इस समय सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मानक से बहुत अधिक संख्या में उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं. जिसकी वजह से अब और उर्दू शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है. इसलिए 4000 सहायक उर्दू शिक्षकों की भर्ती को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्णय लिया गया है.

4000 उर्दू टीचर्स की भर्ती निरस्त करने के संबंध में जारी किया गया लेटर
भर्ती को आए चार साल बीत चुके हैं. भर्ती प्रक्रिया में शामिल टीचर कोर्ट कचहरी से लेकर नेताओं तक के चक्कर काट रहे हैं. सोशल मीडिया पर कैम्पेन चला रहे हैं. मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को लेटर लिखकर भर्ती पूरी करने के लिए कह रहे हैं. दो-दो बार हाईकोर्ट भर्ती पूरी करने के लिए कह चुका है. सरकार की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन को खारिज कर चुका है. लेकिन सरकार टस से मस नहीं हो रही.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत तमाम नेताओं से मिलकर भर्ती पूरी कराने की मांग कर चुके हैं उर्दू शिक्षक
2018 में बेसिक शिक्षा विभाग ने बताया था कि प्राइमरी स्कूलों में उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या करीब 87,200 थी. जबकि इनको पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 15 हजार के करीब है. यानी छह बच्चों के पीछे एक टीचर मौजूद है. जो कि मानक के हिसाब से काफी ज्यादा है. हालांकि भर्ती में शामिल अभ्यर्थी इस सरकारी दावे को खारिज कर देते हैं. भर्ती में शामिल अयूब खान बताते हैं कि सरकार जानबूझ कर उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या कम बता रही है. उन्होंने कहा,
मैंने यूपी के लगभग सभी जिलों में RTI लगाकर 2016, 2017 और 2018 में उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की जानकारी मांगी है. करीब 22 जिलों से अब तक जवाब आया है. RTI से मिली जानकारी के मुताबिक इन जिलों में उर्दू पढ़ने वालों की संख्या 325000 के आसपास है.अगर भर्ती को निरस्त करने के पीछे दिए जा रहे सरकार के दावे को मान भी लिया जाए तो भी सवाल सरकार पर ही उठते हैं. अगर सीट नहीं थी तो फिर सरकार ने वैकेंसी क्यों निकाली थी? और अगर भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों की मानें तो सरकार गलत आंकड़े दे रही है. अभ्यर्थियों की मानें तो सरकार जानबूझकर इस भर्ती को पूरा नहीं करना चाहती है.
मध्य प्रदेश: दो साल में दो सरकार बदल गई लेकिन शिक्षकों की भर्ती नहीं पूरी हो पाई