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पोलैंड के एंट्री नहीं देने पर भारतीयों ने अपने दूतावास पर क्या आरोप लगाए?

भारतीयों को स्लोवाकिया में भी एंट्री नहीं दी जा रही है. विदेश सचिव ने सफाई दी है.

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यूक्रेन संकट के बीच वहां से निकलने की कोशिश में लगे कुछ भारतीयों की तस्वीरें. (साभार- इंडिया टुडे/आजतक)
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में फंसे भारतीयों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें पोलैंड और स्लोवाकिया में घुसने नहीं दिया जा रहा है और उनके पास कहीं और जाने का रास्ता नहीं है. भारतीय छात्रों ने कहा है कि वे सैकड़ों किलोमीटर चल कर इस उम्मीद में इन देशों के बॉर्डर पर पहुंचे थे कि उन्हें शरण दी जाएगी, लेकिन अब पोलैंड और स्लोवाकिया जैसे देशों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. वे एंट्री देने से इनकार कर रहे हैं. इन छात्रों ने अपनी स्थिति बयां करते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं. उन्होंने इसमें गुहार लगाई है कि भारतीय प्रशासन उनकी मदद करे. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस मामले को उठाया भी है. उन्होंने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. विजयन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई एक बैठक में भी ये मुद्दा उठाया था. बैठक में केरल के सीएम को आश्वासन दिया गया है कि बॉर्डर्स पर भारतीय अधिकारी मौजूद हैं और वे समस्या के समाधान में जुटे हुए हैं. इस सबके बावजूद भारतीय छात्रों के एक समूह ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि स्लोवाकिया के बॉर्डर पर कई लोग फंसे हुए हैं और बॉर्डर पार करने में यूक्रेन की महिलाओं और बच्चों को तरजीह दी जा रही है और भारतीयों को वापस किया जा रहा है.

क्या बताई वजह?

छात्रों ने कहा है कि उनके साथ इस तरह का सलूक इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्हें भारतीय दूतावास से इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है. इसमें सेना के कपड़े पहने कुछ लोग युवकों से मारपीट करते दिख रहे हैं. दावा है कि ये यूक्रेनी सैनिक हैं जो पोलैंड सीमा के पास पहुंचे भारतीय छात्रों की पिटाई करते देखे गए हैं.  वहीं यूक्रेन में पढ़ रहे एक भारतीय एमबीबीएस छात्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
'मैं अपने भतीजे और सैकड़ों लोगों के साथ बीते शुक्रवार की रात को बॉर्डर पर पहुंच गया था. हम 30 किमी से अधिक दूरी पैदल तय करके आए थे. हम यहां खुले आसमान में पिछले 48 घंटे से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिली है. यहां बैठने के लिए भी जगह नहीं है. जब कभी यूक्रेनियों की गाड़ी आती है तो भारतीयों को पीछे ढकेल दिया जाता है. इस समय हम एक शेल्टर होम में हैं, जो कि बॉर्डर से आठ किलोमीटर दूर है. अभी तक भारतीय दूतावास की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.'
एक अन्य एमबीबीएस छात्र ने बताया,
'यहां भारतीयों की लाइनें ही लाइनें हैं, लेकिन पोलैंड प्रशासन हमें बॉर्डर पार करने की इजाजत नहीं दे रहा है. वे यूक्रेन के लोगों को जाने दे रहे हैं, लेकिन हमें नहीं. भारतीय दूतावास के लोग हमारे कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं. हम अब क्या करें?'

सरकार ने क्या कहा?

इस मामले को लेकर सरकार की तरफ से सफाई आई है. विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंगला ने कहा है,
'ये एक संगठित स्थिति नहीं है, ये एक संघर्ष क्षेत्र है. हमारे बहुत से लोग लंबे समय से वहां हैं और वे बहुत मुश्किल स्थिति में हैं. हम उनके साथ पूरी तरह सहानुभूति रखते हैं और हम चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं, इस आस में कि हम क्या विकल्प प्रदान कर सकते हैं. हम पोलैंड का रास्ता सोच रहे थे, लेकिन इस दिशा में सफलता नहीं मिली है.'
विदेश सचिव ने कहा कि बुडापेस्ट, हंगरी होते हुए निकलने का एक रास्ता है और भारतीयों को इसी रास्ते की सलाह दी जा रही है. शृंगला ने कहा कि इसमें सात से आठ घंटे लग सकते हैं. इससे पहले विदेश सचिव ने रूस और यूक्रेन के राजदूतों को बुलाकर भारतीयों की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी. इस बीच रविवार 27 फरवरी को पोलैंड स्थित भारतीय दूतावास ने एक रिवाइज्ड एडवाइजरी जारी की. इसमें कहा गया है कि शेहिनी सीमा पर बसों का इंतजाम केवल उन लोगों के लिए किया गया है, जो यहां पहले से यहां मौजूद हैं और इंतजार कर रहे हैं. एडवाइजरी के मुताबिक ये बसें लुव्यु और उसके नजदीकी इलाकों में रहने वालों के लिए नहीं लाई गई हैं. ये बसें 28 फरवरी से चालू होंगी.

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