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अमेरिका से भेजे गए 'अवैध प्रवासी' पनामा के होटल में बंद, भारतीय भी हैं शामिल

US Deportation Panama: अमेरिका से भेजे गए प्रवासी वहां के एक होटल में ठहरे हैं. होटल के बाहर सुरक्षाकर्मियों का पहरा है. होटल के अंदर से प्रवासी मदद की गुहार लगा रहे हैं. पनामा सरकार में मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने बताया कि इनमें से कई प्रवासी भारत, चीन, ईरान और वियतनाम से हैं.

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अमेरिका से भेजे गए 300 प्रवासियों ने पनामा के होटल से लगाई मदद की गुहार. (तस्वीर:सोशल मीडिया)

डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका से प्रवासियों को निकाले जाने (US Immigrants Deportation) का क्रम जारी है. इस बीच भारतीयों समेत 300 प्रवासियों को पनामा के एक होटल में रखा गया है. सोशल मीडिया पर इन प्रवासियों के वीडियो वायरल हैं, जिसमें वे मदद की गुहार लगा रहे हैं. इस मामले पर पनामा (Indian Immigrants Panama) में मौजूद भारतीय दूतावास की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. दूतावास ने पनामा पहुंचे प्रवासियों को मदद का पूरा भरोसा दिया है.

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मदद की लगाई गुहार

उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बीच में एक देश है पनामा. अमेरिका से भेजे गए प्रवासी वहां के एक होटल में ठहरे हैं. होटल के बाहर सुरक्षाकर्मियों का पहरा है. होटल के अंदर से प्रवासी मदद की गुहार लगा रहे हैं. वे अपने होटल की खिड़कियों से संदेश दिखा रहे हैं, जिसमें लिखा है, “प्लीज हमारी मदद करें और हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं.

अमेरिकी न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक, होटल में कई देशों के लगभग 300 प्रवासी अपने देश लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं. पनामा सरकार में मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने बताया कि इनमें से कई प्रवासी भारत, चीन, ईरान और वियतनाम से हैं.

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फंसे हुए प्रवासियों में ज्यादातर एशियाई देशों के प्रवासी हैं. उन्हें पनामा और अमेरिका के बीच हुए एक समझौते के बाद भेजा जा रहा है. इसके तहत अमेरिका उन प्रवासियों को पनामा भेज रहा है, जिन्हें डिपोर्ट करने में दिक्कत हो रही थी. पनामा एक तरह से अमेरिका और प्रवासियों के अपने देश के बीच एक पुल का काम कर रहा है.

भारतीय दूतावास ने दिया मदद का भरोसा

पनामा में मौजूद भारतीय दूतावास ने अप्रवासियों को सुरक्षा इंतजाम का पूरा भरोसा दिया है. दूतावास ने आधिकारिक हैंडल से एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी. पोस्ट में लिखा है,

“पनामा के अधिकारियों ने हमें बताया है कि कुछ भारतीय अमेरिका से पनामा पहुंचे हैं. वे सुरक्षित हैं और एक होटल में ठहरे हैं, जहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं. दूतावास की टीम ने उनसे मिलने की अनुमति ले ली है. हम उनकी देखभाल के लिए स्थानीय सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.”

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जो सहमत नहीं होंगे, वे शेल्टर होम में भेजे जाएंगे

रिपोर्ट के मुताबिक, एब्रैगो ने 18 फरवरी को कहा कि 299 प्रवासियों में से 171 ने अपने देश लौटने पर सहमति जताई है. आयरलैंड के एक व्यक्ति को पहले ही वापस भेजा जा चुका है. लेकिन चिंता की बात है कि 40 फीसदी प्रवासियों अभी भी अपने देश वापस जाने में टालमटोल कर रहे हैं.

पनामा सरकार ने बताया कि चीन की एक प्रवासी महिला स्थानीय लोगों की मदद से होटल से भाग गई थी. अधिकारियों ने बताया कि जिन लोगों ने उसकी भागने में मदद की है, उन्हें तस्करी से जुड़े आरोपों का सामना करना पड़ सकता है.

अधिकारियों के मुताबिक, बचे हुए प्रवासियों को अस्थाई तौर पर कोलंबिया और पनामा की सीमा के पास ‘डेरियन गैप’ में  शेल्टर होम में रखा जाएगा. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी उन्हें किसी और देश में बसाने का काम करेगी.

डेरियन गैप का घना जंगल.
डेरियन गैप का घना जंगल.

डेरियन गैप उत्तरी कोलंबिया और दक्षिणी पनामा के बीच बेहद घना जंगल है. दक्षिण अमेरिका को सेंट्रल अमेरिका से जोड़ने वाला ये अकेला जमीनी रास्ता है. अवैध प्रवासी कई सालों से अमेरिका पहुंचने के लिए इसी रास्ते का ‘सहारा’ लेते रहे हैं.

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