अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में 2020 का ऐतिहासिक फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पांच जज थे (Ayodhya Bench Five Judges)- रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नज़ीर. इनमें से चार रिटायर्ड हैं और किसी ना किसी पद पर हैं. केवल डीवाई चंद्रचूड़ बतौर सुप्रीम कोर्ट जज सक्रिय हैं, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में. बाकी चारों जजों में केवल जस्टिस अब्दुल नजीर बचे थे जो रिटायरमेंट के बाद किसी पद पर नहीं थे. अब हो गए हैं और उसी पर बवाल मचा है. अब्दुल नज़ीर को आंध्र प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है. इस पर राजनीतिक विवाद शुरू हो रहा है.
राम मंदिर पर फैसला देने वाले 5 में एक जज राज्यपाल बन गए, बाकी कहां हैं?
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए अब्दुल नज़ीर का तो सबको पता है. बाकी का हाल जानिए.

अब्दुल नज़ीर ने अपने कार्यकाल के दौरान राम मंदिर के अलावा नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया था. आरोप लगा कि चूंकि ये दोनों मामले केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़े थे, इसलिए इनके पक्ष में फैसला देने के चलते ही अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. उनकी नियुक्ति को विपक्ष 'न्यायपालिका के लिए खतरा' बता रहा है. ऐसे में जानना बनता हैं कि वो फैसला देने वाली बेंच के बाकी जज अब कहां हैं और क्या कह रहे हैं.
जस्टिस रंजन गोगोई
-जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर, 2019 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में रिटायर हुए.
-चार महीने बाद उन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए नामित किया. वो राज्यसभा में सांसद के रूप में बैठने वाले तीसरे सुप्रीम कोर्ट के जज बने.
-उनसे पहले पूर्व जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और बहारुल इस्लाम कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के लिए चुने गए थे.
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे
-शरद अरविंद बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए. सुप्रीम कोर्ट में उनका आठ साल का कार्यकाल था.
-रिटायर होने के बाद से उन्होंने कोई आधिकारिक सार्वजनिक पद नहीं संभाला.
-महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर के रूप में काम करते हैं.
जस्टिस DY चंद्रचूड़
-डी वाई चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.
-उनका कार्यकाल दो साल का यानी नवंबर 2024 तक रहेगा.
- वो यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई और अमेरिका में ओकलाहोमा कॉलेज ऑफ लॉ यूनिवर्सिटी में संवैधानिक कानून के गेस्ट प्रोफेसर रहे हैं.
- ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, येल लॉ स्कूल और हार्वर्ड लॉ स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी लेक्चर दिया है.
जस्टिस अशोक भूषण
-अशोक भूषण जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट जज के पद से रिटायर हुए.
-चार महीने बाद, नवंबर 2021 में उन्हें राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. NCLAT प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल चार साल का है.
जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर
-नज़ीर जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट जज के पद से रिटायर हुए थे.
-एक महीने बाद उन्हें आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया.
-वो अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सर्वसम्मत फैसला सुनाने वाली पांच-जजों की बेंच में अकेले मुस्लिम न्यायाधीश थे. सायरा बानो केस में तीन तलाक की संवैधानिक वैधता तय करने वाली वाली बेंच का भी वे हिस्सा रहे हैं. 2016 में की गई नोटबंदी को सही ठहराने वाली बेंच का भी हिस्सा रहे.
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