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पता नहीं जी कौन सा नशा करता है, यार मेरा इतने बुरे गाने कैसे लिखता है?

सरगुन मेहता-हार्डी संधू का नया गाना 'तितलियां वरगा' यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा है.

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हार्डी-संधू और सरगुन मेहता स्टारर तितलियां सॉंग बेहद पॉपुलर हुआ था. अब उसका दूसरा वर्जन आया है. उसके जवाब की तरह.
पिछले साल नवंबर में हार्डी संधू और सरगुन मेहता का एक गाना रिलीज हुआ था. तितलियां. अफ़साना खान ने गाया था. इस गाने का एक हिस्सा बहुत चला था सोशल मीडिया पर. पता नहीं जी कौन सा नशा करता है. यार मेरा हर एक से वफ़ा करता है. अब उसी गाने को कंटीन्यू करते हुए हार्डी संधू और जानी का नया गाना आया है. तितलियां वरगा. इस गाने में पिछले गाने का जवाब है– पता चला है जिस्मों का नशा करता है नए-नए फूलों से मज़ा करता है. हाल में ही रिलीज हुआ ये गाना ट्रेंडिंग है यूट्यूब पर. कई कमेंट्स लिख रहे हैं कि आखिर पता चल गया यार कौन सा नशा करता है. कुछ ऐसा ही हुआ था जब बाहुबली-2 रिलीज हुई थी. लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया था कि आखिरकार पता चल गया कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा. खैर. पिछले गाने में हार्डी संधू का किरदार मनचला दिखाया गया था. ऐसा कि वो सरगुन के किरदार को छोड़कर दूसरों के पीछे घूमता रहता है. उसका भरोसा तोड़ता है. और इस बात से सरगुन को काफी दुख होता है. सरगुन उससे शादी की तैयारी तक करके बैठी होती है. लेकिन हार्डी की हरकतें नहीं सुधरतीं. अंत में हारकर सरगुन अपनी शादी का जोड़ा और सिंदूर मिट्टी में दबा देती है. बाद में हार्डी को माफ़ भी कर देती है, लेकिन उसकी जिंदगी से चली जाती है. वीडियो देख लीजिए: अब इस नए गाने में बताया गया है कि प्रेमी को जिस्मों का नशा हो गया है. तितलियों की तरह कभी इस फूल तो कभी उस फूल पर जाता रहता है. इस गाने में भी पुराने गाने के विजुअल इस्तेमाल किए गए हैं. जहां पर सरगुन हार्डी को खींचकर ले जाती हैं. बेवफाई करने से रोकती हैं. लेकिन उसे फर्क नहीं पड़ता. गाने से परे ये कोई पहला नजरिया नहीं है गानों में लड़के की बेवफाई का. बहुत साल पहले अल्ताफ राजा ने गाया था- पहले तो कभी कभी गम था, अब तो हर पल ही तेरी याद सताती है. ऐ पगली तू क्यों रो रही है, कि गांव छोड़ना है मेरे मुकद्दर में. इस गाने में भी पति की बेवफाई झेलती लड़की पहले पूरी कोशिश करती है उसे सही रास्ते पर लाने की, लेकिन वो मानता नहीं. जब वो छोड़कर चली जाती है, तब पति को एहसास होता है कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी. अपनी ही बेवफाई के बाद अपने विक्टिम होने की बात करना थोड़ा सा अजीब नहीं लगता? वहीं जब लड़के बेवफाई का गाना गाते हैं, तो लड़की पर लालची, धोखेबाज़ होने का इल्ज़ाम दे देते हैं. लड़की के लिए माफ़ी कहीं नज़र नहीं आती. सहानुभूति पूरी तरह से लड़के के साथ नज़र आती है. तभी तो जब राजकुमार राव का कैरेक्टर गाता है , जो दिल में भरा तूने देखेगी उस ज़हर को भुगतेगी मेरे गम को मेरी आह के कहर को अपनी खुदगर्जी का अब अंजाम देखेगी ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी तब लोग उस पर सीटियां बजाते हैं. ‘बहुत हार्ड बहुत हार्ड’ कहकर तवज्जो देते हैं. ऐसे गानों में लड़के के लिए दिल में सहानुभूति जगाई जाती है. तितलियां गाने के पहले हिस्से में सरगुन मेहता का किरदार भी हार्डी को आखिर में माफ़ ही कर देता है. उसे सज़ा देने के बजाए वो उसकी बेड़ियां काटकर चली जाती है. वो इंतकाम की बात कहती हुई नज़र नहीं आती. लेकिन क्या लड़के माफ़ी दे पाते हैं? 2018 में गिप्पी ग्रेवाल का गाना आया था. सूरज. कहानी? एक आदमी है. उसकी एक बीवी/गर्लफ्रेंड है. दोनों का एक बच्चा भी है. विडियो में वो गाते हुए सुनाई देता है, ‘मैं सूरज वांगू पूरा सी तेरे नाल मिलन तों पहला, तू मिली ता चंद दे वांगू अद्धा रह गया’. मतलब, तुमसे मिलने से पहले मैं सूरज की तरह पूरा था. तुम मिली उसके बाद चांद की तरह आधा रह गया. क्यों? क्योंकि उसकी पत्नी इस विडियो में उसके साथ धोखा करती है. एक प्यार करने वाले अच्छे से पति/बॉयफ्रेंड को छोड़कर, उसके साथ हो रखे अपने बच्चे को छोड़कर किसी और के चक्कर में पड़ जाती है. उसी के चक्कर में अपने पति को मार देती है. अंत में एक मैसेज आता है कि बच्चों के भविष्य के सामने कभी कोई दूसरी चीज़ दांव पर नहीं लगानी चाहिए. इस पूरे वीडियो में औरत बेवफा दिखाई गई है. अमनिंदर पाल सिंह 'एमी' विर्क जाने-माने पंजाबी गायक हैं. इनका एक गाना है तारा. इसमें हिमांशी खुराना ने बेवफ़ा पत्नी का किरदार निभाया है. इसमें भी पुरुष एक बिचारे की सूरत में नज़र आता है, जिसे उसकी पत्नी ज़हर देकर मार देती है. इस गाने के बोल कहते हैं,
मैंने एक तारा टूटता हुआ देखा जो मेरे जैसा था. चांद को कोई फर्क नहीं पड़ा उसके टूटने से, वो तेरे जैसा था.
मेरा दिल जिस दिल पर फ़िदा है एक बेवफ़ा है बचपन में घर पर सरिता, गृहशोभा जैसी पत्रिकाएं आया करती थीं. उनमें कहानियां भी छपती थीं. चूंकि किताब-कहानियों के चटोर बालक घर में मौजूद थे, तो हम जैसों को इन पत्रिकाओं की कहानियां पढ़ने की इजाज़त मिलती थी बस. आज भी याद है, इनमें से कई कहानियां ऐसी ही होती थीं. पति के बेवफा निकलने की. फिर पत्नी के जार-जार रोने की. आखिर में धोखा खाए पति के वापस लौटने की. और उसे माफ़ी मिल जाने की. ऐसी कहानियों में हमेशा ही दूसरी महिला विलेन होती थी. और पति को माफ़ कर देने वाली पत्नी बड़े दिल वाली महान आत्मा. शायद ही कोई ऐसी कहानी पढ़ने को मिलती होगी, जिसमें पत्नी सब छोड़कर चली जाए. या पति को दफा कर दे. ये बात लगभग दो दशक पुरानी है. लेकिन लगती नहीं. क्यों? क्योंकि अधिकतर पंजाबी/बॉलीवुड गानों में मोरालिटी यानी नैतिकता का कॉन्सेप्ट अपने फुल फॉर्म में नज़र आता है. लड़की के कन्धों पर हमेशा अपनी वफ़ा साबित करने का दारोमदार होता है. लड़के तो पहले से ही वफादार होते हैं न. लड़की अगर लड़के से प्यार नहीं करेगी, तो पछताती रह जाएगी. बेवफ़ा कहलाएगी. क्योंकि ऐसे वीडियोज़ की मानें तो ये औरतें पैसे की भूखी हैं. मर्द का प्यार इनको दिखाई नहीं देता. लड़कियों की सिर्फ बेवफाई का ही स्टीरियोटाइप नहीं है. स्टीरियोटाइप ये है कि लड़कियां अपनी हर ज़रूरत पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. चाहे वो अपने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को बचाने के लिए पति का क़त्ल करना हो, या फिर ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठने हों, या फिर इमोशनल करके बॉयफ्रेंड का फायदा उठाना हो. शादी कर दो, सुधर जाएगा तितलियां गाने के पहले वीडियो में भी यही दिखाया गया था कि सरगुन मेहता का किरदार हार्डी से शादी करने के लिए तैयार है. उसके लिए पूरी तैयारी कर रखी है. जो एक पॉजिटिव चीज उस गाने की निकली थी वो ये थी कि आखिर में सरगुन का किरदार शादी को ठोकर मारकर निकल जाता है. लेकिन ये नॉर्म नहीं, एक्सेप्शन है. जानी के लिखे इस गाने की सच्चाई ज़मीन से अभी भी कोसों दूर नज़र आती है. जहां पर किसी भी आवारा, जाहिल लड़के को कंट्रोल में लाने के लिए उसे सुधारने की बात की जाती है. जैसे शादी से पहले मां उसे सुधार कर रखेगी, शादी के बाद पत्नी. गोया लड़का न हुआ मरखना बैल हो गया, जिसके लिए शादी नाक में नथ डालने या खूंटी से बांधने जैसा काम है. वहीं लड़की अगर उसे ‘सुधारने’ या ‘कंट्रोल’ करने में असफल रहे, तो पूरा ठीकरा उसके मत्थे. आखिर लड़का ‘घर पर खुश नहीं रहेगा तो बाहर ख़ुशी तो ढूंढेगा ही न’. इंटरनेट वैसे तो बड़ी ही घिचपिच जगह है. कुछ अच्छा ढूंढने निकलो तो भी चार टन कचरे से गुजरना निश्चित है. लेकिन इसी इंटरनेट पर एक बड़ी अच्छी लाइन पढ़ने को मिल गई थी कभी. अभी भी याद है: Women are not rehabilitation centres for badly raised men. यानी महिलाएं बेढंग से बड़े हुए पुरुषों के लिए कोई सुधार गृह नहीं हैं.

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