लोन रिकवरी एजेंट, स्कूल स्टाफ़ और 'बाबा'. एक इंसान, कई रूप और 5 अलग-अलग राज्य. 22 साल. पत्नी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. मृत घोषित करवाने तक की कोशिशें हुईं. इन सबका सिरा जुड़ता है एक ठग से. ठग, जिसने 22 सालों तक अलग-अलग तरह की ज़िंदगियां जीं. क्योंकि तलाशी में लगे CBI के जासूसों को उसकी भनक न लगे. कहानी है एक पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर की, जिसे अंततः पुलिस ने 22 साल बाद गिरफ़्तार किया है. इस कंप्यूटर ऑपरेटर पर 22 साल पहले 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है.
'22 साल, 5 राज्य, कई अलग रूप...', इस ठग की कहानी दिमाग झन्ना देगी!
V. Chalapathi Rao के ख़िलाफ़ 2002 में SBI ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. अब CBI ने उसे खोज निकाला है.

लेकिन वी. चलपति राव (V. Chalapathi Rao) के ये सारे राज़ 4 अगस्त को खुल गए, जब CBI ने उसे तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तिरुनेलवेली ज़िले के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ़्तार कर लिया. गिरफ़्तारी भी उस वक़्त, जब वो समुद्र के रास्ते श्रीलंका भागने की प्लानिंग कर रहा था. इस गिरफ़्तारी के लिए CBI ने चलपति राव द्वारा इस्तेमाल किए गए ईमेल पतों के आधार पर Gmail कानून प्रवर्तन विभाग (Gmail’s law enforcement department) से इनपुट इकट्ठे किए. उसके दूसरे नाम 'विनीत कुमार' के आधार नंबर की डिटेल की भी जांच की गई.
CBI के एक अधिकारी ने बताया कि पूरी जांच के दौरान चलपति राव ने 8 से 10 बार अपना कॉन्टेक्ट नंबर बदला. 4 अगस्त को ही हैदराबाद में CBI की एक स्पेशल कोर्ट में उसे पेश किया गया. अब उसे 16 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. जल्द ही उसका ट्रायल शुरू होगा.
द हिंदू से जुड़े देवेश के. पाण्डेय की ख़बर के मुताबिक़, 1 मई, 2002 को CBI ने हैदराबाद में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) की चंदूलाल बिरादरी शाखा के कंप्यूटर ऑपरेटर वी. चलपति राव के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था. आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर इलेक्ट्रॉनिक दुकानों और सैलरी सर्टिफ़िकेट्स के फ़र्ज़ी कोटेशन के ज़रिए बैंक के साथ धोखाधड़ी की. इसे लेकर CBI ने 31 दिसंबर, 2004 को दो चार्जशीट दायर की. तब तक चलपति राव एजेंसी को चकमा दे चुके थे. CBI को उनकी पत्नी द्वारा 10 जुलाई, 2004 को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले मामले के बारे में भी पता चला. बाद में 'लापता होने' के 7 साल पूरे होने पर उसे मृत घोषित करने के लिए एक सिविल कोर्ट में याचिका भी दायर की गई.
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जगह और नाम बदलेचलपति राव को 18 अप्रैल, 2013 को इस मामले में भगोड़ा घोषित किया गया. तब तक, CBI को ये भी जानकारी मिल चुकी थी कि वो तमिलनाडु के सलेम में गया था. यहां उसने अपना नया नाम एम. विनीत कुमार रखा था और 2007 में दूसरी महिला से शादी कर ली थी. साथ ही, अपना आधार कार्ड भी बनवाया. लेकिन एजेंसी को ठिकाने के बारे में पता चलने से पहले ही वो गायब हो गया. बाद में CBI को उसकी दूसरी पत्नी के ज़रिए ये भी पता चला कि चलपति राव अपनी पहली शादी से हुए बेटे के संपर्क में था. इसके बाद, वो 2014 में मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने लगा और लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम करने लगा. फिर वो उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया, जहां उसने एक स्कूल में काम किया. जब पुलिस उसके बारे में पता लगाने रुद्रपुर पहुंची, तो पता चला कि चलपति राव 2016 में भाग गया था.
CBI ने आगे बताया कि उत्तराखंड के बाद चलपति राव महाराष्ट्र के औरंगाबाद गया. यहां उसने वेरुल गांव के एक आश्रम में स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ का नया 'अवतार' लिया. दिसंबर 2021 तक वहां रहा और आश्रम से कथित तौर पर ₹70 लाख की ठगी की. फिर वहां से भी ग़ायब हो गया. इसके बाद चलपति राजस्थान के भरतपुर भाग गया. यहां वो 8 जुलाई, 2024 तक रहा. फिर एक शिष्य के साथ रहने के लिए तिरुनेलवेली पहुंचा. और CBI ने अंततः 'टेक्निकल इंटेलिजेंस' के ज़रिए उसे पकड़ लिया. तेलंगाना हाई कोर्ट ने उसकी पत्नी द्वरा उसकी संपत्ति ज़ब्त करने की कोशिशों पर स्टे भी लगाया था.
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