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Starbucks के महंगे 'फ्रूट ड्रिंक' में फ्रूट ही नहीं, कस्टमर ने 41 करोड़ का केस ठोक दिया

दो कस्टमरों ने स्टारबक्स पर ठगी के आरोप लगाए हैं कि स्टारबक्स जो फ़्रूट ड्रिंक (फल से तैयार किया जाने वाला पेय) बेचता है, उसमें एक ज़रूरी तत्व नहीं है: फल.

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स्टारबक्स की फल वाली ड्रिंक में फल ही नहीं है! (फोटो - रॉयटर्स)

साल 1971. अमेरिका के सियाटल में स्टारबक्स का पहला स्टोर खुला था. आधी सदी बीत गई और आज स्टारबक्स कॉफ़ी की दुकानों की सबसे बड़ी चेन है. 80 देशों में 30 हजार स्टोर्स. एक-दो नहीं, ‘87 हजार’ अलग क़िस्मों की कॉफ़ी बेचता है स्टारबक्स. और, बहुत महंगी भी. 2014 में तो स्टारबक्स ने सबसे महंगी कॉफ़ी बेचने का रिकॉर्ड तक बनाया था. लगभग 4,000 रुपये की कॉफ़ी.

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एक पंक्ति में कहें, तो हफ़्ते में दो-तीन बार स्टारबक्स की कॉफ़ी पीने वालों को ही फ़र्स्ट वर्ल्ड समस्याएं होती हैं -- ये कटाक्ष नहीं, प्रथम-दृष्टया तथ्य है. थर्ड वर्ल्ड वालों ने सफ़ेद कप पर हरे रंग की मरमेड का लोगो देखा तो होगा. आज स्टारबक्स चर्चा में क्यों है? एक केस की वजह से.

फल वाली ड्रिंक में फल नहीं है

दो कस्टमरों ने स्टारबक्स पर ठगी के आरोप लगाए हैं. कहा कि स्टारबक्स जो फ़्रूट ड्रिंक (फल से तैयार किया जाने वाला पेय) बेचता है, उसमें एक ज़रूरी तत्व नहीं है: फल. 
वो स्टारबक्स, जो अपने कर्मचारियों को पार्टनर्स कहता है. उन्हें कंपनी के नफ़े में शामिल करता है. वो स्टारबक्स, जो 10 मिनट में खाना-पीना परोसने का दावा करता है. और वो स्टारबक्स, जिसके मेन्यू के इतर भी एक सीक्रेट मेन्यू है. उस स्टारबक्स की फल वाली ड्रिंक में फल नहीं है.

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रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, न्यूयॉर्क ज़िला कोर्ट में 5 मिलियन डॉलर (41 करोड़ रुपये) का एक क्लास-ऐक्शन लॉ सूट फ़ाइल किया गया है. आरोप लगाए गए कि स्टारबक्स अपने 'रिफ़्रेशर्स' सिरीज़ से बहुत पैसा कमा रहा है. ये हरी कॉफ़ी के अर्क, पानी और फलों के रस से बने ड्रिंक की एक सीरीज़ है, जिसकी क़ीमत 350 रुपये से 500 रुपयों के बीच होती है. लेकिन खेला ये है कि इसमें फल नहीं है; बस प्रचार ऐसा किया गया है कि फल हैं.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने इस भरोसे पर पैसे ख़र्चे थे कि ड्रिंक में वो तो होगा, जो कह कर बेचा जा रहा है.

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अब केस हार गए, तो 41 करोड़ का डाढ़ भरना पड़ जाएगा. इसीलिए स्टारबक्स ने विनती की है कि केस को रफ़ा-दफ़ा किया जाए. तर्क ये कि कोई भी क़ायदे का कस्टमर प्रोडक्ट के नाम से गुमराह नहीं होगा. ड्रिंक के नाम में फल का नाम है ताकि स्वाद बताया जाया सके. अंदर क्या है, वो नहीं.

ज़िला जज जॉन पी. क्रोनन ने स्टारबक्स की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी और कहा कि आम जनता ऐसे नामों से गुमराह हो सकती है. और जब, कुछ स्टारबक्स ड्रिंक्स का नाम उन चीज़ों के नाम पर रखा गया है, जो उनमें असल में शामिल हैं. तो उपभोक्ता कैसे फ़र्क़ करेगा कि किसमें बस नाम है, किसमें तत्व भी है?

फ़ोर्ब्स को दिए एक बयान में स्टारबक्स के प्रवक्ता ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप ग़लत और निराधार हैं. वो इन दावों के ख़िलाफ़ बचाव करेंगे. 

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