The Lallantop

हाईकोर्ट का लिखा फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के जजों ने पढ़कर कहा, 'ये क्या लैटिन भाषा में लिखा है?'

पहले भी एक बार जज ने कहा था, 'मुझे टाइग़र बाम का इस्तेमाल करना होगा'

Advertisement
post-main-image
सुप्रीम कोर्ट (फोटो- PTI)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक टिप्पणी काफी चर्चा में है. सोमवार, 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक केस की सुनवाई चल रही थी. इस मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने पहले ही अपना फैसला सुना दिया था. लेकिन जब फ़ैसले की कॉपी मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने पढ़ी तो वे कुछ समझ नहीं पाए और कह दिया कि "क्या ये जजमेंट लैटिन भाषा में लिखा है?" इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की भाषा पर नाराजगी जताते हुए इसे दोबारा लिखने के लिए हिमाचल हाईकोर्ट भेज दिया. मामला क्या है? इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी. वहीं अपीलकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता रख रहे थे. जस्टिस केएम जोसेफ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को पढ़ा लेकिन उनकी समझ में कुछ नहीं आया. इसपर उन्होंने अपीलकर्ता के वकील निधेश गुप्ता से पूछा कि हाईकोर्ट क्या कहना चाहता है. जज ने कहा कि
"हम इसे क्या समझें? क्या यह लैटिन है?" 
इसपर निधेश गुप्ता ने जवाब दिया कि वह भी इसे नहीं समझ पा रहें हैं. उनके इस जवाब पर जस्टिस जोसेफ को भी हैरानी हुई. बेंच में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा कि इस फैसले को फिर से लिखने के लिए हाईकोर्ट को वापस करना पड़ सकता है. सीनियर वकील ने तब बेंच को बताया कि यह मामला संपत्ति के विवाद से जुड़ा है और वह ट्रायल कोर्ट के फैसले से यह बता सकते हैं, जो बहुत साफ लिखा है. इस पर अदालत ने कहा कि वे दूसरे पक्ष के वकील के साथ बैठें और यह देखें कि क्या मामले को दो हफ्तों के भीतर किसी तरह से बातचीत से सुलझाया जा सकता है? पहले भी हो चुका है ऐसा यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस तरह फैसलों पर निराशा जताई हो. इससे पहले मार्च 2021 में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी झुंझलाहट जाहिर की और कहा कि
"इसे समझना हमारी बुद्धि के परे है, ऐसा बार-बार हो रहा है."
वहीं 27 नवंबर, 2020 में हाईकोर्ट एक फैसले के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक की ओर से याचिका दायर की गई थी. इस बार भी जजमेंट की भाषा सुप्रीम कोर्ट के जजों को समझ नहीं आई. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने हिंदी में पूछा था,
"यह क्या फैसला लिखा गया है? मैं कुछ समझ नहीं पाया. इसमें लंबे-लंबे वाक्य हैं और फिर, कहीं एक अजीब अल्पविराम (कॉमा) दिखाई दे रहा है. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. मुझे अपनी ही समझ पर शक होने लगा है. शायद मुझे टाइगर बाम का इस्तेमाल करना होगा."

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement