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'अमेरिका के बिना दुनिया खत्म', डॉनल्ड ट्रंप अब कुछ भी बोलने लगे हैं

Donald Trump ने ये बयान ऐसे समय में दिया है जब अमेरिकी टैरिफ वार से त्रस्त एशिया की तीन बड़ी ताकतों भारत, रूस और चीन को तियानजिन में हाथ मिलाते पूरी दुनिया ने देखा.

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ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के बिना दुनिया में कुछ नहीं बचेगा (India Today)

डॉनल्ड ट्रंप को लगता है कि अमेरिका नहीं होगा तो दुनिया खत्म हो जाएगी. मंगलवार, 2 सितंबर को अपने ओवल दफ्तर में पत्रकारों के सामने ट्रंप ऐसी ही ‘डींगें हांक रहे’ थे. इतना ही नहीं, ‘अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते’ उन्होंने ‘अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा’ बना देने का क्रेडिट भी खुद ही ले लिया. उन्होंने ये भी कहा कि उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडन ने इकनॉमी को बहुत कमजोर बना दिया था. ट्रंप का ये बयान प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा के बाद आया है. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चीन में मुलाकात की अमेरिका ने आलोचना भी की थी. तीनों नेताओं की इस मुलाकात को अमेरिका और ट्रंप के खिलाफ ताकत के नए गठजोड़ के रूप में देखा गया. इन सब घटनाओं के बाद अमेरिका के अंदर भी भारत से रिश्ते खराब करने पर ट्रंप की आलोचना की जा रही है लेकिन प्रेसिडेंट ट्रंप सत्ता के नशे से बाहर नहीं आना चाहते. बुधवार को वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा,

 अमेरिका के बिना दुनिया की हर चीज खत्म हो जाएगी.

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उन्होंने अमेरिका को 'सबसे ज्यादा तेज’ और ‘सबसे बड़ी आर्थिक ताकत’ बताया और कहा कि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा बना दिया था लेकिन बाइडन ने चार साल में उसे कमजोर कर दिया. उनके मुताबिक, टैरिफ के जरिए वह इसे फिर से मजबूत कर रहे हैं. ट्रंप ने आगे कहा कि टैरिफ की वजह से अमेरिका को बड़ी इनकम हासिल हुई है. 

ट्रंप ने फिर दोहराया कि उन्होंने दुनिया में 7 युद्ध रोकवाए हैं और ऐसा उन्होंने व्यापार की धमकी देकर किया है.

इससे पहले भी वह कई बार ऐसा दावा कर चुके हैं. वह लगातार कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष भी उन्होंने व्यापार खत्म करने की धमकी देकर रोकवाया है. कहा जा रहा है कि ट्रंप खुद के लिए शांति का नोबल पुरस्कार चाहते हैं. पाकिस्तान और इजरायल ने उनके नाम की सिफारिश भी की है और ट्रंप चाहते थे कि भारत की ओर से भी ये सिफारिश की जाए. लेकिन भारत की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं होने के बाद से वह काफी भड़के हुए हैं. 

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