सहारनपुर के डीएम कार्यालय ने एक ट्वीट किया. ट्वीट में एक फोटो थी. कैप्शन लिखा था- नेपियर घास उगाने के लिए किसान को 151 रुपये का पुरस्कार दिया गया. फोटो में डीएम किसान को पैसे देते दिख रहे हैं. लेकिन यहां थोड़ा ट्विस्ट है. डीएम दफ्तर ने जिसकी फोटो डाली, वो कह रहा मुझे तो पैसे मिले ही नहीं. जिसको पैसे मिले वो कह रहा मुझे पैसे मिले, लेकिन 151 तो नहीं मिले. लेकिन डीएम कह रहे हैं पुरस्कार तो दिया गया. तो अब बताइए किसको कितना पुरस्कार मिला? है ना मजेदार पहेली. चलिए हम बताते हैं कि आखिर सहारनपुर के इस वायरल केस में हुआ क्या है?
DM ने किसान को 151 रुपये दिए, फोटो डाली, किसान फिर जो बोला, ट्वीट हटाना पड़ा!
डीएम साहब से लोग बोले- राशि कम होनी चाहिए. इतनी बड़ी खुशी देखकर एक बुजुर्ग के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.

पहले आप डीएम साहब की प्रचार-प्रसार की वो कोशिश देखिए जिसको डिलीट करना पड़ा. सहारनपुर डीएम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया. लेकिन कुछ घंटे बाद इसे डिलीट कर दिया गया.

पहले इस तस्वीर पर ही बात कर लेते हैं. दरअसल, सहारनपुर के जिला प्रशासन ने किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई. पीएम किसान लाभार्थी संतृप्तीकरण अभियान कार्यक्रम के तहत एक चौपाल लगाई गई. इसमें अधिकारी लोग योजनाओं के बारे में गांव के लोगों को जानकारी दे रहे थे. इसी में किसानों को कुछ पैसे देकर प्रोत्साहित किया गया. तस्वीरें भी खिंचाई गई. तस्वीर को ट्विटर पर शेयर भी किया गया.
बस यहीं हो गया गड़बड़झाला. दरअसल, डीएम ने गलत किसान की तस्वीर शेयर करते हुए लिख दिया कि इन्हें 151 रुपये का पुरस्कार दिया गया. जिसकी तस्वीर शेयर की उन्हें पुरस्कार मिला नहीं था. और जिसे मिला उसकी फोटो नहीं थी.
आजतक से जुड़े पिंटू शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक जिसकी तस्वीर है उनका नाम है रति राम. पिंटु जब रति राम के पास पहुंचे तो वो भड़क गए. उन्होंने कहा-
मुझे तो एक ढेला भी नहीं मिला. ना मैंने कोई घास उगाई.
यानी ये तो थी गलती नंबर एक. डीएम के ट्विटर हैंडल से गलत किसान की फोटो शेयर कर दी गई. अब अगले पार्ट की तरफ बढ़ते हैं.
दरअसल, सराहनपुर के डीएम ने पुरस्कार तो दिया. लेकिन रति राम, जिनकी तस्वीर थी उनको नहीं बल्कि विनोद को. विनोद के पास जब पिंटु शर्मा पहुंचे तो एक और मजेदार वाकया निकल आया. अब विनोद का कहना है कि उन्होंने नेपियर घास उगाई और उन्हें पुरस्कार मिला भी. लेकिन 151 रुपये का नहीं सिर्फ 51 रुपये का. विनोद ने कहा-
मुझे 51 रुपये दिए डीएम साहब ने, नेपियर घास को उगाने के लिए. मुझे बहुत अच्छा लगा. मान सम्मान का 1 रुपया भी इंसान के लिए लाखों के बराबर होता है. कुछ भी कहो, 51 रुपये मिले हैं लेकिन मेरे लिए तो 51 रुपये भी 51 लाख के बराबर हैं. इतने बड़े अधिकारी द्वारा सम्मानित किया जाना ही बहुत बड़ी बात है.
खैर, विनोद जी तो खुश हैं. लेकिन एक बात तो ये कि जो ट्वीट डीएम कार्यालय ने किया था उसमें फोटो तो गलत थी. और साथ में जो 151 रुपये देने की बात कही थी वो भी गलत थी.
12 घंटे बाद सबको होश आया. जब पता चला कि सब गलत ही है तो ट्वीट डिलीट कर दिया गया. लेकिन ट्विटर की जनता कहां छोड़ने वाली थी. बलभर ट्रोल किए गए डीएम साहब.

प्रशांत नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा- राशि कम होनी चाहिए. इतनी बड़ी खुशी देखकर एक बुजुर्ग के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.

नज़ीम मलिक ने लिखा- जिला अधिकारी महोदय जी इतनी मोटी रकम यह निर्धन आदमी कैसे सुरक्षित रख पाएगा.

राजा बाबू नाम के शख्स ने लिखा- सर, टैक्स काटकर दिया ना, कहीं इतनी धनराशि में IT वाले इनके यहां छापा ना मार दें.
तो कुल मिलाकर बात ये है कि हर काम का पीआर करना बुरी बात नहीं है. आप अपनी मर्जी अनुसार ये कर सकते हैं, मगर जरा संभलकर. सभी फैक्ट जांच कर ही ऐसा करें. वरना जो होता है, वो सबके सामने है.
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