रजत 40 साल के हैं. नोएडा में रहते हैं. उनका ऑफिस गुरुग्राम में है. वो रोज़ गाड़ी चलाकर ऑफिस जाते हैं और वापस आते हैं. एक साइड से उन्हें मोटामाटी 50 किलोमीटर पड़ता है. आने-जाने में हो गया इसका दुगुना. कुलमिलाकर उनके तीन से साढ़े तीन घंटे ड्राइव करते बीतते हैं. ऐसा वो कई सालों से कर रहे हैं. पर कुछ समय से उन्हें ड्राइव करते वक़्त कुछ दिक्कतें आ रही हैं. जैसे उन्हें अचानक धुंधला दिखने लगता है. जब सामने से किसी गाड़ी की रोशनी पड़ती है तो उनकी आंखें अडजस्ट नहीं कर पातीं. घर आते-आते उनको सिर में भयानक दर्द होने लगता है. यही नहीं, आजकल उन्हें एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी के बीच की दूरी नापने में भी दिक्कत आ रही है.
रजत बताते हैं कि इस वजह से दिसंबर के महीने में उनका एक्सीडेंट बस होते-होते बचा. उनका कहना है कि उन्हें पहले कमज़ोर नज़र की प्रॉब्लम नहीं थी, उनको चश्मा भी नहीं लगा था. अब अचानक उन्हें ये दिक्कतें क्यों आ रही हैं, वो चाहते हैं कि हम डॉक्टर्स से बात करके पता करें कि लंबे समय तक गाड़ी चलाने से आंखों को किस तरह का नुकसान पहुंचता है. क्या कुछ ऐसी टिप्स हैं जो उनके जैसे लोगों के काम आ सकती है? तो सबसे पहले जानते हैं कुछ लोगों को गाड़ी चलाते समय अचानक धुंधला क्यों दिखते लगता? कुछ लोगों को गाड़ी चलाते समय धुंधला क्यों दिखता है? ये हमें बताया डॉक्टर शैलेन्द्र सबरवाल ने.

-कुछ लोगों को गाड़ी चलते समय धुंधला दिखता है.
-सबसे आम कारण है आंखों की कमज़ोरी या चश्मे का नंबर ग़लत हो.
-कुछ तरह के चश्मों का नंबर जिन्हें एस्टिगमैटिज्म कहा जाता है, उन्हें ठीक नहीं किया जाए तो उसकी वजह से टेढ़ा-मेढ़ा दिखता है गाड़ी चलाते समय.
-कुछ आंखों की बीमारी ऐसी भी होती हैं, जिनसे आंखों में आंसुओं की कमी हो जाती है.
-अगर आंखों में आंसुओं की कमी हो और लंबे समय तक गाड़ी चलाएं तब भी नज़र कुछ समय बाद कमज़ोर होने लगती है.
-कुछ और बीमारियां भी ज़िम्मेदार हैं जैसे मोतियाबिंद या काले मोतियाबिंद की शुरुआत.
-इनमें लाइट फैल जाती है.
-ऐसे में रात में गाड़ी चलते समय नज़र कमज़ोर हो जाती है.
-आंख ठीक भी हो लेकिन किसी को शुगर की बीमारी हो और गाड़ी चलाते समय लो शुगर हो.
-उस समय भी नज़र धुंधली हो जाती है.

-अगर दिन के समय या शाम के समय गाड़ी चलाते वक़्त नज़र धुंधली होने लगे तो उन्हें आंखों के डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए. लंबे समय तक ड्राइव करने से आंखों में किस तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं? -लंबे समय तक गाड़ी चलाने से भी कई बार आंखों में दिक्कत आती है.
-सबसे आम परेशानी है आंखों की मांसपेशियों का थक जाना.
-गाड़ी चलाते समय हम चीज़ों पर फोकस करते हैं.
-उसकी वजह से सिर में दर्द होना.
-थकावट हो जाना आम है.
-लंबे समय तक गाड़ी चलाने से आंखों के झपकने का रेट कम हो जाता है.
-उससे आंख में सूखापन आने लग जाता है.
-जिसकी वजह से आंखें लाल हो जाती हैं.
-खुजली होती है.
-अगर लंबे समय तक गाड़ी चलानी है तो कोशिश करें कि बीच में ब्रेक लें.
-अगर धूप में ज़्यादा गाड़ी चलाते हैं तो चश्मे पहनें.
-अगर आंखों में सूखेपन की दिक्कत आ रही है तो डॉक्टर की सलाह से ड्रॉप्स डाल सकते हैं.
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-गाड़ी चलाने से पहले और बीच में ब्रेक लेकर. रात में ड्राइव करते समय आंखों की रोशनी ठीक रखने के टिप्स -अगर रात में लंबे समय तक गाड़ी चलाते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें.
-गाड़ी चलाते समय हम ज़्यादातर लाइट देख रहे होते हैं.
-इससे आंखों पर ज़ोर पड़ता है.
-इसलिए गाड़ी की विंडशील्ड को साफ़ रखें.
-गाड़ी की लाइट्स को साफ़ रखें.
-इससे ज़्यादा बेहतर दिखाई देगा, स्ट्रेस कम पड़ेगा.
-रात को लंबा ड्राइव करना है तो ब्रेक लेते रहें.
-अपने चश्मे में एडजस्टमेंट करें.
-आप एंटी ग्लेर चश्मे बनवा सकते हैं.
-कुछ लोग नाईट विज़न चश्मे इस्तेमाल करते हैं, पर डॉक्टर इसका ज़्यादा इस्तेमाल करने से मना करते हैं.
-क्योंकि ये लाइट को कट करते हैं.
-अगर आप रात में ज़्यादा ड्राइव नहीं करते, फिर भी समस्या आती है.
-तो हो सकता है आपकी आंखों में ड्राईनेस की दिक्कत हो या सफ़ेद मोतियाबिंद की शुरुआत हो.
-ऐसे में आंखों का चेकअप करवाना चाहिए.

-ड्रॉप्स या सर्जरी की ज़रुरत है तो वो आपको बताया जाएगा. कुछ लोगों को ड्राइव करते समय डेप्थ परसेप्शन की दिक्कत क्यों होती है? -कुछ लोगों को गाड़ी चलाते समय दूरी/गहराई नापने में दिक्कत आती है.
-इसे डेप्थ परसेप्शन कहा जाता है.
-जब हम दोनों आंखों से देखते हैं तो हमारा दिमाग दोनों आंखों ने जो पिक्चर खींची होती है, उसे आपस में जोड़ देता है और जानकारी देता है.
-जिससे दूरी या गहराई पता चलती है.
-इसका हमें ब्रेन से सिग्नल मिलता है.
-ये कई दफ़ा कुछ लोगों में मुश्किल होता है क्योंकि उनकी एक आंख में कोई बीमारी या प्रॉब्लम होती है.
-ये भेंगेपन के कारण भी हो सकता है यानी दोनों आंखें एक साथ किसी चीज़ को नहीं देख पातीं.
-अगर मालूम नहीं पड़ता कि सामने वाली गाड़ी कितनी दूर है तो आंखों की जांच ज़रूर करवानी चाहिए.
-डॉक्टर बता सकते हैं कि क्या कोई ऐसी परेशानी है जो ठीक हो सकती है.
-कुछ लोगों में ये बचपन से होता है.
-ऐसे में ये पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता.
-इस केस में कुछ चीज़ें काम आती हैं.

-जैसे ये देखें कि गाड़ी किस रफ़्तार से चल रही है, कितनी दूर दिख रही है, कितनी साफ़ दिखाई दे रही है.
-इन चीज़ों से आईडिया लगाएं कि गाड़ी कितनी दूर है. ड्राईवर लाइसेंस बनवाने से पहले आंखों के क्या टेस्ट करवाएं? -लाइसेंस लेने से पहले नज़र का टेस्ट करवाना चाहिए.
-जिसमें दोनों आंखों का अलग से टेस्ट होता है.
-ये देखा जाता है कि हम कितना साफ़ देख पा रहे हैं.
-अगर नज़र कम निकलती है और चश्मा पहनने से ठीक हो सकती है तो चश्मा बनवाएं.
-कुछ साल पहले तक जिन लोगों को कलर विज़न की दिक्कत होती थी यानी जो लोग कुछ रंगों के बीच फ़र्क नहीं बता पाते थे, उनको इंडिया में लाइसेंस नहीं मिलता था.
-लेकिन पिछले साल से सरकार ने मंजूरी दे दी है.
-जिनको माइल्ड या मॉडरेट दिक्कत है उनको लाइसेंस मिल सकता है.
-इसलिए कलर विज़न टेस्ट भी होना चाहिए ताकि पता चल सके कि ये दिक्कत माइल्ड या मॉडरेट है.
-हर कुछ समय में आंखों की जांच करवाने से पता चल सकता है कि कोई ऐसी बीमारी तो नहीं जो नज़र को भले ही डायरेक्ट असर नहीं कर रही हो.
-लेकिन जब ड्राइव करते हैं तो फ़र्क पड़ता है.
-क्योंकि आंखों में लाइट लगने के कारण दिक्कत हो सकती है.
गाड़ी चलाते समय अगर आपको नज़र से जुड़ी कोई दिक्कत आ रही है तो ज़रूरी है कि आप अपनी आंखों का टेस्ट करवाएं. और जैसे डॉक्टर साहब ने बताया लाइसेंस बनवाने से पहले भी आंखों की जांच करवाएं. जब आप मोटरसाइकिल, गाड़ी या कोई भी वाहन चलाते हैं तो आपके साथ-साथ और लोगों की जान भी आपके हाथों में होती है. और अगर आपको लग रहा है कि आंखों पर लाइट पड़ने से दिक्कत हो रही है, दूरी का पता नहीं चल रहा तो इसे इग्नोर न करें. किसी डॉक्टर से ज़रूर मिलें.