लोकसभा में 5 दिसंबर को एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया. इस बिल के बारे में सुनकर सभी नौकरीपेशा लोग खुश हो सकते हैं. खासतौर पर कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले. इस बिल मकदस है लोगों को ऑफिस के घंटे खत्म होने के बाद काम से जुड़े फोन कॉल और ईमेल का जवाब ना देने का अधिकार देना. हालांकि, ज्यादा खुश नहीं हुआ जा सकता क्योंकि यह बिल सरकार लेकर नहीं आई है. यह एक प्राइवेट मेम्बर बिल है. एनसीपी (SP) की सांसद सुप्रिया सुले ने “राइट टू डिसकनेक्ट बिल, 2025” पेश किया है.
लोकसभा में एक बिल आया है- 'ऑफिस के बाद नो कॉल, नो ई-मेल'
यह एक प्राइवेट मेम्बर बिल है.


लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उन मुद्दों पर बिल पेश कर सकते हैं जिन पर वे मानते हैं कि सरकार को कानून बनाना चाहिए. हालांकि, अधिकतर मामलों में ऐसे निजी सदस्यों के बिल सरकार की प्रतिक्रिया आने के बाद वापस ले लिए जाते हैं.
सुप्रिया सुले के बिल में इम्प्लॉई वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर कर्मचारी को ऑफिस के घंटों के बाद और छुट्टियों पर काम से जुड़े कॉल या ईमेल से जुड़ने से इनकार करने का अधिकार मिले. कर्मचारी ऐसे संदेशों का जवाब देने से मना कर सकते हैं.
इसके अलावा एक और प्राइवेट मेंबर बिल चर्चा में आया. कांग्रेस सांसद कडियम काव्या ने “मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024” पेश किया. इस बिल का उद्देश्य पीरियड्स के दौरान महिलाओं के लिए ऑफिस में जरूरी सुविधाएं और सहायता मुहैया कराना है. यह बिल महिलाओं को उनके पीरियड्स के दौरान विशेष लाभ देने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करने की बात करता है.
LJP(RV) सांसद शंभवी चौधरी ने भी एक विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेड लीव और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है.
निर्दलीय सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने “जर्नलिस्ट (प्रीवेंशन ऑफ वायलेंस एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2024” पेश किया. यह बिल पत्रकारों के खिलाफ हिंसा रोकने, उन्हें और उनकी संपत्ति को सुरक्षा प्रदान करने और इससे जुड़े अन्य उपायों की व्यवस्था करने का उद्देश्य रखता है.
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