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हार्ट ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है और इसके खतरे क्या हैं?

वो सर्जरी जिसमें मरे हुए इंसान का दिल जिंदा इंसान को लगाया जाता है.

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मरीज़ के शरीर में मौजूद धमनियों का कनेक्शन नए दिल से किया जाता है
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

बात साल 2016 की है. एक एम्बुलेंस पुणे से मुंबई के लिए रवाना हुई. आमतौर पर ये सफ़र तय करने में उसे तीन घंटे का समय लगता. पर इस एम्बुलेंस के लिए दोनों शहरों के बीच एक ग्रीन कोरिडोर तैयार किया गया. इसकी मदद से ये एम्बुलेंस पुणे से मुंबई केवल मात्र एक घंटा 35 मिनट में पहुंच गई. अब इस एम्बुलेंस में ऐसा ख़ास क्या था, कि आज भी इसकी बात होती है? इस एम्बुलेंस में था एक धड़कता हुआ दिल. मुंबई में रहने वाले 14 साल के बच्चे के लिए.
ऐसा पहली बार था कि हिंदुस्तान में हार्ट ट्रांसप्लांट करने के लिए एक दिल एम्बुलेंस से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया गया था.
हार्ट ट्रांसप्लांट यानी एक मृत इंसान के शरीर से उसका दिल निकालकर किसी दूसरे इंसान में लगाना. अब ऐसे में एक सवाल उठता है. अगर दिल देने वाला इंसान मर चुका है तो उसका दिल काम करना बंद कर चुका होगा. ऐसे में किसी दूसरे इंसान में ये दिल कैसे लगाया जा सकता है. इसका जवाब है कि हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए वही दिल इस्तेमाल किया जा सकता है जो अभी भी धड़क रहा हो. जिंदा हो. इसलिए दिल उसी इंसान का लिया जाता है जो ब्रेन डेड हो. यानी उसे मेडिकली मृत घोषित कर दिया गया हो, ब्रेन के मरने के कारण.
देखिए. दिल का अपना एक इलेक्ट्रिकल सिस्टम होता है. ये इसी इलेक्ट्रिकल सिस्टम के कारण है कि दिल धड़कता है और खून पंप करता है. ब्रेन डेड होने बाद भी, ऑक्सीजन मिलने तक दिल धड़कता रहता है. अगर इसे शरीर से निकाल लिया जाए, तो भी ये ऑक्सीजन मिलने पर कुछ घंटों तक के लिए जिंदा रहता है. इसलिए दिल निकालने और उसे नए शरीर में लगाने के बीच ज़्यादा देरी नहीं की जाती है. डोनर के शरीर से दिल निकालने के बाद उसे एक तरह के सलूशन में रखा जाता है. इसे मेडिकल भाषा में Cardioplegia कहा जाता है. आसान भाषा में समझें तो कुछ समय के लिए दिल को फ्रीज़ कर दिया जाता है ताकि वो मरे नहीं. नए इंसान के शरीर में लगाने से पहले उसे सलूशन से निकाला जाता है. जिंदा किया जाता है. और सर्जरी होती है.
हिंदुस्तान में हार्ट ट्रांसप्लांट के कई केसेस हो चुके हैं. ये अपने आप में बहुत हैरतअंगेज सर्जरी है. सोचिए. एक इंसान का धड़कता हुआ दिल उसके शरीर से निकालकर किसी दूसरे इंसान में लगाना. यहां, एक बात साफ़ कर दें. दिल उसी इंसान का लिया जाता है, जिसने अपनी मर्ज़ी से या उसके परिवार ने अपनी मर्ज़ी से दिल डोनेट करने का फ़ैसला किया हो. हम हार्ट ट्रांसप्लांट के कानूनी दांव-पेंच में नहीं जाएंगे. हम सेहत पर बात करेंगे हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी की. एक ऐसी सर्जरी जो बचा सकती है किसी की जान. तो सबसे पहले डॉक्टर्स से जानते हैं कि हार्ट ट्रांसप्लांट की ज़रूरत किसे पड़ती है और ये कैसे किया जाता है? हार्ट ट्रांसप्लांट की ज़रूरत क्यों पड़ती है? ये हमें बताया डॉक्टर नित्यानंद त्रिपाठी ने.
Dr. Nityanand Tripathi | Cardiac Sciences, Non-Invasive Cardiology, Interventional Cardiology Specialist in Shalimar Bagh - Fortis Healthcare डॉक्टर नित्यानंद त्रिपाठी, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली


-कुछ लोगों में दिल की बीमारी के कारण हार्ट काफ़ी कमज़ोर हो जाता है.
-उसका इलाज संभव नहीं हो पाता है.
-दिल इतना कमज़ोर हो जाता है कि दवाइयां और मशीन काम नहीं करतीं.
-इसलिए मरीज़ के शरीर में दूसरा दिल लगाना ही एक रास्ता बचता है.
-ये हार्ट ट्रांसप्लांट का सबसे बड़ा कारण है. हार्ट ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है? -हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए मरीज़ में किसी दूसरे इंसान का दिल लगाया जाता है.
-ज़ाहिर सी बात है, एक मृत इंसान का दिल लगाया जाता है.
-मरीज़ के शरीर से उसका दिल निकालकर, डोनर का दिल वहां लगाया जाता है.
-मरीज़ के शरीर में मौजूद धमनियों का कनेक्शन नए दिल से किया जाता है.
-इसके बाद नया दिल स्पीड से काम करना शुरू कर देता है. रिस्क -हार्ट ट्रांसप्लांट के दौरान रिस्क रहता है क्योंकि ये एक बड़ी सर्जरी है.
-क्योंकि दूसरे का हार्ट लिया जाता है, ऐसे में मरीज़ का शरीर उसे रिजेक्ट कर सकता है.
-इसको इम्यून रिजेक्शन कहा जाता है.
Heart transplant and personality change मरीज़ के शरीर में मौजूद धमनियों का कनेक्शन नए दिल से किया जाता है


-अब इम्यून रिजेक्शन न हो, इसके लिए इम्युनिटी को दबाया जाता है.
-यानी इम्युनिटी को कम किया जाता है.
-ऐसे में इन्फेक्शन का चांस बढ़ जाता है.
-नए दिल में भी बीमारियां होने का चांस रहता है.
-इसलिए बहुत ध्यान रखने की ज़रूरत है. सावधानियां -हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले मरीज़ को अपने स्वास्थ का ध्यान रखना चाहिए.
-दवाइयां खाते रहें.
-अगर दिल में कोई मशीन लगवाने की सलाह दी गई है तो उसे लगवा लें.
-ताकि वो सर्जरी के लिए फिट रहे, जैसे ही डोनर हार्ट मिल जाए, ये सर्जरी की जा सके.
-आमतौर पर मैकेनिकल असिस्ट डिवाइसेस लगाई जाती हैं.
-LVAD (मैकेनिकल पंप) नाम की डिवाइस लगाई जाती है.
-ये मशीन खून पंप करने में दिल की मदद करती है.
-ताकि जब तक नया दिल न मिल जाए तब तक दिल का काम आर्टिफिशियल डिवाइसेस करे. ख़र्चा -हार्ट ट्रांसप्लांट एक महंगी सर्जरी है.
Heart Transplant at 27 - Consumer Health News | HealthDay हार्ट ट्रांसप्लांट के दौरान रिस्क रहता है क्योंकि ये एक बड़ी सर्जरी है


-इसका प्राइवेट अस्पताल में 25-30 लाख रुपए तक का ख़र्चा आ जाता है.
2016 में इंडिया टुडे में एक ख़बर छपी थी. उसके मुताबिक, 24 सालों में हिंदुस्तान में हार्ट ट्रांसप्लांट के केवल 350 केसेस रिपोर्ट हुए थे. वहीं लगभग 50,000 लोग हार्ट ट्रांसप्लांट होने के इंतज़ार में थे. हालांकि बीते कुछ सालों में हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी ने हिंदुस्तान में स्पीड पकड़ी है, पर अभी भी आंकड़े बेहद कम हैं. इसकी एक बड़ी वजह है सर्जरी की कीमत. दूसरी बड़ी वजह, डोनर्स की कमी. पर हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी जान बचाने में कारगर साबित हुई है. इसलिए जनता में इसकी सही जानकारी और सही मदद बेहद ज़रूरी है.

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