The Lallantop

'मदरसों में हिंदू बच्चों को न जाने दें... ', NCPCR ने किस कानून के चलते सरकार से ऐसा करने को कहा?

NCPCR के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मध्य प्रदेश में 1,755 पंजीकृत मदरसों में 9,417 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं. इन संस्थानों से तुरंत हिंदू बच्चों को अलग किया जाए. उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई है.

Advertisement
post-main-image
एनसीपीसीआर प्रमुख ने गैर-पंजीकृत मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को भी तुरंत सामान्य स्कूलों में भेजने का अनुरोध किया. 

मध्य प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू छात्रों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष ने राज्य सरकार को एक सुझाव दिया है. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से मांग कि है कि मदरसों में पढ़ रहे हिंदू छात्रों को तत्काल सामान्य स्कूल में भेज दें. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि ये मदरसे शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं. यहां बुनियादी ढांचे का अभाव है और ऐसे में बच्चों को यहां सही शिक्षा नहीं मिल पाती है.

Advertisement

पीटीआई की खबर के मुताबिक शुक्रवार 14 जून को भोपाल में NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश के अधिकारियों की बाल अधिकारों पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. इस बैठक के बाद प्रियंक कानूनगों ने संवाददाताओं से कहा, 

'मैं मध्य प्रदेश सरकार से मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को बाहर निकालने का अनुरोध करता हूं.'

Advertisement

प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मध्य प्रदेश में कुल 1,755 पंजीकृत मदरसे हैं. इनमें 9,417 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं. इन मदरसों में आरटीई अधिनियम के तहत अनिवार्य बुनियादी ढांचे का अभाव है.

कानूनगो ने कहा, 

‘जिस अधिनियम के तहत मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड का गठन हुआ था, उसमें मदरसों की परिभाषा बताते हुए कहा गया था कि मदरसों में इस्लामी धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए. जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा एक के तहत मदरसों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है.’

Advertisement

उन्होंने दावा किया कि NCPCR के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक इन मदरसों के शिक्षकों के पास न तो बीएड की डिग्री है, और न ही उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा ही पास की हुई है. कानूनगो ने आगे कहा, 

'मैं मध्य प्रदेश सरकार से इसे तुरंत सुधारने का अनुरोध करता हूं. शिक्षा का अधिकार कानून साफ-साफ कहता है कि स्कूलों की स्थापना और बच्चों को पढ़ाने का काम सरकार करेगी. ऐसे में मदरसा बोर्ड को फंड देना उन गरीब बच्चों के हक का पैसा मदरसों को देना है जो शिक्षा के अधिकार से बच्चों को वंचित कर रहे हैं. इसलिए सरकार को इस पूरी योजना पर विचार करना चाहिए और तत्काल हिंदू बच्चों को मदरसों से बाहर निकाल कर उनको सामान्य स्कूलों में भेजना चाहिए.’

उन्होंने राज्य सरकार से गैर-पंजीकृत मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को भी तुरंत सामान्य स्कूलों में भेजने का अनुरोध किया.

वीडियो: अखिलेश या योगी उप चुनाव में किसका पलड़ा भारी?

Advertisement