फिल्मों में आपने अक्सर देखा होगा. बेटी ने अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की ख्वाहिश ज़ाहिर की. ये बात करोड़पति डैडी जी को एकदम पसंद नहीं आई. गुस्से से तमतमा उठे. चिल्लाने लगे. फिर अचानक उनका हाथ जाता है सीने के बाईं तरफ़ और वो दर्द से कराह उठते हैं. पता चलता है कि हार्ट अटैक पड़ा है. ये सब देखने में बड़ा फ़िल्मी लगता है. लेकिन, क्या वाकई ऐसा हो सकता है? क्या बहुत गुस्सा करने से हार्ट अटैक पड़ सकता है? आज डॉक्टर से यही जानेंगे. साथ ही पता करेंगे कि अपने दिल का ख्याल कैसे रखें? लेकिन, पहले समझ लीजिए कि हार्ट अटैक पड़ता क्यों है?
गुस्सा नाक पर बैठा रहता है? ज़रा बचके, हार्ट अटैक का ख़तरा है!
कुछ लोगों की आदत होती है. बात-बात पर उखड़ जाते हैं. गुस्सा करने लगते हैं. गुस्सा भी थोड़ा-सा नहीं, बल्कि बहुत सारा. बहुत ही ज़्यादा. अगर आप भी ऐसे लोगों में हैं तो सावधान रहिए. बहुत गुस्सा करने वालों को हार्ट अटैक आने का खतरा ज़्यादा होता है.


हार्ट अटैक क्यों पड़ता है?
ये हमें बताया डॉ. (प्रो) पुरुषोत्तम लाल ने.

दिल की मुख्य तीन आर्टरी (धमनियां) होती हैं जो खून ले जाने का काम करती हैं. इससे दिल को ऑक्सीजन और मज़बूती मिलती है. अब अगर कोई धमनी बंद हो जाए या उसको किसी भी तरह का नुकसान पहुंचे तो हार्ट अटैक पड़ता है.
हमारे दिल की धमनी बंद होने के कुछ कारण होते हैं. जैसे हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), डायबिटीज़ (Diabetes), स्मोकिंग (Smoking), मोटापा, सुस्त जीवनशैली, तनाव और परिवार में हार्ट अटैक की हिस्ट्री. जिन लोगों को कोविड हो चुका है, उनमें भी हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं.
क्या बहुत ज़्यादा गुस्सा करने से हार्ट अटैक पड़ सकता है?
बिल्कुल, बहुत ज़्यादा गुस्सा करने से हार्ट अटैक आ सकता है. अब गुस्सा तो सभी करते हैं लेकिन कितना गुस्सा, ये उस पर निर्भर करता है. कभी-कभी व्यक्ति गुस्से में चिल्लाने लगता है. इससे कई बार दिमाग को मिलने वाली खून की सप्लाई बंद हो जाती है. बहुत ज़्यादा गुस्से के कारण कुछ केमिकल और हॉर्मोन शरीर में पैदा होते हैं. इन्हें कैटेकोलामाइन्स (Catecholamine) कहते हैं.

एड्रेनलिन और नॉरएड्रेनालिन एक तरह के कैटेकोलामाइन्स हैं. इनके रिलीज़ होने से अचानक दिल की गति बढ़ जाती है. इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. हार्ट रेट हाई हो जाता है और ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने लगती है. जब खून की डिमांड बढ़ जाती है तो कई बार दिल उसे पूरा नहीं कर पाता. कई बार आर्टरी की अंदरुनी परत पहले से ही कमज़ोर होती है. खासकर शुगर के मरीज़ों, स्मोकर्स, हाई बीपी और फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों में. इससे आर्टरी में कोई भी दिक्कत जल्दी बढ़ने का चांस रहता है. ऐसे में जब हमें बहुत गुस्सा आता है तो उससे कभी-कभी आर्टरी में खून का थक्का बन जाता है. इससे आर्टरी ब्लॉक हो जाती और हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है.
खून का थक्का उसी समय बन सकता है या कई बार 1 घंटे बाद भी बन सकता है, इस पर अभी स्टडी चल रही है. लेकिन, ये पक्का है कि अगर किसी को बार-बार बहुत गुस्सा आता है, तब उन्हें निश्चित तौर पर नुकसान होगा.
ऐसे रिस्क से बचने के लिए क्या करें?
सबसे पहली बात है जागरूकता. ये समझना ज़रूरी कि गुस्से के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं. मरीज़ कोशिश करें कि गुस्से वाली परिस्थितियों से दूर रहें. परिवारवाले भी समझें कि मरीज़ को क्यों गुस्सा आता है. साथ ही रोज़ टहलने जाएं, ध्यान और योग करें.
ज़्यादा गुस्सा किसी भी हाल में आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह है. लेकिन गुस्सा न आए, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. ऐसे में आप दो चीज़ें कर सकते हैं. पहला. एंगर मैनेजमेंट यानी अपने गुस्से को बिना खुद या किसी और का नुकसान किए निकालना. अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें बहुत ज़्यादा गुस्सा आता है तो उसके लिए आप प्रोफेशनल मदद ले सकते हैं. दूसरी चीज़. अपने दिल की सेहत का ख्याल रखिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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