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शाहरुख को ट्रोल करने वालों को वो बात सुननी चाहिए, जो लता ने उनके बारे में कही थी

और शाहरुख ने भी लता के लिए बहुत प्यारी बात कही थी. दोनों के पिछले बयान देखिए और समझिए कि कलाकार होना क्या होता है.

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एक इवेंट के दौरान लता मंगेशकर. दूसरी तरफ उन्हें आखिरी विदाई देते शाहरुख खान और उनकी मैनेजर पूजा ददलानी.
6 फरवरी को मुंबई के शिवाजी पार्क में लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार हो रहा था. देश-दुनिया के तमाम लोग उन्हें आखिरी विदाई देने पहुंचे हुए थे. यहां शाहरुख खान भी अपनी मैनेजर पूजा ददलानी के साथ स्पॉट किए गए. शाहरुख और पूजा दोनों एक साथ लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने मंच पर चढ़े. पूजा वहां हाथ जोड़कर खड़ी हो गईं, जबकि शाहरुख खान ने पहले वहां खड़े होकर दुआ पढ़ी. फिर अपना मास्क नीचे खिसकाकर झुककर पार्थिव शरीर पर फूंक मारी. जो कि उनकी दुआ का हिस्सा था. अब इस चीज़ को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया. दिग्गज सिंगर रहीं लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार हो रहा था, ये चीज़ चली गई बैकग्राउंड में. सोशल मीडिया पर लोग इस बात पर भिड़ गए कि शाहरुख ने लता जी के शरीर पर 'थूक' दिया क्या? इस चीज़ को लेकर सोशल मीडिया दो फाड़ हो गया. एक तबका ये साबित करने में लग गया कि शाहरुख ने लता मंगेशकर का अपमान किया. जबकि एक धड़ा शाहरुख और उनकी मैनेजर की फोटो शेयर कर 'This is our India' और 'Shahrukh Khan is national treasure' टाइप की बातें लिखने में लग गया.


जो लोग शाहरुख के फूंक मारने को थूकना कह रहे हैं, ये उनकी बेवकूफी का नमूना है. इससे ये पता चलता है कि हमें एक ही देश में रहने के बावजूद, दूसरे धर्मों के बारे में कितनी कम जानकारी है. हमें ये भी नहीं पता कि दुआ पढ़ने के बाद फूंक मारना उस प्रक्रिया का हिस्सा है. और ये बड़ी नफरती बात है कि किसी की डेड बॉडी पर खड़े होकर राजनीति हो रही है. दूसरी तरफ वो लोग हैं, जो शाहरुख और उनकी मैनेजर की फोटो शेयर कर रहे हैं. उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. शाहरुख खान ने जो किया वो बिलकुल ऑब्वियस चीज़ थी. आप किसी के अंतिम संस्कार में जाते हैं, तो उनके लिए दुआ करते हैं. वहां दो धर्म के दो लोग खड़े थे. जो अपने-अपने हिसाब से दुआ कर रहे थे. उसे लेकर इतना पैशनेट होने की क्या ज़रूरत!
खैर, सोशल मीडिया गिमिक से कुछ अलग बात करते हैं. हम लोग महान कलाकारों पर बिना सोचे-समझे टिप्पणियां कर देते हैं. हम कभी ये नहीं देखते हैं कि उनका आपसी रिश्ता कैसा था. उसमें कितनी गर्माहट थी, कितना आदर-सम्मान था. हमने यही टटोलने के लिए इन दोनों के कुछ पुराने इंटरव्यू खंगाले. वहां से जो हासिल हुआ, आपको बताते हैं. पढ़िए कि ये दोनों एक दूसरे के बारे में कैसे विचार रखते थे.
लता मंगेशकर ने अपने करियर में शाहरुख खान की ढेरों फिल्मों के गाने गए. लता मंगेशकर की आवाज़ हमेशा शाहरुख के इर्द-गिर्द रही. कभी उनकी हीरोइन की वॉइस रहीं वो, तो कभी उनकी मां के किरदार की. लता मंगेशकर ने आखिरी बार जिस एल्बम के सारे गाने गए थे, वो शाहरुख खान की ही फिल्म 'वीर ज़ारा' थी.
जब भी शाहरुख खान से लता मंगेशकर के बारे में पूछा जाता, तो वो उनकी तारीफ के साथ एक ही बात कहते-

''मुझे ये अफसोस हमेशा रहेगा कि लता जी कभी मेरे लिए नहीं गा पाएंगी.''

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ज़ाहिर सी बात है कि वो फीमेल थीं. तो मेल एक्टर के लिए कैसे प्लेबैक करतीं. लेकिन शाहरुख का ये कहना इस बात को रेखांकित करता है कि वो लता की हस्ती का कितना सम्मान करते थे. लता के लीजेंडरी करियर की अहमियत को किस तरह समझते थे.
मशहूर डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर और राइटर नसरीन मुन्नी कबीर ने लता मंगेशकर पर एक किताब लिखी. Lata Mangeshkar, In Her Own Voice. इस किताब के लिए एक इंटरव्यू में नसरीन मुन्नी कबीर ने लता मंगेशकर से शाहरुख की इस इच्छा और अफसोस के बारे में पूछा. इसके जवाब में लता मंगेशकर ने कहा-
''शाहरुख खान अलग-अलग तरह के रोल्स कर सकते हैं. 'डर' और 'बाज़ीगर' में उन्होंने विलन का रोल किया. फिर आई 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे'. इस फिल्म में उन्होंने रोमैंटिक हीरो के आइडिया को बदलकर रख दिया. मेरी भी इच्छा है कि काश मैं शाहरुख खान के लिए गा पाती.''
फिल्म 'डर' से जुड़े एक इवेंट के दौरान शाहरुख खान, लता मंगेशकर, यश चोपड़ा और जूही चावला.
फिल्म 'डर' से जुड़े एक इवेंट के दौरान शाहरुख खान, लता मंगेशकर, यश चोपड़ा और जूही चावला.


पिछले दिनों शाहरुख खान अपने बेटे आर्यन खान की वजह से चर्चा में थे. आर्यन को नार्कोटिक्स केस में गिरफ्तार किया गया था. जब जेल से निकलकर आर्यन घर पहुंचे, तो फिल्म समीक्षक सुभाष के. झा ने लता मंगेशकर से बात की. उन्होंने लता जी से शाहरुख खान से जुड़े कई सवाल पूछे. इसमें शाहरुख के अफसोस वाली बात भी शामिल थी. इस बातचीत में लता मंगेशकर बताती हैं-
''मैंने शाहरुख को पहली बार 'फौजी' नाम के टीवी सीरियल में देखा. वो दूरदर्शन वाला दौर था. मुझे तभी उन्हें देखकर लगा था कि इस लड़के में कुछ खास बात है. उसके बाद मैंने उन्हें उर्मिला मातोंडकर के साथ फिल्म 'चमत्कार' में देखा. उस फिल्म में शाहरुख की परफॉरमेंस बड़ी मासूम और ईमानदार थी. बाद में मैंने उनकी 'दीवाना' और 'बाज़ीगर' जैसी फिल्में देखीं, जिसमें उन्होंने नेगेटिव रोल्स किए थे. उन परफॉरमेंसेज़ से ये साफ हो गया था कि वो किसी भी तरह का रोल कर सकते हैं.''
इसी बातचीत में लता मंगेशकर ने शाहरुख की कही एक बात को कोट किया. लता जी जोड़ती हैं-
''मैंने शाहरुख को कहीं ये कहते सुना था कि उन्हें रिदम और डांस का सेंस नहीं है. फिर मैंने उन्हें 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के गाने 'रुक जा ओ दिल दीवाने' में देखा. उसमें इतना सही एक्टिंग किया था उन्होंने. इसके बाद मैंने उन्हें 'दिल से' फिल्म के गाने 'छैंया छैंया' पर डांस करते हुए देखा. He moved like a dream.''
एक पब्लिक इवेंट के दौरान लता मंगेशकर और शाहरुख खान.
एक पब्लिक इवेंट के दौरान लता मंगेशकर और शाहरुख खान.


फाइनली उन्होंने शाहरुख खान के लिए गाने वाले सवाल पर बात की. लता मंगेशकर ने कहा-
''दिलीप कुमार साब के साथ शाहरुख की तुलना की जाती है. उन्होंने भी एक बार ऐसी ही इच्छा ज़ाहिर की थी. काश मैं शाहरुख के लिए गा पाती. गानों में उनके एक्सप्रेशंस बहुत करेक्ट होते हैं.''
कुल मिलाकर कलाकार आपसी सम्मान का मोल समझते हैं. क्योंकि उनके पास आर्ट है और उस आर्ट से उपजी समझदारी भी. अगर कोई कुछ नहीं जानते-समझते तो वो हैं, ट्रोल्स. उनका तो काम ही है नफरत फैलाना. बेचारे नफरती जीव.


वीडियो देखें: कोरोना के बाद से लता मंगेशकर के जीवन में क्या बदलाव आए थे?

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