जवाहर लाल मौर्या. यूपी के बहराइच जिले के डीएम के ड्राइवर. पूरे यूपी में आज इनकी चर्चा है. इनके छोटे बेटे कल्याण सिंह मौर्या ने UPPSC में 40वीं रैंक हासिल की है. और एसडीएम बन गए हैं. जवाहर ने आजतक के राम बरन चौधरी से बात की. उन्होंने बताया कि वे 35 साल से जिलाधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं. अधिकारियों को देखकर ही उन्होंने अपने बच्चों को भी वैसा ही बनने की प्रेरणा दी.
पिता डीएम के ड्राइवर, बेटा बन गया SDM, UPPSC में 40वीं रैंक
5 नंबर कम होने के चलते कल्याण IAS अधिकारी बनने से चूक गए!

IAS के इंटरव्यू में 5 नंबर कम रह गएजवाहर लाल अपने बेटे की सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देते हुए कहते हैं,
“मेरी पत्नी का मेरे बच्चों की सफलता में सबसे बड़ा योगदान है, लेकिन आज वो इस खुशी को देखने के लिए मौजूद नहीं हैं, मैं तो ड्राइवर हूं पूरा समय ड्यूटी पर रहता हूं. लेकिन मेरी पत्नी बच्चों को सबसे अधिक समय देती थीं, उन्हें गाइड करती थीं, लेकिन उनकी किस्मत में ये खुशी देखना नहीं था. उनकी पांच साल पहले मौत हो चुकी है. लेकिन, ये सब प्रेरणा उन्हीं की है.”
जवाहर लाल मौर्या ने बेटे कल्याण की शुरुआती शिक्षा के बारे में भी बताया. आजतक के मुताबिक कल्याण की शुरुआती पढ़ाई बहराइच के नानपारा में हुई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई बहराइच के 'सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट कॉलेज' से की. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीएससी की. इसके बाद कल्याण का केमिस्ट्री से एमएससी करने के लिए आईआईटी दिल्ली में एडमिशन हो गया.

इस समय कल्याण एनटीपीसी सोलापुर महाराष्ट्र में सहायक प्रबंधक पद पर तैनात हैं. बेटे की सफलता पर गदगद जवाहर लाल अपने मोबाइल में 2021 के यूपीएससी का रिजल्ट दिखाते हैं. और कहते हैं कि उनका बेटा IAS के इंटरव्यू देने के बाद महज 5 नंबर कम होने के चलते सेलेक्ट नहीं हो सका.
बड़ा बेटा इंजीनियरकल्याण के आलावा जवाहर लाल मौर्या के तीन और बच्चे हैं. बड़ा बेटा संजय और बेटियां श्रेया व प्रिया मौर्या. जवाहर लाल बताते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं की. बड़ा बेटा एनआईटी प्रयागराज से बीटेक कर एसेंचर कंपनी में चीफ इंजीनियर है. उनकी दोनों बेटियां भी पोस्ट ग्रेजुएट कंपलीट कर चुकी हैं. और अपने भाई के रास्ते पर चलते हुए यूपीएससी की तैयारी में जुटी हुई हैं.
उधर, जवाहर लाल के बेटे की सफलता पर बहराइच का पूरा कलेक्ट्रेट खुशियां मना रहा है. बहराइच के जिलाधिकारी डॉक्टर दिनेश चंद्र सिंह ने जवाहर लाल को सम्मानित किया. उन्होंने कलेक्ट्रेट के अन्य कर्मचारियों को भी उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में कोई भी किसी पद को अपनी प्रतिभा के दम पर हासिल कर सकता है, बशर्ते वो उसके प्रति निष्ठावान हो.
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