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मसाला बोर्ड इन देसी मसालों की कर रहा जांच, गुणवत्ता में सुधार के लिए कहा गया

नेपाल, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों ने कुछ भारतीय ब्रांड के मसालों की खपत और बिक्री पर बैन लगाने की बात कही थी. इन देशों की तरफ़ से कहा गया कि मसालों के प्रोडक्ट्स में स्वास्थ्य के लिए हानिकारण केमिकल्स हैं.

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कई देशों ने इन मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

भारतीय मसाला बोर्ड (Spices Board of India) कुछ भारतीय मसाला ब्रांड्स की जांच कर रहा है. इस बीच सीनियर अफ़सरों का कहना है कि देश में मसाला बनाने वाली कंपनियों को ये सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया जा रहा है कि मसाला निर्यात करने से पहले बनाने के मानदंडों को पूरा किया जाए. अफसरों ने बताया कि भविष्य में निर्यात पर किसी तरह के रोक से बचने के लिए स्टीम स्टरलाइजेशन टेक्नॉलजी (SST) के इस्तेमाल और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (Food Supply Chain) पर नज़र रखने जैसे सुधारात्मक उपायों पर विचार किया जा रहा है. ये बयान कई देशों में एवरेस्ट और MDH के मसालों की खपत और बिक्री पर बैन लगाने की ख़बरों के बीच आया है. इन देशों में नेपाल, सिंगापुर और हांगकांग जैसे नाम शामिल हैं.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ़ से 20 मई को इससे संबंधित कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं. इनके मुताबिक़, 2023-24 में, अलग-अलग देशों में लगभग 1.4 मिलियन टन मसालों में 99.8 प्रतिशत गुणवत्ता ज़रूरतों को पूरा करते हैं. इनके सभी खेपों में से केवल 0.2 प्रतिशत ही गुणवत्ता का पालन नहीं करते थे. इसमें एक ब्रांड के सभी 18 सैंपल मानकों के मुताबिक़ ही पाए गए हैं. हालांकि, दूसरे ब्रांड के 12 में से कुछ सैंपल में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज़्यादा थी.

दरअसल बीते दिनों ख़बर आई कि नेपाल ने भारतीय मसालों की खपत और बिक्री पर बैन लगाया है. कहा गया कि इनके प्रोडक्ट्स में स्वास्थ्य के लिए हानिकारण केमिकल्स हैं. इसी तरह की चिंताओं के मद्देनज़र सिंगापुर और हांगकांग ने भी इन मसालों पर बैन लगा दिया था. इन देशों की तरफ़ से कहा गया कि इनमें कैंसर की वजह बनने वाले कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड होने की आशंका है. 5 अप्रैल को हांगकांग ने अपने नागरिकों से इन मसालों में कीटनाशक, एथिलीन ऑक्साइड (EtO) होने की बात कहते हुए इन चार उत्पादों को यूज़ ना करने की बात कही. इसके बाद 18 अप्रैल को सिंगापुर खाद्य एजेंसी (SFA) ने एवरेस्ट के फिश करी मसाले को वापस लेने का आदेश दिया था. उनकी तरफ़ से कहा गया था कि इसमें एथिलीन ऑक्साइड का स्तर "मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं" है.

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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, सिंगापुर में (EtO) के लिए अधिकतम अवशेष स्तर (MRL) का स्तर 50 मिलीग्राम/किलोग्राम (mg/kg), जबकि यूरोपीय संघ में ये 0.02 से 0.01 (mg/kg), जापान में 0.01 और अमेरिका, कनाडा के लिए 7 (mg/kg) थी. हांगकांग में खाद्य उत्पादों में  EtO का उपयोग प्रतिबंधित है. बता दें कि एथिलीन ऑक्साइड (EtO) हल्की मीठी गंध वाली एक ज्वलनशील, रेडियोऐक्टिव गैस है. ये मनुष्यों के पोषण के लिए बिल्कुल नहीं है. इससे थोड़े समय में ही आंखों में जलन, सिरदर्द, मतली, उल्टी, दस्त, सांस की तकलीफ़ हो सकती है. इसके लंबे समय तक उपयोग से कैंसर, न्यूरोटॉक्सिसिटी, आदि का खतरा पैदा हो सकता है.

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