“हुआ यूं कि मेरे पूर्व पीआरओ इंस्पेक्टर साहब अपने कुछ मित्रों के साथ रविवार के लॉकडाउन में पंचायत कर रहे थे. रात के 10 बजे थे. इतने में एक अकेली महिला कॉन्स्टेबल स्कूटी से वहां पहुंचीं और सबकी बढ़िया क्लास लगा दी. ये सभी 5-6 लोग मैडम की क्लास सुनते रहे और सॉरी के अलावा कोई शब्द नहीं था. सभी मित्र दारोगा जी की ओर देखें और दारोगा जी एक्स्ट्रा डांट खाएं. खैर सबने मैडम को सॉरी कहा. मैडम ने स्कूटी स्टार्ट की और चली गईं. पूरे वाकये में तीन बात गौर करने लायक हैं. पहली- मैं प्रीति सरोज की हिम्मत की सराहना करूंगा कि उन्होंने साहस से काम लिया. रात्रि के समय अकेले 5-6 लोगों से भिड़ने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए. दूसरी- प्रीति ने सबको लॉकडाउन के नियम के प्रति चेताया, हड़काया पर कोई भी अपशब्द नहीं कहा. यही आदर्श तरीका होता है पुलिस की ड्यूटी का. 'Firm BUT Polite'. तीसरी बात- दारोगा जी और उनके साथियों ने विनम्रता से अपनी गलती मानी और अपने से अधीनस्थ पुलिसकर्मी को बिना अपना परिचय दिए सॉरी कहा. और इतना ही नहीं, स्वयं फोन करके इंस्पेक्टर आशियाना को प्रीति सरोज की तारीफ की. मुझे भी प्रीति के साहस के बारे में बताया.”यूजर्स इस पोस्ट पर हर किसी की तारीफ कर रहे हैं. प्रीति सरोज की उनकी हिम्मत के नाते. दारोगा जी की तारीफ, उनकी विनम्रता के लिए. और नवनीत सिकेरा की तारीफ, ये बात शेयर कर हौसलाअफजाई के लिए. नवनीत सिकेरा ने कहा- Win-Win सिचुएशन नवनीत सिकेरा ने आगे लिखा कि इस पूरे घटनाक्रम में देखा जाए, तो सभी के सभी धन्यवाद के पात्र हैं. मैनेजमेंट में इसे विन-विन सिचुएशन कहा जाता है. उन्होंने लिखा कि उन्हें इस घटना से गुजरात की महिला कॉन्स्टेबल सुनीता यादव की भी याद आई. बहुत संभव है सुनीता ने हज़ारों अपनी सहकर्मी पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के प्रति और निष्ठावान बनने के लिए प्रेरित किया हो. आख़िर में आईपीएस साब ने चुटकी भी ले ली. लिखा-
“खैर ई बताइल दारोगा जी, कैसी लगी हड़काई.”
मंत्री के बेटे को रोकने वाली कॉन्स्टेबल सुनीता यादव को अब धमकियां मिल रही हैं