क्या है मामला?
सनातन साधक प्रशांत जुवेकर. जलगांव में सनातन आश्रम चलाता है. उसका नाम एटीएस ने 2009 के गोवा ब्लास्ट के आरोपियों में से एक के रूप में लिया था. जुवेकर ने जुलाई 2010 में अवैध फायर आर्म केस में भुसावल की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र एटीएस को दिए अपने बयान में खुलासा किया था. उसने बताया था कि कैसे गोवा विस्फोट मामले में वॉन्टेड अन्य सनातन संस्था के सदस्यों के साथ वर्ली के एक रेस्तरां में वह एडवोकेट संजीव पुनालेकर से मिला था. पुनालेकर ने उन्हें आरोपपत्र दाखिल होने तक आत्मसमर्पण करने या राज्य से भाग जाने के लिए कहा था. लंबे समय तक फैजाबाद में छिपे रहने के बाद जुवेकर मुंबई लौट आया. और चार अन्य वॉन्टेड आरोपियों सारंग अकोलकर, रुद्र पाटिल, जयप्रकाश अन्ना और विनय पवार से मिला. ये चारों गोवा विस्फोट मामले में वॉन्टेड थे.कोर्ट में खारिज हो गया था केस
16 अक्टूबर, 2009 को सनातन संस्था के दो सदस्यों मालगोंडा पाटिल और योगेश नाइक की हत्या के बाद जुवेकर लगभग एक साल तक फरार रहा था. 2009 में गोवा के मडगांव में दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाली नरकासुर यात्रा में एक स्कूटर बम धमाके में दो सवारों की मौत हो गई. इस धमाके में तीन गाड़ियां जल गई थीं. पुलिस ने बताया था कि मालगोंडा पाटिल और योगेश नाइक स्कूटर पर बम लगाने वाले थे, लेकिन वह अचानक फट पड़ा और दोनों मारे गए. एनआईए ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ 4000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. जुवेकर को बाद में एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन आरोपी के खिलाफ मामला साबित नहीं किया जा सका, क्योंकि गोवा विस्फोट मामले में एनआईए द्वारा दायर आरोपपत्र दिसंबर 2013 में एक विशेष अदालत ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था.पुनालेकर ने आरोपियों को दी थी सलाह
महाराष्ट्र एटीएस द्वारा गिरफ्तारी के बाद जुवेकर ने अपने बयान में कहा था कि पुनालेकर ने मालेगांव विस्फोट मामले की तरह बलि का बकरा बनने से बचने के लिए राज्य से बाहर भागने का निर्देश दिया था. इसके बाद जुवेकर 11 जनवरी को फैजाबाद में अपनी पत्नी को लाने के लिए रवाना हुआ, जबकि 11 जनवरी से 14 जनवरी, 2010 के बीच अकोलकर, पवार, पाटिल और जयप्रकाश मुंबई के पुनालेकर कार्यालय में रहे. जब जुवेकर वापस लौटा तो वह भी 14 जनवरी 2010 को रात भर उसी कार्यालय में रहा, जिसके बाद पाटिल और जयप्रकाश चेन्नई के लिए रवाना हुए, जबकि जुवेकर पवार और अकोलकर के साथ गुजरात के जूनागढ़ के लिए रवाना हुए.तब नहीं हुई थी कोई कार्रवाई
यह बयान महाराष्ट्र एटीएस के पास था और कथित तौर पर एनआईए के साथ साझा किया गया था, लेकिन इसके बावजूद पुनालेकर के खिलाफ उनके कार्यालय में वॉन्टेड आरोपियों को शरण देने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. जांच एजेंसी को आरोपी के बारे में सूचित नहीं किया गया था. पुनालेकर को पुणे की एक अदालत ने सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. बहुत जल्द उनकी हिरासत पानसरे हत्या मामले की जांच करने वाली महाराष्ट्र एसआईटी की ओर से मांगी जाएगी.मध्य प्रदेश के सिवनी में गोमांस के शक पर पीटा जय श्री राम के नारे लगवाए