अमेरिकी सेना का मिलिट्री एयरक्राफ्ट ‘सी-17 ग्लोबमास्टर’ 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर में लैंड हुआ. विमान में 104 प्रवासी भारतीय थे, जिन्हें अमेरिका ने डिपोर्ट किया था (Indians Deported From US). इसके बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए, उनसे देश में खलबली मच गई. इनमें इन प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां हैं. अमेरिका पर आरोप लग रहा है कि उसने भारतीयों को अमानवीय तरीके से वापस भारत भेजा है. इस मुद्दे पर 6 जनवरी को सरकार ने संसद में बयान भी दिया है.
"बेटा किसी से बात नहीं कर रहा", हथकड़ी-जंजीरों में लौटे लोगों के परिवारों ने बयान किया दर्द
Indians Deported From US: अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीयों की त्रासद कहानियां सामने आ रही हैं. हर किसी का अपना दर्द, अपना संघर्ष है. हालिया घटनाक्रम के चलते इनमें से कुछ लोग भारी कर्ज में डूब गए तो कुछ के विदेश में जाकर पढ़ने के सपने चकनाचूर हो गए.
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इस बीच अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीयों की त्रासद कहानियां सामने आ रही हैं. हर किसी का अपना दर्द, अपना संघर्ष है. हालिया घटनाक्रम के चलते इनमें से कुछ लोग भारी कर्ज में डूब गए तो कुछ के विदेश में जाकर पढ़ने के सपने चकनाचूर हो गए.
45 लाख का लिया कर्जमनजीत सिंह ने अपने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए 45 लाख रुपये का कर्ज लिया था. कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद कस्बे के छोटे से मकान में रहने वाले मनजीत सिंह एक इलेक्ट्रीशियन हैं. उनका कहना है कि बेटा रोबिन स्थानीय एजेंटों के जाल में फंसकर डंकी रूट्स से अमेरिका तक पहुंचा. वहां एंट्री के महज 12 दिनों बाद ही रोबिन को पुलिस ने पकड़ लिया और अब उसे अवैध प्रवासियों की तरह वापस भारत भेज दिया गया है.
अब मनजीत सिंह की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. वो आरोप लगाते हैं कि एजेंट ने उन्हें बड़े-बड़े सपने दिखाकर धोखा दिया. उन्होंने बताया कि एजेंट फरार चल रहा है. गौरतलब है कि हरियाणा के 33 लोगों को डिपोर्ट किया गया है.
‘हथकड़ी पहनाकर वापस भेजा’डिपोर्ट किए गए 104 लोगों में से 30 से ज्यादा गुजरात से हैं. वडोदरा की खुशबू पटेल भी इनमें शामिल हैं. 22 साल की खुशबु के भाई वरुण का कहना है कि एक महीने पहले ही वह अमेरिका गई थीं. यूरोप के रूट से वह अमेरिका पहुंची थीं. वह टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका गई थी और पूरे लीगल तरीके से वहां पहुंची थीं. वरुण ने कहा, “उसे कौन से डॉक्यूमेंट न होने पर वापस भेजा गया उसकी जानकारी नहीं है.” वरुण का कहना है कि 4 दिन के बाद बहन घर पहुंची है और बात करने की स्थिति में नहीं है. भाई ने कहा, “उसको हथकड़ी पहनाकर भेजा गया. ये एक ट्रॉमा जैसा है.”
एजेंटों ने दिया धोखाअमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटे आकाश करनाल के गांव कालरों के रहने वाले हैं. परिवार ने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए 65 लाख एजेंट को दिए थे. आकाश के भाई ने कहा कि पिता का देहांत का पहले ही हो चुका है. एजेंटों ने धोखा किया है. उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
अमेरिकी विमान में जालंधर के 4 यात्री मौजूद थे. उनमें से एक 40 साल के दविंदरजीत भी शामिल थे. मीडिया से बात करते हुए दविंदरजीत की माता बलवीर कौर ने बताया कि उनका बेटा 2 महीने पहले दुबई गया था. दुबई से दविंदर 13 दिन पहले अमेरिका गया था, लेकिन 13वें दिन ही उसे अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया गया. बलवीर कौर का कहना है कि बेटा जब से घर लौटा है किसी से बात नहीं कर रहा.
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‘40 घंटों’ तक हथकड़ी लगाए रखीभारतीय प्रवासियों में शामिल हरविंदर सिंह ने भी अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने बताया कि अमेरिका से भारत लाने के क्रम में उन्हें 40 घंटों तक हथकड़ी लगाकर रखा गया. उनके पैर जंजीरों से बंधे थे. हरविंदर का आरोप है कि बार-बार आग्रह करने के बाद भी उन्हें खुद को घसीटकर वॉशरूम तक जाना पड़ा. हरविंदर दावा करते हैं कि अमेरिकी क्रू के लोग शौचालय का दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर ‘धकेल’ देते थे. पूरी यात्रा के दौरान उन्हें उनकी सीट से एक इंच भी हिलने नहीं दिया गया.
40 साल के हरविंदर पंजाब के होशियारपुर के ताहली गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि ये यात्रा ‘नरक से बदतर’ थी. 40 घंटों तक वो ठीक से खाना तक नहीं खा पाए. उन्हें हथकड़ी में ही खाने को मजबूर होना पड़ा. सुरक्षाकर्मियों से आग्रह किया कि कुछ मिनटों के लिए हथकड़ी हटा दें, ताकि वो ठीक से खाना खा पाएं. लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
सिंह कहते हैं कि ये यात्रा सिर्फ शारीरिक रूप से दर्दनाक नहीं थी, बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान करने वाली थी. उन्होंने ये भी बताया कि क्रू में एक दयालु सदस्य भी था, जिसने उनको खाने के लिए फल दिया. हरविंदर पूरे रास्ते सो नहीं पाए. क्योंकि वो उस बेहतर जीवन के बारे में सोच रहे थे जो उन्होंने 8 महीने पहले देखे थे.
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