आज से लगभग दो दशक पहले की बात है. शेयर मार्केट में एक नाम हुआ करता था- केतन पारेख (Ketan Parekh). स्टॉक मार्केट की दुनिया का 'बेताज बादशाह' कहलाते थे. लोग उन्हें ‘वन मैन आर्मी’ और ‘पेंटाफोर बुल’ के नाम से भी जानते थे. केतन पारेख जिस भी कंपनी के शेयर खरीदते, उसके दाम रॉकेट की रफ्तार से बढ़ने लगते. जिस भी कंपनी के शेयर बेचते वो कंपनी या तो डूब जाती या घाटे में चली जाती. पूरे शेयर मार्केट का कंट्रोल उनके हाथों में था.
केतन पारेख: शेयर बाजार का 'पेंटाफोर बुल', जिसने बैंकों को लगाई अरबों की चपत
SEBI ने एक Front Running घोटाले का खुलासा किया है. उसने दावा किया इस घोटाले के पीछे Ketan Parekh के अलावा कुछ और लोग भी शामिल हैं. इस घोटाले में 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की गई है.

केतन पारेख ने अपने गुरु हर्षद मेहता (Harshad Mehta) से शेयर मार्केट के सारे दांव-पेच सीखे थे. कहा जाता है कि 1992 के स्कैम में हर्षद मेहता के अलावा केतन का भी हाथ था जो किसी तरह से बच निकले. लेकिन साल 2000 के एक दूसरे बड़े घोटाले में केतन को 3 साल की सजा सुनाई गई. साथ ही 14 सालों के लिए केतन को सिक्योरिटीज मार्केट में पूरी तरह से बैन कर दिया.
अब ये नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. 2 जनवरी को मार्केट रेगुलेटर SEBI ने एक फ्रंट-रनिंग घोटाले का दावा किया. SEBI ने बताया कि इस घोटाले के पीछे केतन पारेख के अलावा कुछ और लोग भी शामिल हैं. इस घोटाले में 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की गई है. साथ ही एक बार फिर केतन की सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री बैन कर दी गई है. लेकिन क्या होता है ये ‘फ्रंट-रनिंग’ (What is Front Running)? कैसे हुआ इस घोटाले का खुलासा? सब जानते हैं.
फ्रंट-रनिंग एक अवैध तरीका होता है. जिसमें कोई ब्रोकर या व्यापारी अपने क्लाइंट के ऑर्डर के बारे में पहले से ही जान लेता है और उसकी गोपनीय जानकारी का फायदा उठाता है. ये पूरी तरह से गैर-कानूनी होता है. इसे एक उदाहरण से समझिए.
मान लीजिए कि एक इनवेस्टर है जिनका नाम है- सुमित. सुमित एक कपड़े की कंपनी के 2000 शेयर खरीदना चाहता है. ये खबर किसी तरह महीप के कानों में पड़ जाती है जो एक ब्रोकर है. अब महीप पैसा कमाने के लिए उस कपड़े की कंपनी के शेयर पहले से खरीद लेता है. क्योंकि महीप तो जानता ही है कि कुछ वक्त के बाद सुमित तो इस कंपनी के शेयर खरीदेगा ही. मान लीजिए इस समय तक उस कंपनी के एक शेयर की कीमत होती है 500 रुपये. लेकिन जब महीप शेयर खरीदना शुरू करता है तो उसकी मांग बढ़ती जाती है. फिर जैसे-जैसे शेयर की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे उसकी कीमत भी बढ़ती जाती है. अब जब इनवेस्टर सुमित शेयर खरीदने के लिए आता है तब शेयर की कीमत हो जाती है 1000 रुपये. फिर जिस शेयर को कभी महीप ने 500 रुपये में खरीदा था अब वो उसे दोगुने दाम यानी 1000 में बेचकर जबरदस्त फायदा उठाता है.
क्या था ये घोटाला?पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट केतन पारेख एक ब्रोकेरेज फैमिली से आते हैं. साल 2017 तक तो उन्हें शेयर मार्केट में पूरी तरह से बैन कर दिया गया. लेकिन इसके बाद फिर से केतन के मार्केट में एक्टिव होने की खबरें आईं. इस बार SEBI ने उन पर फ्रंट-रनिंग घोटाले के जरिए 65.77 करोड़ की अवैध कमाई के आरोप लगाए हैं. SEBI के मुताबिक, पारेख और सिंगापुर के नागरिक रोहित सलगांवकर ने फ्रंट-रनिंग की योजना बनाई थी. 2 जनवरी को एक आदेश जारी करते हुए सेबी ने केतन पारेख और सलगांवकर समेत 22 संस्थाओं को मार्केट से बैन कर दिया.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के बड़े एसेट मैनेजर ने अपने कई फंड्स को SEBI के पास विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के तौर पर रजिस्टर कर रखा था. इसके बाद जब कभी सालगांवकर को अमेरिकी फंड्स से ऑर्डर मिलते तो वो इसकी जानकारी केतन तक पहुंचा देते. इसके बाद केतन कोलकाता में अपने लोगों से इस ट्रेड को फ्रंट रनिंग के तहत एग्जिक्यूट करवाते और अवैध पैसा कमाते.
कैसे हुआ खुलासा?रिपोर्ट के मुताबिक, केतन पारेख ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई अलग-अलग फोन नंबर और नामों का इस्तेमाल किया था. SEBI ने इन सभी चीजों को जोड़कर इस घोटाले का पर्दाफाश किया. दरअसल फ्रंट रनिंग करने वाली संस्थाओं से बातचीत करने के लिए केतन अलग-अलग नंबरों का यूज करते थे. इसके अलावा उनके कॉन्टैक्ट में रहने वाले लोग केतन का नाम अपने फोन में जैक, जॉन, बॉस, भाई, वेलविशर जैसे नामों से सेव करते थे. जिससे किसी को शक ना हो.

ये साबित करने के लिए कि ये नंबर केतन पारेख से जुड़े हुए हैं, SEBI ने एक जुगाड़ लगाया. सबसे पहले, SEBI ने फोन के IMEI नंबरों से जुड़े फोन नंबरों को ट्रैक करके लिंक बनाया. IMEI, मतलब इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी. यह हर फोन का एक यूनीक नंबर होता है. केतन अपनी पहचान छिपाने के लिए फोन नंबर तो बदलता था. लेकिन, फोन उतनी बार नहीं बदलता था. यही उसने गलती कर दी.
SEBI ने जितने भी नंबर निकाले थे. उनमें से ज्यादातर एक ही IMEI नंबर से जुड़े हुए थे. जैसे 8243 पर खत्म होने वाला एक नंबर पारेख ने अपनी पत्नी ममता पारेख का बताया था. लेकिन, वे खुद इसका इस्तेमाल करते थे. इसके अलावा SEBI ने कॉल रिकॉर्ड्स का डेटा निकाला. जिसमें ज्यादातर मोबाइल नंबर्स की लोकेशन केतन पारेख के घर के पते पर थी. सलगांवकर ने भी SEBI जांचकर्ताओं के सामने यह स्वीकार किया कि वे एक-दूसरे से बातचीत करते थे.
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इससे पहले भी किया था घोटाला1990 के दशक की बात है. यह वह वक्त था जब बिग बुल के नाम से जाने जाने वाले हर्षद मेहता ने साल 1992 में 4000 करोड़ का स्कैम किया था. शेयर मार्केट में इनवेस्टर्स का भरोसा एकदम उठ गया था. लेकिन केतन पारेख के लिए ये एकदम ठीक समय था. डॉट-कॉम बूम जोरों पर था. टेक्नोलॉजी के दौर के शुरूआत हो चुकी थी. केतन ने भांप लिया था कि IT सेक्टर में खूब स्कोप है. इसलिए उसने IT स्टॉक में पैसा लगाया शुरू किया. लेकिन इसके लिए उसने ऐसी कंपनियों को चुना जिनके शेयर सस्ते थे. ऐसी कंपनियां, जिसकी कम लिक्विडिटी और कम मार्केट कैप थी. पारेख ने शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए मेहता के मॉडल को दोहराया. ये मॉडल था- पंप और डंप मॉडल. इसी मॉडल का यूज हर्षद मेहता ने स्कैम करने के लिए किया था.

पंप और डंप मॉडल का मतलब है कि किसी कंपनी के शेयर के दाम बढ़ाकर अचानक उसके दाम गिरा देना. केतन पहले इनवेस्टर्स के साथ साठ-गांठ करके शेयर खरीदता. इसके बाद जब कंपनी के शेयर में उछाल आता तो भोले-भाले इनवेस्टर्स इनवेस्ट करने लगते और जाल में फंस जाते. केतन ने ये स्कैम करने के लिए बॉम्बे के बजाय कोलकाता स्टॉक मार्केट को चुना.
केतन ने पंप और डंप मॉडल के तहत खूब पैसा बनाया. इसके बाद 2001 में सरकार ने जैसे ही बजट पेश किया, शेयर बाजार क्रैश हो गया. बाजार में आई गिरावट को देखकर SEBI और RBI ने मामले की जांच शुरू की. जो चीजें सामने आईं उन्हें देखकर सब हैरान रह गए. केतन पारेख पर बाजार में हेरफेर, सर्कुलर ट्रेडिंग, पंप और डंप और जालसाजी करके बैंक से कर्ज लेने का आरोप लगा. इतना ही नहीं, सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिसर (SFIO) की रिपोर्ट के मुताबिक, केतन पारेख ने उस वक्त करीब 40,000 करोड़ रुपये का स्कैम किया था. उसके घोटाले के जरिए साल 2012 में माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक दिवालिया हो गया था. केतन ने इस बैंक से 1200 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. ब्याज मिलाकर यह रकम 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई थी. इसके बाद SEBI ने केतन समेत 26 संस्थाओं पर मार्केट में एंट्री पर बैन लगा दिया. साथ ही केतन पारेख को तीन साल की सजा भी हुई, लेकिन बाद में वह जमानत पर छूट गया.

अब केतन पारेख का नाम फिर सुर्खियों में है. फिलहाल, SEBI ने सभी संस्थाओं को अपना पक्ष रखने के लिए 21 दिन का समय दिया है. इसके अलावा सभी 22 संस्थाओं के डीमैट और बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है. साथ ही यह आदेश भी दिया है कि सभी संस्थाएं अपने म्यूचुअल फंड निवेश को नहीं भुना पाएंगी.
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