दिल्ली में हुए श्रद्धा वालकर हत्याकांड (Shraddha Murder Case) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े करके जिस तरह उसके लिव-इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला ने कथित तौर पर इस अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश की उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
श्रद्धा वालकर की तरह अनुपमा गुलाटी की लाश के भी 72 टुकड़े किए थे पति ने
अनुपमा गुलाटी की लाश को टुकड़े-टुकड़े करके ठिकाने लगाया था उसके पति ने.

देश की आत्मा को झकझोर देने वाली इस तरह की जघन्य घटनाएं पहले भी कई बार हुई हैं.
अनुपमा गुलाटी हत्याकांडआज तक से जुड़े अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2010 में देहरादून में अनुपमा गुलाटी की हत्या हुई थी. जब हत्या का खुलासा हुआ तो शांत माने जानी वाली दून घाटी के लोग हिल गए. हत्या अनुपमा के पति राजेश गुलाटी ने ही की थी. हत्या के बाद राजेश ने लाश के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए थे. दो महीने तक हत्या की भनक किसी को नहीं लगी. दिसंबर महीने में जब अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचा तो घटना सबके सामने आई.
देहरादून पुलिस ने मामले की जांच के बाद 2011 में चार्जशीट फाइल की थी. आरोप पत्र में बताया गया था कि राजेश और अनुपमा के बीच अक्सर झगड़े होते थे. हत्या के दिन भी झगड़ा हुआ था. झगड़े के दौरान ही बेड के कोने पर अनुपमा का सिर लग गया था. इसके बाद राजेश ने अनुपमा के मुंह पर तकिया रखकर हत्या कर दी थी. किसी को पता ना चले, इसके लिए राजेश ने एक डीप फ्रीजर खरीदा और अनुपमा की बॉडी को उसमे रख दिया. फिर स्टोन कटर मशीन से बॉडी के टुकड़े करने लगा और धीरे-धीरे मसूरी के जंगलों में फेंकने लगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में देहरादून कोर्ट ने इस घटना को 'जघन्य अपराध' की श्रेणी में रखते हुए राजेश को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साथ ही 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. राजेश ने फैसले के खिलाफ अपील भी की. लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी. अनुपमा दिल्ली की रहने वाली थीं. साल 1999 में राजेश से लव मैरेज की थी. राजेश एक साफ्टवेयर इंजीनियर था. देहरादून के प्रकाश नगर में दोनों अपने बच्चों के साथ रहते थे. साल 2000 में अमेरिका भी गए. 6 साल बाद वापस आने के बाद देहरादून में बस गए. अनुपमा की हत्या के वक्त उनके दोनों बच्चे सिर्फ 4 साल के थे.
तंदूर मर्डर केसनैना साहनी और सुशील शर्मा. दोनों यूथ कांग्रेस के मेंबर थे. दोनों दिल्ली के ही थे और प्यार होने के बाद साथ में रहने लगे थे. कुछ समय बाद दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए. तब ये बात सामने आई थी कि नैना का अपने बचपन के दोस्त मतलूब करीम के साथ संबंध बन गए थे. दोनों के बीच संबंध का शक सुशील को पहले ही हो गया था. 2 जुलाई 1995 की शाम सुशील जब घर लौटा, तो नैना फ़ोन पर मतलूब से ही बात कर रही थी. गुस्से में सुशील ने अपनी दराज से पिस्टल निकाल तीन गोलियां दाग दी.
हत्या के बाद सुशील ने नैना की लाश को ठिकाने लगाने का सोचा. उसने उसी बेडशीट में नैना की लाश को लपेटा, जिस पर वो खून से लथपथ पड़ी थी. फिर सुशील ने उस गट्ठर को डाइनिंग टेबल के ऊपर रखे प्लास्टिक कवर में भी लपेट दिया. लाश को अपनी मारुति 800 कार में डालकर दिल्ली में घूमता रहा. फिर वो लाश को लेकर पहुंचा पटेल चौक के पास अशोक होटल के बगिया रेस्टोरेंट. देर रात हो गई थी इसलिए रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों को घर जाने को कह दिया गया. जब रेस्टोरेंट खाली हो गया तो सुशील शर्मा ने लाश को जलते तंदूर में डाल दिया. और लाश को जल्दी जलाने के लिए उसमें खूब मक्खन डाल दिया. लपटें आसमान छूने लगीं. एक सब्जी बेचने वाली महिला अनारो देवी आग की लपटें देखकर चिल्ला उठी. जलने की बदबू से पोल खुल गई. सुशील शर्मा वहां से भाग चुका था. तंदूर में लगी आग बुझाई गयी, तो अन्दर से जली हुई लाश के हिस्से और हड्डियां मिलीं. सुशील ज्यादा समय तक छिपकर नहीं रह सका. आखिर में 10 जुलाई 1995 को उसने सरेंडर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
दर्दनाक निठारी कांडनोएडा के इस चर्चित सीरियल मर्डर केस ने सबको हिला कर रख दिया था. मामला नोएडा के निठारी गांव का है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढ़ेर ने एक युवती को नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. लेकिन युवती वापस नहीं लौटी. उसके पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद दिसंबर 2006 में पुलिस ने जांच शुरू की. जांच में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.
पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. जांच में पता चला कि बच्चों का यौन शोषण किया जाता था और उसके बाद आरोपी उनका मर्डर कर देते थे. बाद में यह भी सामने आया कि सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया की बीमारी से ग्रसित हो गया था. इस मानसिक व्याधि से पीड़ित लोग लाशों के साथ सेक्स करते हैं. ये भी पता चला कि मालिक और नौकर बच्चों को मारकर उनका अंग निकाल लेते थे. बाद में दोनों आरोपियों को कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई. कोली को लटकाए जाने से ठीक पहले अदालत ने फांसी टाल दी थी. अभी उसकी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी बाकी है.
सनी और शिखा हत्याकांडसनी साढ़े छह साल का था और उसकी बहिन शिखा सिर्फ़ सवा तीन साल की. दिल्ली की इंदर पुरी में दोनों भाई-बहनों को 1988 में उनकी मां इंदु अरोड़ा ने अपने प्रेमी अजित सेठी के साथ मिलकर जिंदा जलाकर मार डाला था. इंदु की शादी हरीश अरोड़ा से हुई थी और उनके दो बच्चे पैदा हुए थे. पुलिस ने कहा कि इसी बीच अजित सेठी के साथ इंदु अरोड़ा के संबंध बन गए. यह भी बताया गया कि इंदु को शक था कि उसका बेटा सनी उसके विवाहेत्तर संबंध के बारे में अपने पिता को जानकारी देता है. इसलिए उसने अपने ही बच्चों को जला कर मारने का षडयंत्र रचा. उस दौर में इस हत्याकांड से पूरे देश में जुगुप्सा और भय फैल गया.
पुलिस जब इंदु अरोड़ा को अदालत में पेश करने ले जाती थी तो उसके रास्ते में दोनों तरफ महिलाएं खड़ी होकर उसके खिलाफ नारे लगाती थीं और कई बार उसके साथ मारपीट की भी कोशिश हुई. मीडिया में इंदु अरोड़ा की लानत-मलामत आए दिन होती थी. मुख्य अभियुक्त अजित सेठी को अदालत ने उम्रकैद में भेजा लेकिन इंदु अरोड़ा को बरी कर दिया गया. सेठी ने 20 साल जेल में बिताए. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उसे फांसी देने की अपील की लेकिन 2010 में अदालत ने कह दिया कि सेठी पहले से ही 20 बरस जेल में बिता चुका है इसलिेए अब उसे फांसी की सज़ा नहीं दी जा सकती.
वीडियो: श्रद्धा को लिव-इन के लिए मना किया था, आफताब के बारे में पिता ने ये बड़ा खुलासा किया