हीरा बनाने के लिए गुजरात का सूरत सबसे मशहूर शहर है. यहां की हीरा बनाने वाली एक कंपनी ने अपने 50 हजार कर्मचारियों को 10 दिन की 'छुट्टी' देने की घोषणा की है. इसके लिए मंदी के कारण पॉलिश किए गए हीरों की मांग में अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कमी का हवाला दिया गया है. कर्मचारियों की ये छुट्टी 17 से 27 अगस्त तक होगी. कंपनी की वेबसाइट में दावा किया गया है कि वो ‘दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक हीरा बनाने वाली’ कंपनी है.
गुजरात की बड़ी हीरा कंपनी ने 50 हजार कर्मचारियों को 10 दिन की छुट्टी दे दी, चेयरमैन ने क्या बताया?
कंपनी ने कच्चे हीरों की कम आपूर्ति और कंपनी द्वारा निर्यात किए जाने वाले पॉलिश हीरों की पर्याप्त मांग की कमी का जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि मांग में इस गिरावट से दूसरी कंपनियां भी प्रभावित हैं, लेकिन वो चुप हैं.

इस कंपनी का नाम है - किरण जेम्स (Kiran Gems). कंपनी के चेयरमैन वल्लभभाई लखानी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया है,
“हमने अपने 50 हजार कर्मचारियों के लिए 10 दिनों की छुट्टी की घोषणा की है. हालांकि हम कुछ पैसे काट लेंगे, लेकिन सभी कर्मचारियों को इस समय के लिए सैलरी दी जाएगी. मंदी के कारण हमें इस छुट्टी की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अब मैं इस मंदी से थक गया हूं.”
वल्लभभाई ने कच्चे हीरों की कम आपूर्ति और कंपनी द्वारा निर्यात किए जाने वाले पॉलिश हीरों की पर्याप्त मांग की कमी का जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि मांग में इस गिरावट से दूसरी कंपनियां भी प्रभावित हैं, लेकिन वो चुप हैं. उन्होंने कहा,
“हमने इसकी घोषणा की, क्योंकि हम चाहते हैं कि लोग वास्तविकता जानें. कर्मचारियों के लिए ये छुट्टी हमारे उत्पादन को सही करने में मदद करेगी. इस मंदी के पीछे के सटीक कारणों को कोई नहीं जानता है.”
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खूंट ने भी लखानी की बातों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मंदी ने लोकल हीरा इंडस्ट्री पर प्रभाव डाला है, जो दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरे बनाती है. खूंट के मुताबिक, ये पहली बार है, जब किरण जेम्स ने (कर्मचारियों के लिए) इस तरह की छुट्टी की घोषणा की है. हालांकि, किसी दूसरी कंपनी ने अब तक ऐसा कदम नहीं उठाया है. लेकिन वास्तविकता यही है कि मंदी के कारण पॉलिश किए गए हीरों की बिक्री में कमी आई है.
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2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और जी-7 देशों ने रूसी मूल के हीरों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद से ही हीरा बनाने वाली कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
जगदीश खूंट ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष भी इनके कारणों में से एक है. सूरत में करीब 4 हजार बड़ी और छोटी हीरे की पॉलिशिंग और बनाने वाली इकाइयां हैं, जो लगभग 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देती हैं.
वे बताते हैं कि चूंकि 95 प्रतिशत पॉलिश किए गए हीरे निर्यात किए जाते हैं, इसलिए ग्लोबल फैक्टर्स हमेशा हीरों की बिक्री को प्रभावित करते हैं. 2022 में हीरा इंडस्ट्री का कारोबार लगभग 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपये था, जो अब घटकर लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, किरण जेम्स का सालाना कारोबार 17,000 करोड़ रुपये का है. ये दुनिया भर में लीडिंग हीरा कंपनियों में से एक डी बीयर्स के साइट होल्डर्स (कच्चे हीरों के आधिकारिक रूप से खरीददार) में से एक है. जून, 2024 में डी बीयर्स ने दूसरी तिमाही के आखिर में कच्चे हीरे के उत्पादन में पहली तिमाही की तुलना में 15 प्रतिशत की कमी की खबर दी थी. तब उन्होंने इसका कारण ‘सामान्य से ज़्यादा’ भंडार को बताया था.
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