रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कई देश अब ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं. उनका यह बयान अमेरिकी हवाई हमलों के बाद आया, जिसमें ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के करीबी नेता मेदवेदेव ने इसे एक नाकाम मिलिट्री ऑपरेशन बताते हुए कहा कि अमेरिका का यह हमला ना केवल असफल रहा, बल्कि अब वो एक नए संघर्ष में उलझ गया है.
'ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए कई देश तैयार, नोबेल भूल जाएं ट्रंप', रूस का बड़ा बयान
Russia के पूर्व राष्ट्रपति Dmitry Medvedev ने अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump की 'नोबेल शांति पुरस्कार' की ख्वाहिश पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि ट्रंप को नोबेल भूल जाना चाहिए. रूस ने Iran के प्रति पूरा समर्थन जताया है.

दिमित्री मेदवेदेव ने एक्स पर सिसिलेवार पोस्ट करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर निशाना साधा. उन्होंने सवाल किया कि ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर हमला करके अमेरिकियों ने क्या हासिल किया? उन्होंने लिखा,
"(ईरान की) न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल का मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर या तो पूरी तरह से सुरक्षित है या फिर उसे केवल मामूली नुकसान पहुंचा है. न्यूक्लियर मैटेरियल का संवर्धन और भविष्य में परमाणु हथियारों का प्रोडक्शन लगातार जारी रहेगा."
मेदवेदेव ने यह भी कहा कि कई देश अब ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं. हालांकि, उन्होंने इन देशों के नाम नहीं बताए. उन्होंने कहा,
“कई देश ईरान को सीधे अपने परमाणु हथियार आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं. इजरायल पर हमला हो रहा है, देश में विस्फोट हो रहे हैं और लोग घबरा रहे हैं. अमेरिका अब एक नए संघर्ष में उलझा हुआ है, जिसमें एक ग्राउंड ऑपरेशन की संभावनाएं उभर रही हैं.”
मेदवेदेव के बयान से साफ संकेत मिलता है कि रूस, ईरान के परमाणु कार्यक्रम में मददगार बना हुआ है. रूस और ईरान के बीच सामरिक संबंध मजबूत हैं और दोनों देश एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार भी हैं.
इसके अलावा, मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की 'नोबेल शांति पुरस्कार' की ख्वाहिश पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने अमेरिका को युद्ध में धकेल दिया है. मेदवेदेव ने कहा,
"ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में भूल सकते हैं- भले ही इसमें कितनी भी धांधली क्यों ना हो."
रूस ने ईरान के प्रति अपना समर्थन जताते हुए कहा कि ईरान का राजनीतिक शासन मजबूत हुआ है और इसके खिलाफ अब लोगों का विरोध कम हो गया है. मेदवेदेव ने यह भी बताया कि ईरान के लोग अपने धार्मिक नेतृत्व के साथ खड़े हो गए हैं, चाहे पहले वे इससे नाखुश रहे हों. उनका कहना है कि अमेरिकी हमलों से ईरान को अंदरूनी तौर पर मजबूती मिली है और इसके शासन का विरोध करने वालों की संख्या घट रही है.
इस बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने रूस का दौरा करने की योजना बनाई है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्बास अराघची ने बताया कि वे आज यानी 22 जून को मॉस्को जाएंगे और कल सुबह यानी 23 जून को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे.
दरअसल, ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है. रविवार, 22 जून की सुबह अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए. अमेरिका ने इन्हें ध्वस्त करने का दावा किया है. ईरान ने इन साइट्स पर हमलों की बात तो कबूल की है. हालांकि, ईरान के सरकारी न्यूज चैनल के एंकर ने कहा कि साइट्स को उतना नुकसान नहीं हुआ, जितना ट्रंप कह रहे हैं. चैनल ने दावा किया कि ईरान के परमाणु ठिकानों को केवल मामूली नुकसान पहुंचा है.
जब ईरान ने इन हमलों को लेकर पहला बयान दिया था, तब भी उसने यही कहा था कि उनकी न्यूक्लियर साइट्स सुरक्षित हैं और उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. ईरान की परमाणु ऊर्जा एजेंसी 'एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान' (AEOI) ने साफ किया कि इन हमलों के बावजूद उनका न्यूक्लियर प्रोग्राम प्रभावित नहीं होगा.
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