डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) को अमेरिका की एक अदालत ने झटका दिया है. ट्रंप ने 2 अप्रैल की तारीख को ‘लिबरेशन डे’ बताते हुए, दुनिया के 100 से अधिक देशों पर भारी टैरिफ (Liberation Day Tarrif) लगाया था. अमेरिकी अदालत ने इस पर रोक लगाते हुए कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. मैनहट्टन की संघीय अदालत ने कहा कि ट्रंप ने अमेरिकी संविधान के खिलाफ जाकर ये फैसला लिया है.
जब देखो तब टैरिफ लगा देते थे ट्रंप, कोर्ट ने ऐसा झटका दिया, सब किए कराए पर फिर गया पानी
Donald Trump प्रशासन ने कोर्ट में कहा कि Trade Deal के लिए उनकी कई देशों के साथ बातचीत चल रही है. उन्होंने चीन और भारत-पाकिस्तान मुद्दे को भी भुनाने की कोशिश की. लेकिन कोर्ट में ट्रंप की कोई भी दलील काम न आई.

‘लिबरेशन डे’ पर ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था जो 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ के अलावा था. हालांकि, बाद में इस पर 7 जुलाई तक के लिए अस्थायी रोक लगा दी गई. भारत के अलावा दुनिया के लगभग सभी देशों पर भारी टैरिफ लगाकर, ट्रंप ने ‘ट्रेड डील’ के लिए दबाव बनाने की नीति अपनाई है.
कोर्ट ने खारिज की ट्रंप की दलीलें
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट में भी यही दलील दी थी. उन्होंने कहा कि टैरिफ को लेकर कई देशों के साथ बातचीत चल रही है और 'ट्रेड डील' को अंतिम रूप देने की आखिरी तारीख 7 जुलाई है. उन्होंने कोर्ट से कहा है कि ये मामला अभी नाजुक स्थिति में है, इसलिए टैरिफ वाले इस फैसले पर रोक नहीं लगाई जाए. कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया.
चीन और भारत-पाकिस्तान मुद्दे को भी उठायाडॉनल्ड ट्रंप ने चीन के मुद्दे को भी अपनी दलील में शामिल किया. दरअसल, 'लिबरेशन डे' पर टैरिफ की घोषणा के बाद अमेरिका और चीन के बीच ‘टैरिफ वार’ की स्थिति बन गई थी. दोनों देश एक-दूसरे पर भारी टैरिफ लगाए जा रहे थे. मामला 245 प्रतिशत टैरिफ लगाने तक पहुंच गया था. हालांकि, बाद में इस मामले पर थोड़ी शांत स्थिति बनी. फिलहाल दोनों देश टैरिफ कम करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं. ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट से कहा कि अगर ट्रंप के फैसले पर रोक लगाई जाएगी, तो ये बातचीत प्रभावित होगी.
इसके अलावा, ट्रंप ने अपने पक्ष में भारत-पाकिस्तान मुद्दे को भी भुनाने की असफल कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के लिए ट्रंप सरकार ने टैरिफ (ट्रेड डील) का इस्तेमाल किया. और अगर टैरिफ वाले फैसले को बदला गया तो इस सीजफायर पर असर पड़ेगा. अमेरिकी अदालत में ट्रंप की ये दलील भी काम न आई.
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भारत सरकार ट्रंप के इस दावे को पहले ही खारिज कर चुकी है. सरकार पहले ही कह चुकी है कि पाकिस्तान ने भारत को फोन किया था और सीजफायर की बात की थी. इसमें न तो किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता की और न ही ट्रंप से व्यापार को लेकर कोई बात हुई.
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