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केंद्र सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों को छोड़ने की मंजूरी दी- गुजरात सरकार

गुजरात सरकार ने ये भी बताया कि मुंबई की CBI शाखा और विशेष जज ने इन बलात्कारियों की रिहाई का विरोध किया था. सरकार ने कहा कि रिहाई के समय दोषियों के 'अच्छे व्यवहार' को ध्यान में रखा गया

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बिलकिस बानो. (फाइल फोटो: PTI)

बिलकिस बानो (Bilkis Bano) केस में 11 बलात्कारियों को रिहा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मंजूरी दी थी. गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर ये जानकारी दी है. खास बात ये है कि मुंबई की CBI शाखा और विशेष जज (CBI) ने इन रेपिस्टों को रिहा करने का विरोध किया था. राज्य सरकार ने अपने एफिडेविट में ये भी कहा कि सभी 11 दोषियों ने अपनी 14 साल की सजा पूरी कर ली थी और उनके 'अच्छे व्यवहार' को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद उन्हें रिहा किया गया. 

गुजरात सरकार ने ये भी कहा कि ये निर्णय 1992 की पुरानी नीति के तहत लिया गया है. इसमें 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत कैदियों को रिहा करने के लिए जारी की गई नई नीति का कोई लेना-देना नहीं है. सरकार का कहना है कि उन्होंने सात अथॉरिटीज के साथ विचार-विमर्श के बाद बलात्कारियों को रिहा किया है.

सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा उस याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जिसमें CPM नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा ने 11 रेपिस्टों को रिहा करने के फैसले को चुनौती दी है. राज्य सरकार ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई दम नहीं है और न ही कानून के अनुसार इस तरह की याचिका दायर की जा सकती है, क्योंकि याचिकाकर्ता मामले के पीड़ित नही हैं.

एफिडेविट में कहा गया,

'जनहित याचिका आपराधिक मामले में दायर नहीं की जा सकती है. याचिकाकर्ता किसी भी तरह से इस केस से जुड़े नही हैं. न तो उस समय कार्यवाही में शामिल थे, जब आरोपियों को दोषी ठहराया गया था और न ही वो दोषियों की रिहाई वाली प्रक्रिया के हिस्सा थे.'

‘राजनीति से प्रेरित है याचिका’

राज्य सरकार ने कहा कि ये याचिका राजनीति से प्रेरित है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.

मालूम हो कि इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अचानक से बिलकिस बानो का नाम खबरों में तैरने लगा था. क्योंकि उनका सामूहिक बलात्कार करने वाले और 3 साल की बच्ची समेत 14 लोगों की जान लेने वाले 11 दोषी गोधरा की एक जेल से बाहर आ गए थे. चोरी छिपे नहीं, दिन दहाड़े. वहां उनके माथे पर तिलक लगाया गया, उन्हें मिठाई खिलाई गई. जैसे ये कोई जंग जीतकर आए हों. इन दोषियों के नाम हैं- जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेश भट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोरढ़िया, बाकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट और रामेश चांदना.

इस मामले की जांच CBI ने की थी और इसके ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से महाराष्ट्र में शिफ्ट कर दिया था, ताकि निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित हो सके. साल 2008 में मुंबई की सेशन कोर्ट ने सभी 11 आरोपियों को गैंगरेप और मर्डर के आरोप में उम्रकैद की सजा दी थी.

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