सुतपा और इरफ़ान के दो बच्चे हैं- अयान और बाबिल. जब इरफ़ान ट्यूमर से जूझ रहे थे, तब सुतपा ने उनकी इस लड़ाई पर लगातार जानकारी देकर उनके फैन्स को अपडेट भी रखा था. (तस्वीर: nationalherald/biographia)
दिल्ली का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा. देश भर से खिंच-खिंच कर हर साल बच्चे यहां लाइन लगाते हैं. कुछ का लक्ष्य होता है यहां के रस्ते बॉलीवुड/मुंबई की टिकट कटाना. कुछ का लक्ष्य होता है अपनी एक्टिंग स्किल्स को निखारना, बारीकियां समझना. लेकिन ये मौका बहुत मुश्किल से मिलता है. क्योंकि साल में सिर्फ 26 सीट्स होती हैं यहां.

1985 का वो साल बेहद लकी था. क्योंकि एक नहीं, बल्कि दो जाबड़ कलाकार एक साथ उस साल NSD में साथ आए. पहली बार मिले. एक था जयपुर का मासूम-सा लड़का, जो चेहरे पर ठोस गंभीरता ओढ़े चलता था. जिसका मकसद था, मुंबई जाना और फिल्मों में काम करना. दूसरी थी दिल्ली की टॉपर लड़की. हर सब्जेक्ट में तेज. जिसका फिल्मों से कोई लेना-देना नहीं था. वो तो थिएटर टीचर बनने आई थी.
वो जगह जहां दोनों पहली बार मिले. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, जिसे अंग्रेजी में National School O f Drama या NSD कहते हैं. (तस्वीर: एनएसडी की आधिकारिक वेबसाइट)अपनी फ्रेशर्स पार्टी में दोनों मिले, और वहीं से दोस्ती शुरू हुई. इसके ठीक दस साल बाद दोनों शादी के बंधन में बंधे. ताउम्र साथ रहने का वादा तो पहले ही कर चुके थे. फिल्में करने के लिए मुंबई आया लड़का विदेशों तक नाम कमा लाया. और लड़की? उसने फिल्मों और टीवी के लिए लिखना शुरू कर दिया.
वो लड़का, जो एक साल पहले आज ही के दिन दुनिया छोड़ गया. उस वक्त एक साथ करोड़ों आंखें भींग गईं. अनगिनत हाथ आसमान की और उठे और एक दुआ निकली:
तू था, तू है, तू रहेगा.
वो लड़का जिसे दुनिया ने इरफ़ान के नाम से जाना. वो लड़की, जिसे लोग सुतपा सिकदर कहते हैं.

एनएसडी के दिनों में एक प्ले में अभिनय करते हुए इरफान और सुतपा. (फोटोः सुतपा)
चवन्नी चैप ब्लॉग को दिए इंटरव्यू में इरफ़ान और सुतपा ने बताया था कि किस तरह दोनों पहली बार मिले. इरफ़ान ने बताया -
‘मां चाहती थीं कि दिल्ली आने से पहले मेरा निकाह हो जाए. लेकिन मेरा मन नहीं था. जब पहली बार NSD आया तो पता चला कि लड़कियां भी दोस्त हो सकती हैं.’
दोनों एक-दूसरे को पसंद आए, तो बातचीत शुरू हुई. इरफ़ान को सुतपा की समझदारी पसंद आई, तो वे उनकी मासूमियत पर रीझ गईं. इंटरव्यू में सुतपा ने बताया,
‘मुझे कई दफा कोफ्त होती थी कि भला इस उम्र में कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है’.
सुतपा कहतीं, कि इरफ़ान की वजह से उनका घूमना फिरना हो जाता. वरना अकेले शायद वो ये नहीं कर पातीं.साथ में ग्रेजुएट हुए दोनों. साथ रहने लगे. शादी का ख्याल दिमाग में आया ही नहीं. ना उसकी ज़रूरत महसूस हुई. इरफ़ान सुतपा के घर आते-जाते रहते थे. जब 1992 में मुंबई दंगे हुए थे, तब माहौल खराब हो गया था. तब इरफ़ान ने सुतपा से कहा था,
‘अगर तुम्हारी मां चाहें तो मैं धर्म परिवर्तन कर सकता हूं’.
सुतपा की मां ने मना कर दिया. घर पर कोई नहीं पूछता था, कि शादी करोगे, या न करोगे. आखिर जब शादी की ज़रूरत महसूस हुई, तब कर ली. साल 1995 में. इरफ़ान ने बताया कि बड़े बेटे का जन्म होने वाला था, घर लेना था तो कागजों की खानापूर्ति भी करनी थी. इसलिए शादी की. वरना लिव-इन में तो कई सालों से रह ही रहे थे. सुतपा ने बताया,
‘मैं इनके परिवार में गई तो मेरी धारणाएं टूटीं. संयोग ऐसा रहा कि दिल्ली से होने के बावजूद इरफान के पहले मेरा कोई मुसलमान दोस्त नहीं था. इरफान पहले मुसलमान दोस्त हैं, जो बाद में मेरे पति हो गए. मेरे लिए सब नया था. मुझे थोड़ा सांस्कृतिक झटका जरूर लगा था.’
कहते हैं, परफेक्ट कुछ नहीं होता दुनिया में. हां, आइडियल ज़रूर हो सकता है. वैसी ही आइडियल जोड़ी सुतपा और इरफ़ान की रही. थिएटर के दिनों में भी सुतपा इरफ़ान की सबसे बड़ी क्रिटिक थीं. ये बाद में भी बना रहा. जब 1993 में
‘बनेगी अपनी बात’ टीवी शो के लिए उन्होंने साथ में राइटर-डायरेक्टर के तौर पर काम किया, तब खूब बहसें भी हुईं आपस में. लेकिन एक-दूसरे का संबल बन कर खड़े रहना एक ऐसा वादा था, जिससे कोई नहीं मुकरा.
सुतपा को इरफ़ान एक बार 'गंगा जमना' फिल्म दिखाने ले गए थे जो उन्हें पसंद नहीं आई थी. धीरे धीरे उन्हें कमर्शियल सिनेमा पसंद आना शुरू हुआ . सुतपा ने खामोशी, शब्द, सुपारी जैसी फिल्मों के लिए लिखा. लेकिन चूंकि फिल्मों को लेकर उनका झुकाव कम था, इसलिए ज्यादा काम किया नहीं उन्होंने इंडस्ट्री में. इंटरव्यू में उन्होंने बताया.
‘मुझे कोई अफसोस नहीं रहा कि मैंने काम छोड़ दिया. मैं टीवी पर एक्टिव थी. बाद में टीवी पर कुछ करने लायक रह नहीं गया.’
उन्होंने माना कि वो फिल्म के लिए जरूरी नेटवर्किंग नहीं कर पाईं. स्टारों से दोस्ती नहीं की.
‘शब्द’ फिल्म की शूटिंग में भी एक दिन नहीं गईं. लेकिन अपने इरफ़ान के लिए हर वो चीज़ जोड़-जोड़ कर हासिल की, जो वो चाहते थे. दोनों को ही नेचर से बड़ा लगाव रहा. खुले-खुले में जीने की इच्छा थी. तो ऐसी जगह घर लिया, जिसके आस-पास कोई दूसरा मकान नहीं था.
सुतपा के बारे में पूछे जाने पर इरफ़ान ने कहा था, 'मैं लड़ रहा हूं, इसकी बहुत बड़ी वजह ये हैं'. (तस्वीर: Getty Images)2018 में इरफ़ान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर डिटेक्ट हुआ. ये एक बहुत ही रेयर बीमारी है, जिसके बारे में जानकारी वैसे भी कम उपलब्ध है. इसके बाद वो विदेश चले गए अपना इलाज करवाने के लिए. वहां से लौटे तो अंग्रेजी मीडियम फिल्म की. उसी के दौरान उन्होंने मुंबई मिरर को एक इंटरव्यू दिया.
उस इंटरव्यू में उन्होंने कहा,
‘सुतपा के बारे में क्या कहूं. वो 24 घंटे सातों दिन मेरे लिए मौजूद होती है. अगर मैं जी पाता हूं, तो मैं उसके लिए ही जीना चाहूंगा. वो इकलौती वजह है, कि मैं अब भी जीने की कोशिश में लगा हुआ हूं’.
वीडियो: जब इरफान खान ने फैंस के आगे दिल खोलकर रख दिया