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बिहार की उस महिला IPS की कहानी, जिसने बाहुबली सांसद पप्पू यादव को रुला दिया

एक सीरियल देखकर मिला था वर्दी पहनने का मोटिवेशन. सीए भी क्लियर कर चुकी हैं.

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मुजफ्फरपुर एसएसपी हरप्रीत कौर पर सांसद पप्पू यादव ने लगाए आरोप तो हरप्रीत ने दिया तगड़ा जवाब.
6 सितंबर को देश में भारत बंद था. एससी-एसटी एक्ट के विरोध में. इसी दिन मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव मुजफ्फरपुर से गुजर रहे थे. यहां के खबरा गांव में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पप्पू को कथित तौर पर रोक लिया. पप्पू इसके बाद मीडिया में आए और कहा कि उनके साथ मारपीट की गई. फूट-फूट कर रोने लगे. जी हां, बाहुबली सांसद पप्पू यादव रो रहे थे. बात यहीं नहीं खत्म हुई.
9 सितंबर को पप्पू यादव फिर एक बार मीडिया के सामने आए. बोले- मेरी हत्या की साजिश रची गई थी. आरोप लगाया कि इस साजिश में मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर भी शामिल थीं. बोले- मैंने हमले के वक्त एसएसपी को फोन किया था, मैसेज किए. मगर एसएसपी ने कोई एक्शन नहीं लिया. वो यहीं नहीं रुके, जोश-जोश में कुछ ऐसा बोल गए जो उन्हें नहीं बोलना चाहिए. बोले -
एसएसपी हमारे मैसेज का रिप्लाई नहीं करतीं, मगर शाम को पत्रकारों को लव लेटर भेजती हैं.
सांसद पप्पू यादव ने एसएसपी हरप्रीत कौर पर लगाए तमाम आरोप.
सांसद पप्पू यादव ने एसएसपी हरप्रीत कौर पर लगाए तमाम आरोप.

कौन हैं हरप्रीत कौर?
जब हमने ये सारा मामला देखा तो हमें लगा कि आखिर वो कौन सी एसएसपी है भाई जिन्होंने कथित बाहुबली सांसद पप्पू यादव को रुला दिया. हमने सोचा कि ऐसी महिला आईपीएस के बारे में तो आपको जरूर जानना चाहिए. तो हमने सीधा मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर से बात की. इस विवाद के बारे में नहीं, बल्कि उनके बारे में. उनकी जिंदगी के बारे में. कैसे पंजाब के एक छोटे से गांव में रहने वाले मास्टर साहब की लड़की आईपीएस बन गई. कैसे एक सीरियल में दिखी महिला आईपीएस की तस्वीर एक बच्ची के मन में ऐसी बसी कि वो वर्दी पहनकर ही मानी. उस महिला आईपीएस की कहानी, जिसका लुक प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म जय गंगाजल में कॉपी किया था.
शुरुआत उनके बचपन से करते हैं. हरप्रीत का जन्म 26 जून 1980 को पंजाब के बरनाला के अलकड़ा गांव में हुआ था. वो भी किसी हाईफाई परिवार में नहीं. उनके पिता जोगिंदर सिंह टीचर रहे हैं औऱ उनकी मां जस्मिल कौर हाउज वाइफ हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही प्राइमरी स्कूल में की. क्लास 10 तक. फिर उनके भाई की सरकारी नौकरी लग गई. मोहाली में. तो वो भी मोहाली आ गईं. आगे की स्कूलिंग वहां से हुई. फिर बारी आई ग्रैजुएशन की. सो वो पहुंचीं चंडीगढ़. गवर्नमेंट कॉलेज 46 में एडमिशन लिया. वहां से बीकॉम किया. अब बीकॉम करके आप सबसे कायदे की क्या चीज कर सकती हैं. कॉमर्स वालों को पता होगा. जी हां सीए माने चार्टर्ड अकाउंटेंट. हरप्रीत ने सीए का एग्जाम क्लियर कर लिया.
हरप्रीत कौर ने 2005 में शुरू की थी यूपीएससी की तैयारी.
हरप्रीत कौर ने 2005 में शुरू की थी यूपीएससी की तैयारी.

अब भाई हमारे मन में ये सीए वाली बात सुनते ही सवाल आया कि इतनी सही चीज कर लेने के बाद कोई सिविल सर्विस की तरफ क्यों जाना चाहेगा. तो हरप्रीत बोलीं-
मैं बचपन से ही सिविल सर्वेंट बनना चाहती थी. मेरे पिता का भी सपना था कि मैं आईपीएस बनूं.
मोटिवेशन कहां से मिला?
बात सिविल सर्विस तक पहुंच गई तो हमने हरप्रीत से पूछा कि ज्यादातर लोगों की सिविल सर्विस की तरफ जाने के पीछे एक कहानी होती है. किसी के साथ कोई घटना होती है तो किसी को कहीं से मोटिवेशन मिलता है. तो हमने हरप्रीत से पूछा कि आपको आईपीएस बनने का मोटिवेशन कहां से मिला. इस पर हरप्रीत ने बताया -
मेरे पिता मुझे बचपन में एक सीरियल दिखाते थे. नाम था उड़ान. दूरदर्शन पर आता था. वो भी एक महिला आईपीएस की ही कहानी थी. तो उससे मुझे बहुत मोटिवेशन मिला था. मेरे मन में तब ही से वैसा कुछ करने की बात बैठ गई थी.
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हम आपको बता दें कि ये उड़ान सीरियल दूरदर्शन पर 1989 से 1991 के बीच आया था. ये आईपीएस और उत्तराखंड की डीजीपी रहीं कंचन चौधरी भट्टाचार्य की कहानी से प्रेरित था. खास बात ये है कि इस सीरियल में कंचन का किरदार उनकी छोटी बहन कविता चौधरी ने निभाया था. वो ही इस सीरियल की डायरेक्टर और राइटर भी थीं. इसमें मशहूर एक्टर और डायरेक्टर शेखर कपूर ने भी रोल किया था.
तो अपने इस सपने को पूरा करने की शुरुआत हरप्रीत ने 2005 में शुरू की. उन्होंने दिल्ली में आकर कोचिंग भी की और अपने तीसरे अटेम्प्ट में यूपीएससी फोड़ दिया. उनकी रैंक थी 143. जी हां, ऑल इंडिया रैंक. फिर हुई उनकी ट्रेनिंग. उन्होंने बिहार कैडर चुना. वो क्यों तो इसकी कहानी आपको बाद में बताएंगे. उनकी पहली पोस्टिंग हुई बिहार के भभुआ जिले में. एएसपी माने असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के तौर पर.
लोगों के बीच जाकर काम करना पसंद
अपनी पहली पोस्टिंग के बारे में हरप्रीत बताती हैं कि वो काफी पिछड़ा इलाका था. आदिवासियों की काफी तादाद थी वहां. नक्सल प्रभावित भी था. सो वहां उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग की शुरुआत की. माने लोगों के बीच जाकर उनके लिए काम किया. बच्चों के लिए क्विज ऑर्गनाइज करना. बड़े लड़के-लड़कियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए क्लासेज करवाना. मेडिकल कैंप वगैरह लगवाकर गरीबों की मदद करना. धीरे-धीरे ये उनका एरिया ऑफ इंट्रेस्ट हो गया और ये आदत उनकी आज भी बनी हुई है.
कम्युनिटी पुलिसिंग पर काफी जोर रहता है हरप्रीत का.
कम्युनिटी पुलिसिंग पर काफी जोर रहता है हरप्रीत का.

वो बताती हैं कि भभुआ के बाद वो जहानाबाद, बेगूसराय और कैमूर में एसपी रहीं. सभी जगह उन्होंने ये कम्युनिटी पुलिसिंग का काम जारी रखा. मई, 2018 में उन्होंने एसएसपी मुजफ्फरपुर के तौर पर जॉइन किया. उनके पति भी बिहार कैडर में ही आईपीएस हैं. नाम है मानवजीत सिंह ढिल्लो. वो इस वक्त वैशाली में एसपी हैं. इनसे हरप्रीत की मुलाकात आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान ही हुई थी. फिर दोनों ने शादी कर ली. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हरप्रीत ने पंजाब की बजाए बिहार कैडर क्यों चुना.
अपने पति के साथ हरप्रीत कौर.
अपने पति मानवजीत के साथ हरप्रीत कौर.

महिला आईपीएस होने में क्या चुनौती?
मैंने उनसे एक सवाल पूछा कि एक महिला आईपीएस होने में क्या कोई अलग से चुनौती होती है तो वो कहती हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है. हमें ट्रेनिंग के दौरान ही इतना सख्त बना दिया जाता है कि हम हर तरह के चैलेंज फेस कर सकें. रही बात लड़कियों की तो वो अब हर फील्ड में आ रही हैं.
'मैं कोई नेता तो हूं नहीं कि भाषण दूं'
आखिर में उन्होंने पप्पू यादव से विवाद पर भी हमसे बात की. वो बोलीं कि मैं सिर्फ फैक्ट पर बात करती हूं. अब मैं कोई नेता तो हूं नहीं कि भाषण देती फिरूं. मगर अगर कोई गलत बात करेगा तो मैं जवाब तो दूंगी ही. बाकि मैं नेताओं का सम्मान करती हूं. पप्पू यादव के मामले में मैंने जांच करवाई थी. जो चीजें सामने आईं, वो मैंने मीडिया के सामने रख दीं. बाकि अगर पप्पू यादव को लगता था कि उनके साथ कुछ गलत हुआ था तो उनको एफआईआर करवानी चाहिए थी.
उन्होंने ये भी कहा कि वो कॉन्ट्रोवर्सीज से दूर रहकर अपना काम करना पसंद करती हैं. उन्हें इस तरह के विवाद नहीं पसंद. मगर क्योंकि पप्पू यादव ने उन पर पर्सनल कमेंट किया. इसलिए वो सामने आईं. जी हां, हरप्रीत ने इसके लिए बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. इसमें उन्होंने पप्पू यादव के हर आरोप का जवाब दिया. देखें-
# पहले तो हरप्रीत ने पप्पू के लव लेटर वाले बयान पर आपत्ति जताई. बोलीं नारी के सम्मान में पदयात्रा करने वाले माननीय सांसद को एक महिला अधिकारी पर गैर मर्यादित टिप्पणी करना शोभा नहीं देता.
पप्पू पर हुए हमले पर एसएसपी ने कहा कि हमले का कोई सबूत सामने नहीं आया है. और अगर वाकेयी हमला हुआ था तो पप्पू यादव ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई. टूटे मोबाइल और गाड़ी का एविडेंस क्यों नहीं दिया. हमले की कहानी पूरी तरह से झूठी है.
हरप्रीत कौर ने पप्पू यादव के एक-एक आरोप का जवाब दिया है.
हरप्रीत कौर ने पप्पू यादव के एक-एक आरोप का जवाब दिया है.

# पप्पू को एस्कॉर्ट न देने की बात पर वो बोलीं कि सांसद का 6 सितम्बर को पूरा कार्यक्रम मधुबनी में था. इसे लेकर मुजफ्परपुर पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई थी. पप्पू यादव के टूर शिड्यूल को दिखाते हुए एसएसपी ने कहा कि इसमें मुजफ्फरपुर की सूचना नहीं है.
बालिका गृह वाले ब्रजेश ठाकुर से संबंधों के आरोप में हरप्रीत ने कहा कि ब्रजेश ठाकुर को उन्होंने ही बालिकागृह मामले में तत्काल गिरफ्तार किया और जेल भेजा.



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