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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी UP में चार साल में 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं हो पाई?

हाईकोर्ट ने दो महीने में भर्ती पूरी करने को कहा, सरकार ने भर्ती ही रद्द कर दी.

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फोटो - thelallantop
15 दिसंबर, 2016. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली गई. ये भर्ती 12460 सहायक अध्यापक और 4000 उर्दू शिक्षकों के लिए निकाली गई थी. फॉर्म भर दिया गया. मेरिट भी बन गई. 22 मार्च, 2017 से काउंसलिंग भी शुरू हो गई. इसी बीच उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होते हैं. सत्ता बदलती है. योगी आदित्यनाथ की सरकार आती है. नई सरकार 23 मार्च, 2017 को इस भर्ती को अगले आदेश तक के लिए रोक देती है. साढ़े तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. अब तक ये भर्ती वहीं पर रुकी है जहां 22 मार्च, 2017 को थी. क्या है पूरा मसला? 2017 के विधानसभा चुनाव में भर्तियों में धांधली का मुद्दा प्रमुख था. यही वजह थी कि नई सरकार ने आते ही सारी भर्तियों पर समीक्षा के नाम पर रोक लगा दी. जब दो महीने तक भर्ती प्रक्रिया से रोक नहीं हटाई गई तो 4000 उर्दू शिक्षक भर्ती में शामिल अभ्यर्थी मई 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास और जुलाई में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के पास गए और भर्ती को शुरू करने की मांग की. लेकिन भर्ती शुरू नहीं हुई. अंत में थक हारकर भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली. 12 अप्रैल, 2018 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सरकार को 2 महीने के भीतर भर्ती को पूरा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि 12460 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया.  एक बार फिर अभ्यर्थी कोर्ट पहुंचे और कंटेम्प्ट अप्लीकेशन डाली. 10 अगस्त, 2018 को कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई. इसके बाद 18 अगस्त, 2018 को सरकार ने एक लेटर जारी कर 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती को निरस्त कर दिया. इस लेटर में कहा गया,
इस समय सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मानक से बहुत अधिक संख्या में उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं. जिसकी वजह से अब और उर्दू शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है. इसलिए 4000 सहायक उर्दू शिक्षकों की भर्ती को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्णय लिया गया है.
4000 उर्दू टीचर्स की भर्ती निरस्त करने के संबंध में जारी किया गया लेटर
4000 उर्दू टीचर्स की भर्ती निरस्त करने के संबंध में जारी किया गया लेटर

भर्ती को आए चार साल बीत चुके हैं. भर्ती प्रक्रिया में शामिल टीचर कोर्ट कचहरी से लेकर नेताओं तक के चक्कर काट रहे हैं. सोशल मीडिया पर कैम्पेन चला रहे हैं. मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को लेटर लिखकर भर्ती पूरी करने के लिए कह रहे हैं. दो-दो बार हाईकोर्ट भर्ती पूरी करने के लिए कह चुका है. सरकार की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन को खारिज कर चुका है. लेकिन सरकार टस से मस नहीं हो रही.
Urdu Teachमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत तमाम नेताओं से मिलकर भर्ती पूरी कराने की मांग कर चुके हैं उर्दू शिक्षकers
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत तमाम नेताओं से मिलकर भर्ती पूरी कराने की मांग कर चुके हैं उर्दू शिक्षक

2018 में बेसिक शिक्षा विभाग ने बताया था कि प्राइमरी स्कूलों में उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या करीब 87,200 थी. जबकि इनको पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 15 हजार के करीब है. यानी छह बच्चों के पीछे एक टीचर मौजूद है. जो कि मानक के हिसाब से काफी ज्यादा है. हालांकि भर्ती में शामिल अभ्यर्थी इस सरकारी दावे को खारिज कर देते हैं. भर्ती में शामिल अयूब खान बताते हैं कि सरकार जानबूझ कर उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या कम बता रही है. उन्होंने कहा,
मैंने यूपी के लगभग सभी जिलों में RTI लगाकर 2016, 2017 और 2018 में उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की जानकारी मांगी है. करीब 22 जिलों से अब तक जवाब आया है. RTI से मिली जानकारी के मुताबिक इन जिलों में उर्दू पढ़ने वालों की संख्या 325000 के आसपास है. 
अगर भर्ती को निरस्त करने के पीछे दिए जा रहे सरकार के दावे को मान भी लिया जाए तो भी सवाल सरकार पर ही उठते हैं. अगर सीट नहीं थी तो फिर सरकार ने वैकेंसी क्यों निकाली थी? और अगर भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों की मानें तो सरकार गलत आंकड़े दे रही है. अभ्यर्थियों की मानें तो सरकार जानबूझकर इस भर्ती को पूरा नहीं करना चाहती है.


मध्य प्रदेश: दो साल में दो सरकार बदल गई लेकिन शिक्षकों की भर्ती नहीं पूरी हो पाई