Z सिक्योरिटी में 6 हथियारबंद जवान हर दम व्यक्ति के साथ रहते हैं. वहीं 10 जवान घर की सुरक्षा करते हैं.
5. Z प्लस सिक्योरिटी में 10 जवान साथ रहते हैं और 10 जवान घर की सुरक्षा करते हैं.

इन सिक्योरिटी कैटेगरी में भी अलग-अलग तरह के स्तर होते हैं. ऑफिस सिक्योरिटी से लेकर अंतरराज्यीय यात्रा तक. उदाहरण के लिए अगर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को माओवादियों से जान का खतरा है तो केंद्रीय गृह मंत्रालय उन्हें केवल उनके राज्य में Z प्लस सिक्योरिटी दे सकता है. दूसरे राज्य में जाने पर मुख्मंत्री की सुरक्षा वहां की पुलिस करेगी.

भारत के प्रधानमंत्री और उनके परिवार को SPG सुरक्षा मिलती है.
सिक्योरिटी में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF), सेंट्रल इंड्रस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF), सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) और इंडो तिब्बत बॉर्डर पोलिस (ITBP) के जवान शामिल होते हैं. केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए NSG कमांडो को तैनात किया जाता है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में NSG कमांडो के साथ-साथ CRPF और CISF के जवान तैनात होते हैं. खर्च का क्या सीन है? अब आतें है खर्च पर. जिन लोगों को ये सिक्योरिटी मिलती है, आमतौर पर उन्हें इसके लिए पैसे नहीं देने होते. सरकार पैसे खर्च करती है. हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस सिक्योरिटी के खर्च का कुछ हिस्सा व्यक्ति से ले भी सकती है. उदाहरण के लिए मुकेश अंबानी को साल 2013 में Z कैटेगरी की सुरक्षा मिली थी. IB ने इनपुट दिया था कि अंबानी की जान को खतरा है. तब केंद्र सरकार ने CRPF को आदेश दिया था कि वो मुकेश अंबानी से हर महीने 15 लाख रुपये ले.

Mukesh Ambani को 2013 में जब सिक्योरिटी दी गई थी, तो केंद्र सरकार ने CRPF को आदेश दिया था कि वो उनसे हर महीने 15 लाख रुपये ले.
इंडियन एक्सप्रेस की ही रिपोर्ट के मुताबिक Z और Z प्लस सिक्योरिटी मिलने पर व्यक्ति को जवानों को अपने यहां रहने के लिए स्थान भी देना होता है. कंगना की सिक्योरिटी पर सरकार को कितना खर्च करना पड़ रहा है, इसकी अगर बात करें तो इसे लेकर में जम्मू में रहने वाले रोहित चौधरी ने एक RTI डाली थी. द हिंदू की रिपोर्ट की मुताबिक जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी व्यक्ति की सिक्योरिटी पर कितना खर्च किया जा रहा, इसका ब्योरो वो नहीं रखता. जवान का गेट खोलना कितना सही, कितना गलत? जैसा कि ऊपर बताया गया कि कंगना के लिए जवान ने जो गेट खोला, उसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लोग पक्ष और विपक्ष में बंटे हुए हैं. ऐसे में इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हमने पुलिस सर्विस से जुड़े रहे एक रिटायर्ड सीनियर ऑफिसर से बात की. उन्होंने कहा-
"कंगना तो सिर्फ कार का गेट खुलवा रही हैं. बाकी नेता, खासकर यूपी और बिहार के नेता, जवानों को नौकर बनाकर रखते हैं. उनसे सब्जी मंगाते हैं. बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए कहते हैं. घर के दूसरे काम भी कराते हैं. इसलिए अगर कोई जवान कंगना के लिए गेट खोल रहा है, तो मैं स्तब्ध नहीं हूं."हमने उनसे पूछा कि कि सिक्योरिटी में तैनात जवानों के लिए आदर्श स्थिति क्या होनी चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने हमें बताया कि आदर्श स्थिति तो ये होनी चाहिए कि जवानों का प्रयोग केवल सिक्योरिटी के लिए हो. दूसरे कामों के लिए नहीं. उन्होंने कहा-
"ये जवान हथियारबंद होते हैं. मतलब उनका एक विशेष उद्देश्य है. यह उद्देश्य है कि सुरक्षा के गंभीर खतरों से निपटना. उनका फोकस यहीं रहने दिया जाना चाहिए. उन्हें नौकरों की तरह ट्रीट नहीं करना चाहिए. यह दुखद है. लेकिन ऐसा होता है."रिटायर्ड सीनियर पुलिस ऑफिसर ने भी बताया कि ये सिर्फ अर्धसैनिक बलों की दिक्कत नहीं है. बल्कि सेना में भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां जूनियर सैनिकों को नौकरों की तरह ट्रीट करने की बात सामने आई है.
इस मामले में हमने एक और सीनियर पुलिस अधिकारी से बात की. ये अधिकारी कई हाई प्रोफाइल लोगों की सुरक्षा में खुद तैनात रह चुके हैं. उन्होंने हमें गेट कंट्रोल के बारे में बताया-
उन्होंने बताया-
"सिक्योरिटी में गेट कंट्रोल एक महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट होता है. गाड़ी अगर लॉक है, तो ठीक है. नहीं तो व्यक्ति के बैठने से पहले गेट खोलने की जिम्मेदारी सिक्योरिटी कमांडो की होती है. ऐसे में कमांडो द्वारा गेट खोलने की घटना को किसी स्पॉट ब्यॉय या दरबान के व्यवहार की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक जिम्मेदारी होती है."उन्होंने यह भी बताया कि कई व्यक्ति अपनी सिक्योरिटी में तैनात जवानों से बहुत अच्छे तरीके से पेश करते हैं. उनके साथ ही खाना खाते हैं. उनके रहने और खाने का ख्याल रखते हैं.
तो एक CRPF जवान का कंगना के लिए गाड़ी का दरवाज़ा खोलना सही है या गलत, ये जजमेंट नहीं दिया जा सकता. हालांकि अपनी राय सभी दे सकते हैं. जैसे लोग ट्विटर पर दे ही रहे हैं. आपका क्या सोचना है?