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खूंखार डकैत की पत्नी यूपी में नगर पालिका चुनाव लड़ रही है

चंबल के इस डकैत के इश्क के किस्से भी चर्चा में रहते थे.

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निर्भय गुर्जर की पत्नी नीलम गुप्ता लड़ रही हैं इटावा से चुनाव.
चंबल घाटी. इस जगह का नाम सुनते ही डकैतों की तस्वीर सामने आने लगती है. मान सिंह, मलखान सिंह, ददुआ, फूलन देवी आदि आदि. मगर एक और डकैत था जिसका अंदाज सबसे अलग था. उसके गैंग में लड़कियां थीं, जिन्हें दस्यु सुंदरी कहा जाता है. वो मीडिया को बुलाकर इंटरव्यू देता था. करीब 200 गांवों में उसने अपनी अलग ही सरकार बना रखी थी. वो तय करता था कि इन इलाकों में कौन चुनाव लड़ेगा, कौन नहीं. जो विद्रोह करता था, मार दिया जाता था. हम बात कर रहे हैं निर्भय गुर्जर की. चंबल घाटी के सबसे खूंखार और आखिरी डकैतों में एक. 2005 में उसे मार गिराया गया था. अब खुद डकैत रह चुकी उसकी चौथी पत्नी नीलम गुप्ता चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने को तैयार है. वो मुलायम सिंह के गढ़ माने जाने वाले इटावा की नगर पालिका सीट से अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रही है.
13 साल कैद में गुजार चुकी हैं नीलम गुप्ता.
13 साल कैद में गुजार चुकी हैं नीलम गुप्ता.

13 साल की सजा काट चुकी है नीलम
नीलम गुप्ता जब 14 साल की थी, तब डकैत निर्भय गुर्जर उसे किडनैप कर लाया था. इसके बाद वो भी गैंग की सदस्य बन गई थी. 28 फरवरी 2004 को निर्भय ने नीलम से शादी कर ली. मगर कुछ महीने बाद ही नीलम निर्भय के बेटे श्याम जाटव के साथ भाग निकली. उस पर कई हत्याओं और किडनैपिंग के मुकदमे भी दर्ज थे. 31 जुलाई 2004 को इटावा की एंटी डकैती कोर्ट में नीलम ने आत्मसमर्पण कर दिया. जिसके बाद उसे नारी निकेतन लखनऊ भेज दिया गया. 13 साल बाद जनवरी 2017 को वो जेल से रिहा हुई. बाहर निकलते ही नीलम ने ऐलान किया था कि वो राजनीति में आना चाहती है. पार्टी कौन सी होगी अभी ये तय नहीं है. मगर जेल से निकलते ही उसने मोदी और अखिलेश दोनों की तारीफ की थी. कई पार्टियों से चुनाव लड़ने के ऑफर होने की बात भी नीलम ने कही थी. उसका कहना है कि वो राजनीति में आकर नई जिंदगी शुरू करना चाहती है. उसने अपने पापों की सजा काट ली है.
निर्भय गुर्जर का खौफ चंबल घाटी के आसपास के 200 गांवों में था.
निर्भय गुर्जर का खौफ चंबल घाटी के आसपास के 200 गांवों में था.

200 से ज्यादा हत्याएं, किसी का कान काटा तो किसी का हाथ
अब बात निर्भय गुर्जर की. साल 1986 की बात है. एक चोरी के मामले में उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने काफी मारा-पीटा था. छूटते ही उसने ताकत और बदले के लिए डकैत लालाराम का गैंग जॉइन कर लिया. धीरे-धीरे वो गैंग के सबसे मजबूत आदमियों में शुमार हो गया. फिर उसने अपना अलग गैंग बना लिया और चंबल और उसके आसपास के गांवों में उसकी तूती बोलने लगी. निर्भय गुर्जर के गिरोह में कई खूबसूरत लड़कियां सदस्य थीं. इन दस्यु संदरियों में सीमा परिहार, मुन्नी पांडे, पार्वती उर्फ चमको, सरला जाटव और नीलम गुप्ता प्रमुख थीं. उसके गैंग में 250 से ज्यादा लोग थे. उसके लोगों के मारने का तरीका भी अलग था. वो कभी किसी की नाक-कान काट देता तो कभी हाथ-पैर. उस पर 200 से ज्यादा हत्याओं और अपहरण के केस थे. एमपी और यूपी पुलिस ने इसे पकड़ने के लिए 2.5 लाख रुपये का इनाम भी रखा था.
एक नंबर का रसिया था निर्भय, पर धोखे भी खूब मिले
निर्भय गुर्जर के गिरोह की पहचान थी उसमें शामिल खूबसूरत महिला डकैत. निर्भय पहले लड़कियों का अपहरण करता था और बाद में उन्हें ट्रेनिंग देकर गिरोह में शामिल कर लेता था. उसने 4 लड़कियों से शादी भी की थी. सबसे पहले मुन्नी पांडे नाम की लड़की को उसने अपनी पत्नी बनाया था. मगर वो निर्भय के मुंहबोले भाई मुन्ना गुर्जर के साथ भाग गई थी. धोखे से बौखलाए निर्भय ने दोनों को ढूंढकर मौत के घाट उतार दिया था. 1986 में निर्भय ने सीमा परिहार से शादी की. वही बिगबॉस वाली सीमा परिहार. मगर वो भी बाद में किसी डकैत के साथ भाग गई. जून 2000 में सीमा ने सरेंडर कर दिया था.
निर्भय गुर्जर के गैंग में लड़कियां भी थीं, जिनमें चार से उसने शादी की थी.
निर्भय गुर्जर के गैंग में लड़कियां भी थीं, जिनमें चार से उसने शादी की थी.

बेटा पत्नी लेकर भागा तो बहू से कर ली शादी
मगर सबसे बड़ा झटका निर्भय को नीलम गुप्ता ने दिया था. 2004 में शादी के महज 6 महीने बाद नीलम निर्भय के मुंहबोले बेटे श्याम जाटव के साथ भाग गई थी. दोनों अपने साथ 8 लाख रुपये, ज्वैलरी और हथियार लेकर भागे थे. पत्नी की इस हरकत से निर्भय गुर्जर आगबबूला हो गया था. उसने ऐलान किया कि जो भी उसकी पत्नी को जिंदा या मुर्दा पकड़कर लाएगा, उसे वो 21 लाख रुपये का इनाम देगा. इसके अलावा निर्भय ने श्याम की पत्नी यानी अपनी बहू सरला से शादी कर ली थी. निर्भय की मौत के बाद सरला ने ही काफी टाइम तक गैंग को संभाला.
यूपी एसटीएफ ने 2005 में मार गिराया था निर्भय को.
यूपी एसटीएफ ने 2005 में मार गिराया था निर्भय को.

शिवपाल को कह दिया था बड़ा भाई और खेल खत्म
2005 में जब निर्भय गुर्जर को मारा गया तब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी. मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. उस वक्त निर्भय गुर्जर का आतंक इटावा और उसके आसपास के इलाकों में अपने चरम पर था. विपक्ष अकसर मुलायम सिंह और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव पर डकैतों को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहता था. इस बीच निर्भय गुर्जर ने खुलेआम शिवपाल को बड़ा भाई बता दिया. उनसे बातचीत होते रहने की बात कह दी. विपक्ष ने खूब हंगामा काटा. कहते हैं निर्भय भी राजनीति में उतरना चाहता था. इसीलिए वो नेताओं पर डोरे डाल रहा था. मगर शिवपाल को ये बात चुभ गई. और यहीं से ऑपरेशन निर्भय शुरू हो गया. डकैत के पीछे स्पेशल टास्क फोर्स(STF) को लगा दिया गया. एसटीएफ ने तेजी से ऑपरेशन चलाया और देखते ही देखते 40 से ज्यादा निर्भय के साथियों को मार गिराया. निर्भय कमजोर पड़ गया. फिर 8 नवंबर 2005 को उसके छतरपुर में एक व्यापारी से मिलने आने की खबर एसटीएफ तक पहुंच गई. एसटीएफ ने फील्डिंग लगाई और मुठभेड़ में उसे मार गिराया.


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