'ये तेल बदन का फुंक जागा ये सांस भी एक दिन रुक जागा बेड़ा पार उसी का है जो सामने रब के झुक जागा कितनी दुनिया गुजर गई और कितनी और भी आवेगी कितनी है मौजूद यहां पर मौत सभी को खावेगी न चढ़ती जवान पर घमंड करै एक रोज बुढ़ापा आवेगा चलना फिरना होगा मुश्किल टुकड़ा खाड बखावेगा ये हुस्न जवानी कुछ दिन की तेरी चमड़ी में सड़वट पड़ जांगे ये दांत निकड़ जांगे बाहर सारे कल्ले भीतर बढ़ जांगे'ये शायरी गायी है गांव के एक चचा ने. किसी स्टेज पर खड़े होकर नहीं. घर में अपने करीबियों के बीच, कहीं. शायरी के बोल मुस्कुराने की वजह देते हैं. एकदम देसी हैं. शायरी की आधी लाइन्स हमने आपको ऊपर पढ़ा दी हैं. पर गुरु असली मजा तब आएगा, जब आप चचा की आवाज में खुद सुनें. बस फिर क्या, नीचे वीडियो लटका है. क्लिक करो और जवानी पर घमंड किए बिना सुनो... [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/chahal.dayanand/videos/1058233384238744/"]
'ये हुस्न जवानी कुछ दिन की, चमड़ी में सड़वट पड़ जांगे'
गांव के इन चचा ने सुनाई हैं देसी शायरी. वायरल हो रहा है ये वीडियो. सुनिए, देखिए और गुदगुदाइए.
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फोटो - thelallantop
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