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प्रधानमंत्री मोदी की सबसे पसंदीदा योजना में बंगाल से लेकर मध्यप्रदेश तक घोटाले क्यों हो रहे हैं?

पश्चिम बंगाल में पीएम आवास योजना में हो रही धांधली पर टीएमसी और बीजेपी का क्या कहना है?

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पीएम आवास योजना के तहत लाभ पाने वाले लाभार्थी का घर और कार (फोटो: इंडिया टुडे)

रोटी कपड़ा और मकान. जीवित रहने के लिए प्राथमिक जरूरत. ये तीन बेसिक जरूरतें बताई गई हैं. वंचित तबके के लिए इन सुविधाओं को उपलब्ध कराना सरकार का काम है. इसके लिए सरकार की ओर से समय-समय पर अलग-अलग स्कीम्स चलाई जाती रही हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना भी इसी का हिस्सा है. जो शुरू की गई ताकि बेघर लोगों को घर मिल सके. लेकिन तब क्या होगा, जब जरूरतमंद लोगों तक सुविधाएं न पहुंचे बल्कि जिनके पास संसाधन हैं, जो सक्षम हैं और शासन-प्रशासन में पहुंच रखते हैं वो गरीबों का ये हक मार लें? क्या होगा जब जिनके कंधे पर गरीबों का घर बनाने की जिम्मेदारी इसमें हेरा-फेरी करने लगें?

ये यक्ष सवाल हमारे सामने इसलिए उठ खड़ा हुआ हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में तमाम तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं. शुरुआत प्रधानमंत्री आवास योजना से. 2011 की आर्थिक सामाजिक जनगणना के मुताबिक देश में कुल 4 करोड़ 3 लाख परिवार ऐसे थे जो बेघर थे या टूटे-फूटे घर में रह रहे थे. ऐसे परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराने के लिए 1996 से इंदिरा आवास योजना चलती आ रही थी.

मई 2014 में सरकार बदली. इसी साल  2014 में CAG ने इस योजना में कई कमियों को पॉइंट आउट किया. जैसे- मकानों की कमी का सर्वे ना होना, लाभार्थियों को चुनने में पारदर्शिता की कमी, खराब क्वालिटी वाले मकान आदि. जिसके बाद सरकार ने इस योजना को पुनर्गठित करने का फैसला किया. 1 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण नाम से इस योजना का उद्घाटन किया.

क्या-क्या मिलता है इस योजना में?

ये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर वाली स्कीम है. यानी सरकार घर नहीं बनवाती. बल्कि सहायता देती है. सीधे लाभार्थी के खाते में. मैदानी क्षेत्रों में 1 लाख 20 हजार रुपए और पर्वतीय, दुर्गम क्षेत्रों में 1 लाख 30 हजार रुपए. इसके अलावा लाभार्थी को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रुपए की सहायता और 90 या 95 दिन की मनरेगा मजदूरी भी मिलती है जो करीब 18 हजार रुपए की होती है. यानी कुल सहायता मैदानी क्षेत्रों में 1 लाख 50 हजार, और पहाड़ी क्षेत्रों में 1 लाख 60 हजार रुपए की मिलती है. जो कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर देती हैं. मैदानी राज्यों में 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार देती है और 40 फीसद राज्य सरकार. जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में 90 फीसद लागत केंद्र सरकार देती है और 10 फीसद राज्य सरकार. इसके अलावा इस योजना के लाभार्थियों को अलग-अलग सरकारी स्कीम्स के जरिए पानी की आपूर्ति व्यवस्था, बिजली कनेक्शन, घरेलू गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने में सहूलियत दी जाती है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलता किसे है? कौन इसके योग्य है?

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लिए गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले वे सभी परिवार योग्य हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है या जो टूटे-फूटे कच्चे घरों में रहते हैं.  

सरकारी प्लान और दावा हमने आपको बता दिया. अब वास्तविकता देखते हैं. इंडिया टुडे ने ग्राउन्ड पर जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाने की कोशिश की. पहले इंडिया टुडे की टीम पहुंची दक्षिण 24 परगना जिले के नारायणिताल गांव में. यहां पर एक दो मंजिल का सुंदर वेल डेकोरेटेड घर है. एक कार भी घर के सामने पार्क है. ये घर घोष परिवार का है जिनका मोबाइल फोन का अपना बढ़िया बिजनेस है. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए इस परिवार का नाम भी शॉर्ट लिस्ट किया गया है. इंडिया टुडे के रिपोर्टर राजेश साहा ने जब घर के लोगों से इस बारे में बात करनी चाही तो वे गुस्सा गए और चिल्लाने लगे. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता उनका नाम लिस्ट में कैसे आ गया.

इसके बाद टीम पहुंची इसी गांव के एक और घर पर. ये घर है साहा परिवार का. परिवार को आर्थिक तौर पर काफी रसूखदार माना जाता है. इंडिया टुडे के रिपोर्टर राजेश साहा के सामने कैमरे पर परिवार के लोगों ने खुद बताया कि उनके पास दो और जमीनें हैं. यह घर काफी पुराना हो गया है. इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अप्लाई किया. साहा परिवार का नाम भी प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में है.

इसी तरह के कई घर इंडिया टुडे की टीम को देखने को मिले. जिनके पास अच्छे खास घर थे. इसके बावजूद उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में था. जब इसके बारे में ग्राम प्रधान से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि लिस्ट तैयार करने में पंचायत का कोई रोल नहीं. आपके सवालों का जवाब BDO दे सकता है. BDO से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिकायत मिली थी. जांच कराई गई लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं आई है.  

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के आरामबाग में तो गांव वालों ने स्थानीय पंचायत भवन को घेरकर प्रदर्शन भी किया. गांव वालों का आरोप है कि जो लोग आर्थिक रूप से गरीब हैं और जिनके मकान कच्चे मिट्टी के बने हैं उन्हें आवास योजना के अंतर्गत आवेदन करने के बावजूद मकान नहीं मिला. जबकि जिनके मकान दो-तीन मंजिल के हैं उनका नाम लिस्ट में है. गांव वालों ने आरोप लगाया कि पंचायत प्रधान और सदस्यों ने 10-20 हजार रुपए की रिश्वत लेकर आवास योजना के अंतर्गत मकान आवंटित किया है.

प्रधानमंत्री आवास योजना में और किस तरह की धांधली सामने आ रही है इसे बताया इंडिया टुडे के लिए इन्वेस्टिगशन रिपोर्ट करने वाले राजेश साहा,

"बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाला दूसरा सबसे बड़ा घोटाला है. हमें सूत्रों से जानकारी मिली, जिसके बाद हम दक्षिण 24 परगना जिले के नारायणिताल गांव पहुंचे. इस गांव से करीब 64 लोगों को प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत घर मिलना है, लेकिन इनमें से कई सारे लोग ऐसे हैं जिनके पास कई संपत्तियां हैं. यहां बड़े स्तर पर धांधलेबाजी हो रही है."

पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों बाद पंचायत स्तर के चुनाव होने हैं. और चुनाव से पहले बड़े स्तर पर प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली की खबर सामने आ रही है. विपक्षी दल बीजेपी का आरोप है कि राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े ऐसे लोगों के नाम योजना के लिए शॉर्टलिस्ट किया है जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं और जिनके पास अपने घर हैं. जबकि तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी बेवजह टारगेट कर रही है.

ऐसा नहीं है कि आवास योजना में गड़बड़ी की शिकायतें सिर्फ बंगाल से ही आ रही हैं. अब आपको मध्य प्रदेश के हरदा जिले लिए चलते हैं. यहां पीएम आवास योजना के 64 लाभार्थियों के खिलाफ़ F.I.R दर्ज हुई है. क्यों... बताते हैं. आज तक के लोमेश कुमार गौड़ के मुताबिक एमपी के हरदा जिले की नगरपालिका ने ऐसे 64 लाभार्थियों को ढूंढ निकाला है जिन्हें साल 2018 से 2022 के बीच पीएम आवास योजना के तहत पहली किश्त तो मिल गई लेकिन आरोप है कि इनमें से एक भी लोगों ने निर्माण कार्य शुरू नहीं कराया. इस मामले में एक खास बात ये भी पता चली है कि इन 64 लाभार्थियों को प्रशासन की ओर से लगातार नोटिस देकर निर्माण कार्य शुरू कराने की हिदायत दी जा रही थी. इसका असर ना होने पर ही F.I.R दर्ज कराई गई.

तो आपने देखा गरीबों को छत दिलाने के लिए बनाई गई एक योजना में किस तरह से धांधली हो रही है. इस मामले में आगे जो भी जानकारी होगी लल्लनटॉप आप तक पहुंचाता रहेगा. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: पीएम मोदी की सबसे पसंदीदा योजना में बंगाल से लेकर मध्यप्रदेश तक 'घोटालों' का खेल कैसे हुआ?