मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने उन दोनों सिरप्स पर बैन लगा दिया है, जिन्हें पीने के बाद कथित तौर पर 9 बच्चों की किडनी फेल हो गई और उनकी जान चली गई. इन सिरप्स के नाम हैं Coldrif और Nextro-DS.
कफ सिरप से कैसे हो रही बच्चों की मौत? डॉक्टर ने बताया
कफ सिरप में मौजूद डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड क्या होता है? और, इससे किडनी फेल होने का खतरा क्यों है?


इससे पहले, राजस्थान के सीकर और भरतपुर में दो बच्चों की मौत हो गई थी. पहले सीकर का मामला जानते हैं. यहां 5 साल के नित्यांश को खांसी-जुकाम था. उसकी मां रात में उसे कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर लेकर गईं. राज्य सरकार की फ्री मेडिसिन स्कीम के तहत उसे डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप दिया गया. लेकिन सिरप पीने के कुछ ही घंटों बाद उसे हिचकियां आने लगीं. सुबह होते-होते नित्यांश की जान चली गई. परिवारवाले फिर भी उसे अस्पताल लेकर गए. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
दूसरा मामला भरतपुर का है. यहां 2 साल के तीर्थराज की मौत हुई है. उसके पिता निहाल सिंह ने बताया कि उनके दोनों बच्चों को खांसी-जुकाम था. वो दोनों को कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर लेकर गए. वहां डॉक्टर ने कुछ दवाइयां और एक खांसी का सिरप लिखा. परिवार ने तीर्थराज को सिरप पिलाया. इसके बाद बच्चा सो गया और फिर कभी नहीं उठा.
भरतपुर में ही एक और 3 साल का बच्चा है. उसे भी डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया था. फिलहाल उसकी हालत गंभीर है. वो जयपुर के JK लोन हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर है.
जयपुर के सांगानेर में भी 2 साल की बच्ची की हालत बिगड़ने की खबर है.
जब कफ सिरप से बच्चों की तबियत बिगड़ने की शिकायतें बढ़ने लगीं. तो भरतपुर में बयाना कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर ताराचंद योगी ने खुद ये कफ सिरप पीकर मां-बाप को दिखाया. जानते हैं क्या हुआ? वो भी बीमार पड़ गए. 8 घंटे बाद वो अपनी कार में बेहोश मिले.
मामले की गंभीरता देख राजस्थान सरकार ने इस कप सिरप के बैच पर रोक लगा दी है. सिरप की सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन को भी रोक दिया गया है और, 3 सदस्यों की एक कमेटी बनाकर जांच बिठा दी गई है.
इसके साथ ही, नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल यानी NCDC की टीम ने प्रभावित जगहों से पानी और दवा के सैंपल इकट्ठे किए हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR की टीम ने भी इन जगहों का सर्वे किया और टेस्टिंग के लिए सैंपल जुटाए. इन्हें पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया.
3 अक्टूबर को राजस्थान के हेल्थ डिपार्टमेंट ने ये साफ किया कि भरतपुर और सीकर में जो दो बच्चों की मौत हुई है, उसकी वजह डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप नहीं है. उनमें कोई मिलावट नहीं पाई गई है.
ऐसा ही मिलता-जुलता अपडेट मध्य प्रदेश से भी आया. बताया गया कि जांच एजेंसियों ने प्रभावित जगहों से कई सैंपल इकट्ठे किए थे. इसमें कफ सिरप से जुड़े सैंपल्स भी शामिल थे. सैंपल्स को टेस्ट किया गया. नतीजों में पाया गया है कि किसी भी सैंपल में डाइएथलीन ग्लाइकॉल यानी DEG या एथलीन ग्लाइकॉल यानी EG नहीं मिला है. ये दोनों ही किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं.
मध्य प्रदेश के Food and Drug Administration ने भी तीन सैंपल टेस्ट किए थे. इन तीनों में ही DEG या फिर EG नहीं मिला है.
पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने खून और CSF सैंपल्स की जांच की थी. CSF यानी सेरेब्रो-स्पाइनल फ्लूइड. ये दिमाग के आसपास मौजूद होता है. इन सैंपल्स में से एक में लेप्टोसपाइरोसिस मिला है. यानी एक बच्चे को लेप्टोस्पाइरोसिस इंफेक्शन है.
कुछ दूसरे सैंपल्स की जांच अभी भी चल रही है. NCDC, NIV, ICMR, AIIMS नागपुर और स्टेट हेल्थ अथॉरिटीज़ के एक्सपर्ट्स मिलकर मामलों की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज़ यानी DGHS ने सभी राज्यों और Union Territories के लिए सलाह जारी की है. सलाह ये कि, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप यानी खांसी का सिरप देते समय सावधानी बरतें. और 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ़ सिरप न दें.
देखिए, डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप में भले ही कोई मिलावट न मिली हो. पर बच्चों की मौत तो हुई है.
कफ सिरप में मौजूद डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड क्या होता है? और, इससे किडनी फेल होने का खतरा क्यों है? ये हमने पूछा फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर और यूनिट हेड, डॉक्टर विवेक जैन से.

डॉक्टर विवेक बताते हैं कि डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड एक कफ सप्रेसेंट हैं. यानी ये खांसी को दबा देता है. ये दिमाग में खांसी रोकने वाले हिस्से पर असर करता है. इसका इस्तेमाल ज़्यादातर सूखी खांसी में किया जाता है. बहुत से ओवर-द-काउंटर सर्दी-जुकाम से सिरप्स में ये होता है. लेकिन अगर इसकी खुराक ज़्यादा हो जाए. या शरीर इसे सहन न कर पाए. तो ये लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. मरीज़ को उल्टी, चक्कर और बेहोशी जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं.
अगर डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड वाले कफ सिरप में मिलावट हो. वो दूषित हो. या उसकी ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा दे दी जाए. तो किडनी पर सीधा असर पड़ता है. बच्चों, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों की किडनी पूरी तरह विकसित नहीं होती. इसलिए उनका शरीर दवा को ठीक तरह प्रोसेस नहीं कर पाता. और, किडनी फेल होने जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है.
लिहाज़ा बच्चों को कफ सिप देते वक्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी कफ सिरप न दें. जितनी डॉक्टर ने कहा है, उतनी ही खुराक दें. अगर कफ सिरप देने के बाद बच्चे को उल्टी आए. उसे पेशाब कम लगे. या वो बहुत थका-थका लगे. तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
बाकी अभी इस पूरे मामले की जांच जारी है. जो भी अपडेट आएगा, हम आप तक लेकर आएंगे.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: भारत में बने कफ सिरप से सैकड़ों बच्चों की मौत का सच क्या? सरकार ने क्या चैलेंज दिया?