The Lallantop

ग़ाज़ा की वो सुरंगें, जिनमें हमास ने बंधकों को छिपा रखा है

रिपोर्ट्स के मुताबिक ये सुरंगें पूरे ग़ाज़ा में फैली हुई हैं और इनकी लंबाई तकरीबन 500 किलोमीटर है.

Advertisement
post-main-image
गाजा के नीचे एक और गाजा है जिसका निर्माण सुरंगों से हुआ है (फोटो- आजतक).

‘’लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सज़ा पाई थी.'' 

Advertisement

शायर मुज़फ्फर इस्लाम रज़्मी का ये शेर आज इजरायल-हमास के बीच चल रही जंग पर फिट बैठता है. ग़ाज़ा में करीब 2700 लोग मारे जा चुके हैं. 1400 इ़़जरायली लोगों की भी मौत हो चुकी है. ये सब शुरू हुआ 7 अक्टूबर के रोज़, जब हमास ने अचानक इज़रायल पर हमला बोल दिया. तब से एक सवाल लगातार पूछा जा रहा है. कि लगभग अभेद्य माने जाने वाले इजरायल के डिफ़ेंस सिस्टम को हमास ने कैसे पार किया? जवाब है हमास का 'टनल नेटवर्क'. हमास ने पूरी गाज़ा पट्टी में सुरंगों का जाल बिछा रखा है, जिनका इस्तेमाल हमले के लिए हुआ.

कब बनी थीं ये सुरंगें?

कहानी शुरू होती है 2001 से. उस वक्त इजरायल के प्रधानमंत्री थे एरियल शेरॉन. इजरायल ने पूरी ग़ाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर रखा था. फिलिस्तीन के चरमपंथी गुट इजरायल से लड़ रहे थे. पर इजरायल की डिफेंस फोर्सेज़ के आगे वो हर बार पस्त हो जाते. इसी दौरान उन्हें एक नया तरीका सूझा. चरमपंथी गुटों ने सुरंगें खोदनी शुरू कीं. इन सुरंगों में वो बारूद भर देते थे. फिर आया साल 2004. प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन ने ग़ाज़ा पट्टी खाली करने का एलान किया. इजरायल के निकलते ही वहां संघर्ष शुरू हो गया. हमास और फतह आपस में लड़ने लगे. आखिरकार हमास ने ये लड़ाई जीत ली और ग़ाज़ा पट्टी पर उसका कंट्रोल हो गया. 

Advertisement

फिर हमास ने सुरंगों के पुराने नेटवर्क को बढ़ाना शुरू किया. हमास जानता था कि सीधी लड़ाई में इजरायल से जीतना नामुमकिन है. इन सुरंगों के ज़रिए हमास इजरायल पर हमले करता. 2006 में एक ऐसा ही हमला हुआ. हमास के आतंकी एक सुरंग के ज़रिए इजरायल के एक बॉर्डर पोस्ट पर पहुंच गए. इस हमले में 2 इजरायली सैनिक मारे गए जबकि 1 सैनिक, गिलाड शालित को हमास ने अगवा कर लिया. 2011 में गिलाड की रिहाई के बदले 1,027 कैदियों को छोड़ा गया.

हमास इन सुरंगों का इस्तेमाल कैसे करता है ?

ग़ाज़ा पट्टी करीब 40 किलोमीटर लंबी और क़रीब 10 किलोमीटर चौड़ी है. ग़ाज़ा में आबादी का घनत्व बहुत अधिक है. हमास ने पूरी घनी आबादी के बीच इन सुरंगों का नेटवर्क फैला रखा है. इनके दरवाज़े, स्कूलों, रिहायशी इमारतों और मस्जिदों में भी खुलते हैं. सीएनएन से बात करते हुए इजरायल की राईकमैन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और अंडरग्राउंड वारफेयर एक्सपर्ट डाफ्ने रिचमंड बराक कहते हैं, 

“ज़मीन के एक छोटे से हिस्से में काफी जटिल सुरंगों का नेटवर्क है. ये अभी पता नहीं कि इतने बड़े टनल नेटवर्क को बनाने में हमास को कितना पैसा खर्च करना पड़ा होगा. हमास का पूरी तटीय ग़ाज़ा पट्टी पर नियंत्रण है.”

Advertisement

इन सुरंगों की ही बदौलत हमास ने इजरायल जैसी उन्नत तकनीक से लैस सेना को परेशान किया हुआ है. अफ़ग़ानिस्तान में भी अल-क़ायदा ने पहाड़ों में ऐसी सुरंगें बनाईं थीं. पर हमास की सुरंगें उससे अलग हैं. अफ़ग़ानिस्तान में आबादी का घनत्व वैसा नहीं है जैसा ग़ाज़ा पट्टी में है. ग़ाज़ा दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है. यहां की आबादी करीब 23 लाख है. अब जब इजरायल ने ग़ाज़ा पर ज़मीनी हमले का निर्णय लिया है, ऐसे में सबसे बड़ी समस्या ये सुरंगों का नेटवर्क ही है. ये भी दावा किया जा रहा है कि जिस ग्राउंड इंवेज़न (ज़मीनी हमले) की तैयारी इज़रायल कर रहा है, उसका एक प्रमुख लक्ष्य गाज़ा की सुरंगों को नष्ट करना भी होगा. 

बंधक भी हैं सुरंगों में?

इज़रायल किसी भी कीमत पर सुरंगों को नष्ट करना चाहेगा लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी समस्या है हमास का एक दावा - कि 7 अक्टूबर के हमले में जिन लोगों को बंधक बनाया गया, उन्हें इन्हीं सुरंगों में रखा गया है. ऐसे में इजरायल के लिए सुरंगों पर हमला करना इतना भी आसान नहीं है.2021 में इजरायल ने करीब 100 किलोमीटर का सुरंगों का नेटवर्क तबाह किया था. पर ये पूरे नेटवर्क का 5% ही था.समय के साथ इन सुरंगों का नेटवर्क और तगड़ा होता गया. वेंटिलेशन के लिए जगह, बिजली की व्यवस्था तक इन सुरंगों में है. इनमें से कुछ की गहराई 35 मीटर तक है.                                     

(यह भी पढ़ें: इजरायल पर लग रहे 'युद्ध अपराध' के आरोप, क्या कहते हैं जेनेवा कन्वेंशन के नियम? )

Advertisement