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'कश्मीर जाने में..,' चुनाव से ठीक पहले पूर्व गृह मंत्री का बयान, बीजेपी ने कांग्रेस को घेर लिया

वरिष्ठ पत्रकार रशीद क़िदवई ने सुशील शिंदे के जीवन और राजनीति पर किताब लिखी है. शीर्षक, ‘फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स: सुशील कुमार शिंदे’. उसी का विमोचन था, जब शिंदे ने ऐसा बयान दे डाला.

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अपनी किताब विमोचन के मौक़े पर शुशील शिंदे. (फ़ोटो - एजेंसी)

देश के पूर्व-गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं, सुशील कुमार शिंदे. कहते हैं कि जब गृह मंत्री थे, तब लाल चौक (कश्मीर) जाने से डरते थे. भाजपा को मौक़ा मिल गया. भाजपा के नेताओं ने अपनी सरकार की उप्लब्धि की तर्ज़ पर कहा कि अब रात दस बजे भी टहल सकते हैं.

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क्या कह दिया?

वरिष्ठ पत्रकार रशीद क़िदवई ने सुशील शिंदे के जीवन और राजनीति पर किताब लिखी है. शीर्षक, ‘फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स: सुशील कुमार शिंदे’. उसी का विमोचन था. इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता मौजूद थे. सुशील शिंदे भाषण दे रहे थे. इसी में उन्होंने कह दिया,

जब मैं गृहमंत्री था, तो मुझे सलाह दी जाती थी कि सुशील, तुम इधर-उधर मत भटको. लाल चौक जाओ और वहां जाकर भाषण दो. कुछ लोगों से मिलो. डल झील की सैर करो. ऐसा करोगे, तो लोकप्रियता मिलेगी. लोगों को लगेगा कि कितना अच्छा गृहमंत्री है, जो बिना डरे जाता है. लेकिन सच कहूं तो मेरी…

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इसके बाद उन्होंने आपत्तिजनक बात कही.

हालांकि, अगली ही पंक्ति में उन्होंने कहा कि ऐसा उन्होंने हंसाने के लिहाज़ से कहा है. शिंदे ने कहा कि सच बात ये है कि वो लोगों के बीच गए, उनकी तक़लीफ़ें सुनीं.

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बस, सोशल मीडिया पर कीवर्ड पकड़ा गया. भाजपा ने इसे भरपूर हवा दी. BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पोस्ट पर किया कि कांग्रेस को शिंदे की बातें ध्यान देने की ज़रूरत है. UPA काल के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वो जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे.

ये भी पढ़ें - जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: इंजीनियर राशिद को मिली अंतरिम बेल, प्रचार के लिए कोर्ट ने राहत दी

भाजपा IT सेल प्रमुख ने भी ट्वीट किया,

कश्मीर में हालात नाटकीय रूप से बदल गए हैं. हर साल 2-3 करोड़ पर्यटक आते हैं. यहां तक ​​कि 'बालक बुद्धि' और उनकी बहन को भी बर्फ़ के गोले से खेल खेलते हुए देखा गया. हाल ही में तीसरी बार असफल हुए राहुल गांधी देर रात एक आइसक्रीम पार्लर में गए. लाल चौक और डल झील सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली जगहों में से हैं.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कश्मीर में लोगों की ज़िंदगी बदल गई है. ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र मज़बूत हुआ है, भ्रष्ट 'अब्दुल्ला' और 'मुफ़्ती' का प्रभाव कम हुआ है.

जम्मू-कश्मीर चुनाव के दौरान कांग्रेस दिग्गज का ये बयान बैक-फ़ायर कर सकता है. कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं. 90 सीटें हैं, तीन चरण में वोट पड़ेगा. 4 अक्टूबर को नतीजे आ जाएंगे. 

दोनों राष्ट्रीय पार्टियों का दावा है. उनके साथ क्षेत्रीय पार्टियों का भी अपना बेस है.

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