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ऐम्बर हर्ड के जिस लेख पर हुआ बवाल, वो जॉनी डेप के बारे में था ही नहीं?

ट्रायल के दौरान भी ऐम्बर हर्ड ने इस बात की ओर इशारा किया था.

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हर्ड ने एक आर्टिकल ने बिना नाम लिए खुद को घरेलू हिंसा का शिकार बताया था. (फ़ोटो - यूट्यूब/AP)

Johnny Depp और Amber Heard. 2009 में दोनों पहली बार मिले. कुछ साल बाद उन्होंने डेट करना शुरू कर दिया. 2015 में शादी कर ली. शादी लंबी चली नहीं. 2017 में तलाक हो गया. इसके बाद साल 2018 में ऐम्बर ने एक लेख लिखा, जो वॉशिंगटन पोस्ट में छपा. इसी लेख के बाद दोनों हॉलीवुड स्टार्स के बीच क़ानूनी लड़ाई देखने को मिली. 

दरअसल, ऐम्बर हर्ड ने इस लेख को टाइटल दिया - “I spoke up against sexual violence — and faced our culture’s wrath.. that has to change." यानी 'मैंने यौन हिंसा के ख़िलाफ़ बोला और घृणा झेली.. इसे बदलना होगा'. हर्ड ने लेख में बताया कि वो घरेलू हिंसा की शिकार रही हैं. हालांकि, उन्होंने आर्टिकल में डेप का नाम नहीं लिखा था.

इसके बाद जॉनी डेप ने दावा किया कि इस आर्टिकल से उनकी छवि ख़राब हो गई और उन्हें कई फ़िल्मों से निकाल दिया गया. फिर डेप ने ऐम्बर हर्ड पर 50 मिलियन डॉलर मतलब लगभग 387 करोड़ रुपए का मानहानि का मुक़दमा कर दिया. जवाब में ऐम्बर ने भी जॉनी पर घरेलू और यौन हिंसा का आरोप लगाते हुए 100 मिलियन डॉलर या 775 करोड़ रुपए का दावा ठोक दिया. इसी मुक़दमे का फ़ैसला आया 1 जून को. जॉनी डेप के पक्ष में.

लेकिन एक सवाल अभी भी रहता है - 

'जब तलाक़ हो ही गया था, तब ऐम्बर ने वो आर्टिकल क्यों लिखा?' 

और, इस सवाल का जवाब दिया है ख़ुद हर्ड ने. NBC को दिए अपने हालिया इंटरव्यू में. NBC न्यूज़ के 'टुडे शो' की होस्ट सवाना ने पूछा,

"जीवन आगे बढ़ गया था, फिर आपने वो ऑप-एड लिखने का फैसला क्यों किया?"

इस पर ऐम्बर ने कहा,

"क्योंकि ऑप-एड जॉनी के बारे में था ही नहीं. उस लेख के ज़रिए मैं एक बड़े सांस्कृतिक संवाद में अपना पक्ष रखना चाहती थी. मुझे जॉनी पर केस ही करना होता, तो मैं केस करती. मेरे पास लॉयर्स की टीम थी. लेकिन मक़सद बस वो नहीं था. मैं जॉनी के लिए कुछ बुरा नहीं चाहती थी. वो उसके बारे में था ही नहीं."

जिस ‘सांस्कृतिक संवाद’ की बात हर्ड कर रही हैं, वो है #MeToo मूवमेंट. 2017 के अक्टूबर में शुरु हुए इस मूवमेंट की वजह से कई बड़ी हस्तियों के असल चहरे दुनिया के सामने आ गए. ये कैम्पेन विवादों में भी रहा, लेकिन इसके मूल में जो बात थी, वो ये कि महिलाओं ने ऊंचे ओहदों और पदों वाले पुरुषों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई. उन्हें अपनी आपबीती सुनाने का अवसर मिला. सामाजिक-आर्थिक रूप से ताक़तवर पुरुषों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के बारे लोगों को पता चला. इस लेख के बाद ऐम्बर भी घरेलू हिंसा के ख़िलाफ़ बोलने वाली एक पब्लिक फ़िगर बन गईं.     

ट्रायल के दौरान भी ऐम्बर हर्ड ने इस बात की ओर इशारा किया था. अपनी एक दलील में कहा था,

"मुझे पता है कितने सारे लोग उसके (जॉनी के) सपोर्ट में आएंगे. वो एक ताक़तवर आदमी है और ताक़तवर आदमियों के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं. मैं इसी फ़ेनोमेना की बात कर रही थी. मैंने इसीलिए वो आर्टिकल लिखा था."

हम यहां किसी की तरफ़ को डिफ़ेंड नहीं कर रहे हैं. माननीय अदालत का फ़ैसला आ गया है. हमारे लिए ज़रूरी है सूचना पहुंचाना, जस की तस. ऐम्बर ने 2018 वाले अपने आर्टिकल में एक दिलचस्प बात लिखी थी, आपको उसी के साथ छोड़ जाते हैं. ऐम्बर ने लिखा था, 

“फ़र्ज़ करिए कि एक ताक़तवर पुरुष है, एक बड़े जहाज के जैसा. जैसे टाइटैनिक. जब जहाज बर्फ़ के एक बड़े टुकड़े से टकराता है, तो जहाज पर सवार लोग बेताब हो जाते हैं. छेदों को ठीक करने लगते हैं, भरने लगते हैं. इसलिए नहीं कि वे जहाज पर विश्वास करते हैं या उसकी परवाह करते हैं, बल्कि इसलिए कि उनका अपना भाग्य इस जहाज पर निर्भर करता है.”