Bombay High Court में एक व्यक्ति ने याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि वो अब अपनी बेटी को भरण-पोषण (maintenance) नहीं देना चाहता क्योंकि वो एक मॉडल है. अपना कमा-खा रही है. सबूत के तौर पर व्यक्ति ने लड़की के इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल की प्रिंटेड फ़ोटोज़ पेश कीं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी.
बेटी के इंस्टाग्राम पोस्ट देखकर पिता बोले- उसके पास बहुत पैसा, हाईकोर्ट ने जवाब दिया
पिता ने तर्क दिया- बेटी लाखों में कमाती है, मैं गुजारा भत्ता क्यों दूं?

कोर्ट ने कहा कि ये सबको पता है कि आज के युवा हर चीज़ को सोशल मीडिया पर डाल देते हैं. उन्हें हर चीज़ की चमकदार तस्वीर पोस्ट करने की आदत है. इसका मतलब ये नहीं कि इसके बदले उन्हें ख़ूब पैसे मिल रहे हों या वो अपने पैर पर खड़े हों.
बार ऐंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, याचिका अनिल चंद्रवदन मिस्त्री नाम के एक शख्स ने दायर की थी. अनिल और उनकी पत्नी का तलाक हो चुका है. उनके दो बच्चे हैं. दोनों की उम्र 18 साल से ज़्यादा है. हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 24 के तहत पत्नी ने भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी. सितंबर, 2018 में उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया गया और अनिल मिस्त्री को अपनी बेटी के भरण-पोषण के लिए हर महीने 25,000 रुपये देने के लिए कहा गया.
अनिल ने फिर से फैमिली कोर्ट में एक अपील दायर की. कहा कि उनकी बेटी बड़ी हो गई है, उसने अपनी शिक्षा पूरी कर ली है और वो काम कर रही है. अपने भरण-पोषण के लिए पर्याप्त कमाई कर रही है और इस आधार पर कोर्ट आदेश में संशोधन करे.
2021 में कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 24 के प्रावधानों के मुताबिक़, बेटी शादी तक अपने पिता से भरण-पोषण की हक़दार है.
आदमी (याचिकाकर्ता) ने तर्क दिया कि बेटी अपने पैरों पर खड़ी है. अपने मॉडलिंग करियर से अच्छी कमाई करती है. इसके एवज में उन्होंने अपनी बेटी के इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल से कुछ तस्वीरें और उसके इंस्टाग्राम बायो को सबूत के तौर पर पेश किया. अपने इंस्टाग्राम बायो में लड़की ने लिख रखा था कि वो 72 से 80 लाख रुपये कमाती है.
अदालत ने रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों को देखा और जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल-बेंच जज ने फ़ैमिली कोर्ट के आदेश को बरक़रार रखते हुए कहा,
"ये सच सबको मालूम है कि आज के युवाओं की आदत है हर चीज़ की ग्लॉसी तस्वीर प्रोजेक्ट करना. उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना. इसका मतलब ये नहीं कि वो कॉन्टेंट हमेशा सच हो."
कोर्ट ने माना कि इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल और फ़ोटोज़ कोई ठोस सबूत नहीं हैं. कोर्ट ने अनिल मिस्त्री की कमाई को देखते हुए, उनकी रिट याचिका को ख़ारिज कर दिया.